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ईवीएमः वाराणसी का एडीएम सस्पेंड, जब सब ठीक था तो आयोग ने अब क्यों कार्रवाई की

ईवीएमः वाराणसी का एडीएम सस्पेंड, जब सब ठीक था तो आयोग ने अब क्यों कार्रवाई की

चुनाव आयोग ने वाराणसी में ईवीएम पकड़े जाने की घटना के सिलसिले में वाराणसी के एडीएम एन के सिंह को निलंबित कर दिया है। ये वही चुनाव आयोग है जो आज सुबह तक वाराणसी की घटना पर लीपापोती कर रहा था।

चुनाव आयोग ने वाराणसी के एडीएम एन. के. सिंह को सस्पेंड कर दिया है। वाराणसी में कल हुई ईवीएम की घटना से चुनाव आयोग से लेकर यूपी सरकार के अधिकारी अब खुद ही विवादों में फंसते जा रहे हैं। सबसे पहले वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने स्वीकार किया कि प्रशासन से चूक हुई है। उसके बाद आज डीएम कौशलराज शर्मा ने भी चूक की बात स्वीकार की। जबकि चुनाव आयोग ने सुबह बयान दिया था कि ईवीएम को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन शाम होते-होते जब वाराणसी के दो अफसरों ने चूक की बात स्वीकार कर ली तो चुनाव आयोग को भी झेंपते हुए एक्शन लेना पड़ा। आयोग ने वाराणसी के एडीएम एन. के. सिंह को आज शाम निलंबित कर दिया है। इसके अलावा सोनभद्र और बरेली के दो अधिकारियों को भी लापरवाही के आरोप में चुनाव ड्यूटी से हटा दिया गया है। 

बदलता बयान, फंसते अधिकारी

वाराणसी के डीएम कौशलराज शर्मा ने आज कहा कि जिस ईवीएम को आज सुबह ले जाया जाना था, उसने बिना किसी को बताए रात को ही उस ईवीएम को ले जाने की कोशिश की। उस अधिकारी (एडीएम एन.के.सिंह) को अब निलंबित कर दिया गया है। वाराणसी में ईवीएम विवाद की तस्वीर अब पूरी तरह साफ हो गई है। तीन ट्रकों में लादी गई ईवीएम कथित तौर पर ट्रेनिंग के लिए ले जाई जा रही थी। इस ईवीएम को कायदे से आज सुबह ले जाया जाना था। चुनाव आयोग का इस संबंध में एक ईवीएम ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल है। जिसे उस एडीएम एन. के. सिंह ने तोड़ा। यहां सवाल ये उठता है कि उस एडीएम को सैकड़ों ईवीएम को पहुंचाने की ऐसी भी क्या जल्दी थी। इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं आया है कि एडीएम एन.के. सिंह ने किसके कहने पर ईवीएम वहां से हटाना चाहा। 

कौन हैं वो लोग जो एडीएम से यह काम करा रहे थे। चुनाव आयोग तो पहले वाराणसी के अफसरों की चूक वाले बयान पर ध्यान ही नहीं दे रहा था लेकिन सत्य हिन्दी समेत तमाम मीडिया ने यह सवाल उठाया तो शाम को चुनाव आयोग ने एक अफसरों को बलि का बकरा बनाते हुए सस्पेंड कर दिया। इसके पीछे जो गहरी साजिश थी, चुनाव आयोग ने उसे पचा लिया है।

 

वाराणसी में सपा कार्यकर्ताओं ने ईवीएम ले जा रहे ट्रकों को रोका। बताया जाता है कि एक ट्रक तो भाग निकला लेकिन एक को सपा कार्यकर्तां ने रोक लिया और चुनाव आयोग को सूचित किया था। पार्टी ने सरकार पर "चुनाव चोरी" करने का आरोप लगाया था।

पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कल बताया था कि 2017 में बीजेपी ने 5000 से कम वोटों के अंतर से लगभग 50 सीटें जीती थीं। उन्होंने यह भी कहा था कि "ईवीएम उल्लंघन" की सूचना तमाम जिलों से आ रही थी। चुनाव आयोग को "स्पष्ट करना चाहिए" कि ऐसा क्यों हो रहा है।

आज, वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल का एक वीडियो सामने आया, जिसमें दीपक अग्रवाल ने माना कि "खामियां" थीं। हालांकि, अग्रवाल ने उन खामियों को स्पष्ट नहीं किया और कहा कि वो मशीनें ट्रेनिंग के मकसद के लिए थीं।वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना गया था, अगर आप ईवीएम ट्रांसपोर्ट के लिए प्रोटोकॉल के बारे में बात करते हैं, तो प्रोटोकॉल में चूक हुई थी, मैं इसे स्वीकार करता हूं। लेकिन मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि मतदान में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम को हटाना असंभव है।"समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कल कहा था कि जब भी ईवीएम - चाहे वह ट्रेनिंग हो या रिजर्व मशीन - को बाहर निकाला जाता है, उम्मीदवारों या पार्टी कार्यकर्ताओं को सूचित किया जाना चाहिए और ऐसा नहीं किया गया। पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई और कहा कि वह इस मुद्दे पर अदालत जाएगी।

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