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उत्तरकाशी: फँसे लोगों के बचाव के लिए आपातकालीन सुरंग

उत्तरकाशी: फँसे लोगों के बचाव के लिए आपातकालीन सुरंग

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में हादसे के बाद फँसे 41 लोगों को निकालने के लिए अब वैकल्पिक रास्ते तलाशे जा रहे हैं। जानिए, बचाव में कितने दिन लग सकते हैं।

उत्तरकाशी में सुरंग में फँसे लोगों को बचाने के लिए अब एक दूसरा तरीक़ा ढूँढा गया है। बचाव अभियान के लिए अब एक और सुरंग खोदी जाएगी। प्रशासन अंदर फँसे लोगों तक पहुँचने के लिए पहाड़ की चोटी से एक वर्टिकल सुरंग खोदने की संभावना तलाश रहा है। सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा मशीनों को उस ऊँचाई तक पहुंचाने का रास्ता बना रही है।

बचावकर्मी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन राजमार्ग सुरंग में पिछले रविवार से फँसे 41 श्रमिकों तक पहुँचने का प्रयास जारी रखे हुए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा है कि बचाव प्रयासों में चार से पांच दिन और लगने की संभावना है। पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि ऊपर वाले ने चाहा तो यह उससे पहले भी हो सकता है।

श्रमिकों तक पहुँचने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के लिए सिल्क्यारा सुरंग के ऊपर पहाड़ी की चोटी पर सड़क बनाने के लिए रविवार को प्रयास चल रहे थे। घटनास्थल पर स्थापित एक नियंत्रण कक्ष ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को पर्याप्त भोजन और अन्य आवश्यक चीजें उपलब्ध कराने के लिए रविवार सुबह मलबे के माध्यम से 42 मीटर की लंबाई तक बड़े व्यास के पाइप भी डाले गए हैं।

आपदा प्रबंधन कार्यालय ने राज्य में सुरंग में फंसे लोगों की संख्या को 12 नवंबर को सुबह 5.30 बजे से 40 की शुरुआती संख्या बताई थी। लेकिन इसने अब संशोधित करते हुए इस संख्या को अब 41 कर दिया है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी व्यक्ति सुरक्षित हैं। दिल्ली से लाई गई एक उच्च क्षमता वाली मशीन के 22 मीटर के निशान से आगे ड्रिल करने में विफल होने के बाद दूसरे विकल्प तलाशे जा रहे हैं। 

पिछले एक हफ्ते से उन्हें बचाने के लिए कई तरीक़ों की कोशिश की गई है। मलबे को हटाने के लिए बड़ी उत्खनन मशीनों का उपयोग किया गया, मलबे में ड्रिलिंग करने और श्रमिकों के लिए पाइप डालने की कोशिश की जा रही है। मलबा 205 मीटर से 260 मीटर के बीच है और मजदूर इससे आगे हैं।

12 नवंबर को सुबह क़रीब 5.30 बजे उत्तरकाशी ज़िले के सिल्क्यारा और डंडालगांव को जोड़ने के लिए यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग ढह गई थी। अधिकारियों का कहना है कि लोग सुरक्षित हैं। वॉकी-टॉकी के माध्यम से संचार स्थापित किया गया है और उन्हें पानी की आपूर्ति करने वाले पाइप के माध्यम से भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, सुरंग के अंदर फंसे लोग बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर हैं।

बता दें कि एक हफ़्ते से बचाव कार्य जारी है, लेकिन इसमें लगातार व्यवधान आ रहे हैं। बार-बार मलबा ढहने से राहत व बचाव कार्य में देरी हुई है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे लोगों का जीवन अभी भी दांव पर लगा हुआ है। शनिवार को एक तेज आवाज की वजह से भोर में चल रहे बचाव कार्य को रोक दिया गया था। अधिकारियों ने शुक्रवार को उम्मीद जताई थी कि शुक्रवार को सारे लोगों को सुरंग से निकाल लिया जाएगा। लेकिन वह प्रयास सफल नहीं हो पाया। 

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