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EVM: आम चुनाव 2024 नजदीक, I.N.D.I.A ने क्यों छेड़ा VVPAT का मुद्दा?

EVM: आम चुनाव 2024 नजदीक, I.N.D.I.A ने क्यों छेड़ा VVPAT का मुद्दा?

चुनाव नजदीक आते ही ईवीएम का मुद्दा गरमा जाता है। लोकसभा चुनाव 2024 में चंद महीने बचे हैं और फिर से ईवीएम और वीवीपैट का मुद्दा हाजिर है। लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर ठोस कुछ नहीं कर पाया है। इंडिया गठबंधन ने अपनी चौथी बैठक में ईवीएम को लेकर प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन इस मुद्दे के प्रति उनकी गंभीरता दिखती नहीं है।

विपक्ष ने 2019 के लोकसबा चुनाव से पहले ईवीएम और वीवीपैट का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। उसी समय करीब 19 लाख ईवीएम के गायब होने की सूचना आई थी, जिसका केंद्रीय चुनाव आयोग ने खंडन किया था। लेकिन आयोग ने आजतक यह साफ नहीं किया कि उसने जो ईवीएम का ऑर्डर सरकारी कंपनियों बीईएल और ईसीआईएल कंपनियों को दिया था, वो कितनी ईवीएम थीं और उसे कितनी ईवीएम कंपनियों से मिली थीं। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा फिर गरमा उठा है। लेकिन बुधवार को यूपी के फर्रुखाबाद में गोदाम में 800 ईवीएम के जलने की खबर आई है। हालांकि उस गोदाम में शॉर्ट सर्किट का खतरा नहीं था, क्योंकि वहां बिजली कनेक्शन नहीं था। 

2019 में लोकसभा चुनाव के मौके पर करीब 23 राजनीतिक दलों ने हर लोकसभा/विधानसभा क्षेत्र में 50% वीवीपैट की गिनती कराने की मांग की थी। इन दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने हर विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों पर वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन आवश्यक कर दिया था। इंडिया गठबंधन ने अब 100% ईवीएम-वीवीपीएटी मिलान की मांग की है। उसने अपनी दिल्ली बैठक के बाद इस मुद्दे को लेकर बयान भी जारी किया था। 

चुनाव आयोग बता रहा दिक्कत

इंडिया गठबंधन की इस मांग के बाद चुनाव आयोग खासा सक्रिय है। वो 100 फीसदी वीवीपैट पर्ची की गिनती या मिलान को व्यावहारिक नहीं बता रहा है। उसके पास कई सारे तर्क हैं, जो उसने सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश की गहराई में जाकर तलाश किए हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम की वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती को अनिवार्य किया था। 2019 के लोकसभा चुनावों में 20,687 मतदान केंद्र थे। जिनमें लगभग 2% वीवीपैट पर्चियों की गिनती हो सकी थी। चुनाव आयोग ने कहा कि इस 2% पर्ची की गिनती में पांच घंटे या उससे अधिक समय लगा था। अब अगर 100% गिनती करना पड़ी तो यह समय ठीक बैलेट पत्रों की गिनती की तरह होगी और समय बढ़ जाएगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी तैनात करने पड़ेंगे। 

ईवीएम की विश्वसनीयता और वीवीपैट पर्ची की गिनती का मुद्दा नया नहीं है। राजनीतिक दल इसे बार-बार उठा रहे हैं। संयोग से इसकी शुरुआत 2009 में भाजपा ने आडवाणी के नेतृत्व में ईवीएम से चुनाव पर तमाम तरह की शंकाएं जताई थीं। भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने इस पर किताब तक लिख दी थी। 2014 में भाजपा सत्ता में आ गई और उसके बाद उसने कभी कोई आशंका नहीं जताई। 27 अगस्त, 2018 को चुनाव आयोग की सभी राजनीतिक दलों के साथ हुई बैठक के दौरान, लगभग पूरे विपक्ष ने ईवीएम के बजाय मतपत्र आधारित चुनाव की वापसी की मांग की। तब कांग्रेस मुद्दे को उठाने में आगे रही थी। उस समय कई राजनीतिक दलों ने सुझाव दिया कि वीवीपैट की गिनती को हर विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र से बढ़ाकर 10% -30% वीवीपैट तक किया जाना चाहिए।

कांग्रेस नेता कमलनाथ और सचिन पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें मांग की गई कि हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 10% वीवीपैट पर्ची का मिलान चयनित मतदान केंद्रों में हो। हालांकि आम आदमी पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में 20% वीपीपैट पर्ची की गिनती की मांग की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वीपीपैट सत्यापन 2% से आगे नहीं बढ़ाया।

चुनाव आयोग के तर्कः ईवीएम से वीवीपैट पर्ची मिलान या पर्ची की गिनती का आयोग रत्तीभर भी समर्थक नहीं है। वो समय-समय पर अपने तर्कों के जरिए इसे काउंटर करता रहता है। जैसे इसी साल उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वीवीपैट की शुरुआत के बाद से 118 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले हैं। लेकिन सिर्फ 25 शिकायतें मिलीं और बाद में सभी झूठी पाई गईं।

चुनाव आयोग का कहना है कि अब तक 38,156 वीवीपैट की पर्चियों की गिनती उनकी काउंटिंग इकाइयों (सीयू) की इलेक्ट्रानिक गणना के साथ मिलान किया गया।  उम्मीदवार 'ए' के ​​वोट को उम्मीदवार 'बी' को ट्रांसफर करने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इस आरोप का जवाब है कि किसी अन्य दल को वोट देने के बावजूद वोट भाजपा को जा रहा है। चुनाव आयोग ने दावा किया है कि गिनती में जो भी अंतर पाया गया वह 'मानवीय त्रुटि' के कारण था। 

बिना शॉर्ट सर्किट शक का धुआं

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को एक्स (ट्वीट) पर लिखा- फ़र्रूख़ाबाद में 800 ईवीएम जलीं… बिना शार्ट सर्किट के लगी आग से शक का धुआँ उठ रहा है। अखिलेश का ट्वीट एक खबर पर आधारित था। पता चला कि फर्रुखाबाद के एक गोदाम में सैकड़ों ईवीएम रखी हुई थीं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में इनकी संख्या 800 बताई गई है। इस संबंध में अखिलेश और तमाम पत्रकारों ने जो वीडियो शेयर किया है, उसमें फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आग बुझा रही हैं। एक सरकारी कर्मचारी जली हुई ईवीएम को ले जाता दिखाई दे रहा है। जिला अधिकारी ने बताया कि गोदाम में कोई बिजली सप्लाई नहीं थी। गोदाम के अंदर नारियल के छिलके मिले हैं। सिटी मैजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक जांच टीम सारे मामले की जांच कर रही है।

बहरहाल, इंडिया गठबंधन ने फिर से इस मुद्दे को उठाकर इसे बहस के केंद्र में ला दिया है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आए थे। नतीजों के बाद एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा था कि उनके पास सूचनाएं हैं, जिसमें कुछ पोलिंग बूथ पर कांग्रेस को सिर्फ एक वोट मिला, बाकी सारी वोट भाजपा को गया। ऐसा कैसे संभव है। एमपी के कुछ नेताओं ने कहा कि शुरू की मतगणना में कांग्रेस आगे चल रही थी लेकिन जैसे ही कुछ क्षेत्रों की ईवीएम खुली, कांग्रेस आश्चर्यजनक ढंग से पिछड़ती चली गई। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव हारने पर कांग्रेस यही करती है। आखिर तेलंगाना से ईवीएम की शिकायत क्यों नहीं आई।

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