कर्नाटक के पूर्व मंत्री माधवराज कांग्रेस छोड़ बीजेपी में क्यों गए?
कर्नाटक में अगले साल आने वाले चुनाव से पहले राज्य में जनाधार वाले कई नेता बीजेपी से जुड़े हैं। इनमें एक पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद माधवराज भी शामिल हैं। उडुपी के पूर्व विधायक प्रमोद माधवराज और जद (एस) सहित कांग्रेस के कई प्रमुख नेता शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए। माधवराज को हाल ही में कांग्रेस में बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई थी।
पूर्व विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री माधवराज ने बीजेपी में शामिल होने से पहले कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार को भेजे अपने त्याग पत्र कहा, 'मैंने केपीसीसी के उपाध्यक्ष पद को स्वीकार नहीं करने और कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा देने का फ़ैसला किया है।'
My Resignation to Congress Party pic.twitter.com/SIoVGYaMEN
— Pramod Madhwaraj (@PMadhwaraj) May 7, 2022
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार में मत्स्य पालन, युवा अधिकारिता और खेल मंत्री रहे माधवराज ने त्याग पत्र में दावा किया है कि उडुपी कांग्रेस की स्थिति पिछले तीन वर्षों में बदल गई है जिससे उनको 'राजनीतिक घुटन' होने लगी है। माधवराज को हाल ही में केपीसीसी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि उनके लिए पार्टी में बने रहना असंभव होता जा रहा था।
माधवराज ने त्याग पत्र में आगे लिखा है, 'मैंने देखा है कि उडुपी जिला कांग्रेस पार्टी में मौजूदा स्थिति के बारे में मेरी शिकायतों के निवारण के लिए पार्टी द्वारा कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है।'
बता दें कि पिछले साल प्रमोद माधवराज ने विश्वेश तीर्थ स्वामीजी को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि बीजेपी के केंद्र में आने के बाद पद्म अवार्ड देने का पैमाना बदला है।
माधवराज के अलावा, पूर्व मंत्री और दो बार के निर्दलीय विधायक वरथुर आर प्रकाश, मलूर कोडिहल्ली के पूर्व विधायक मंजूनाथ गौड़ा, पूर्व राज्यसभा सदस्य केबी कृष्णमूर्ति, पूर्व जद (एस) एमएलसी संदेश नागराज, पूर्व आईआरएस अधिकारी लक्ष्मी अश्विन गौड़ारे और अशोक जयराम का मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार पाटिल ने अपनी पार्टी में स्वागत किया।
इसके साथ ही विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा फायदा होने की संभावना है क्योंकि इन नेताओं का अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है।