चुनावी नब्ज़ः तेलंगाना में मोदी का दलित कार्ड और एमपी में कांग्रेस से होड़
चुनावी सर्वे में तेलंगाना में कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टी बीआरएस के बीच सीधी टक्कर बताई गई है। तेलंगाना में भाजपा बहुत पीछे है। लेकिन भाजपा ने तेलंगाना में उम्मीद नहीं छोड़ी है। तेलंगाना में एक तरह से 2024 के लिए भी भाजपा अपना रास्ता तलाश रही है। उसी के मद्देनजर पीएम मोदी शनिवार 11 नवंबर को हैदराबाद में आ रहे हैं। मोदी दलितों की विभिन्न उपजातियों तक भाजपा की पहुंच बनाने के लिए शनिवार को हैदराबाद के परेड ग्राउंड में मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति (एमआरपीएस) की रैली को संबोधित करेंगे।
“
मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति दलित जातियों के अलग संख्यात्मक सर्वेक्षण की मांग कर रही है। फिर उस सर्वेक्षण और आबादी की ताकत के अनुरूप आरक्षण की मांग कर रही है। यह ठीक ओबीसी सर्वे जैसी मांग है। अगर मोदी शनिवार की रैली में इस मांग को स्वीकार करने की बात कहते हैं तो इसके दूरगामी राजनीतिक नतीजे होने वाले हैं। विधानसभा चुनाव में इसका असर भले ही न हो, लेकिन केंद्र के लिए सरकार चुनने और इस सर्वे कराने का वादा बड़ी भूमिका निभा सकता है।
रैली का आयोजन करने वाली मडिगा दलित समुदाय की समिति का कहना है कि माला जैसी कुछ एससी उपजाति समूहों का राजनीतिक प्रभाव है और उन्होंने दलित कोटे पर "कब्जा" कर लिया है। इससे ज्यादा आबादी वाले मडिगा दलित हाशिए पर चले गए हैं। रैली के दौरान, मोदी मडिगाओं की दुर्दशा पर बोल सकते हैं उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन देकर उन्हें फुसला सकते हैं।
एक हफ्ते में मोदी का यह दूसरा हैदराबाद दौरा है। 7 नवंबर को मोदी ने हैदराबाद में 'बैकवर्ड क्लास आत्मा गौरव सभा' को संबोधित किया था, जहां उन्होंने पिछड़े वर्ग (ओबीसी) समुदायों के प्रति भाजपा के प्रयासों को जारी रखने की बात कही थी। भाजपा ने सत्ता में आने पर ओबीसी वर्ग से तेलंगाना में कई वादे कर डाले हैं। ओबीसी रैली में मोदी ने कहा था- “मैं समझ सकता हूं कि तेलंगाना बैकवर्ड क्लास से सीएम के लिए तैयार है क्योंकि राज्य में भाजपा सत्ता में आएगी। मोदी ने कहा, ''परिवर्तन की हवा चलनी शुरू हो गई है।'' उनका यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्य में पहली बार ऐसी घोषणा करने के 10 दिन बाद आया था।
पीएम मोदी और भाजपा की रणनीति अब बहुत साफ है। वो राज्य में ओबीसी और दलितों के कुछ प्रतिशत झटकना चाहते हैं। भाजपा को अच्छी तरह पता है कि वो अकेले दम पर तेलंगाना में सरकार नहीं बना सकती है। लेकिन वो 2024 के मद्देनजर ऐसे सम्मेलनों और रैलियों की मदद से राजनीतिक जमीन तलाश सकती है। 7 नवंबर के ओबीसी कार्यक्रम में अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण भी शामिल हुए थे। पवन कल्याण की जन सेना पार्टी (जेएसपी) एनडीए का हिस्सा है। मोदी और कल्याण को एकसाथ मंच पर लाने का संकेत यही था कि जेएसपी को अगर कुछ सीट मिल जाती है तो वो किसी नए समीकरण का हिस्सा बन सकता है। साथ ही लोकसभा चुनाव में जेएसपी को और प्रभावी रूप से पेश करके हवा का रुख मोड़ा जा सकता है। बहरहाल, ये सब चुनावी अटकलें हैं। फिलहाल कागज पर तो ओबीसी और दलित का आना भाजपा को मजबूत बना रहा है।
मध्य प्रदेश में आज आएगा घोषणापत्र
सर्वे में मध्य प्रदेश में भी भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं बताई गई थी। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान है। भाजपा शनिवार को अपना घोषणापत्र जारी करने जा रही है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा राज्य के सीएम शिवराज चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ दस्तावेज़ जारी करेंगे। तोमर दिमनी से विधायकी का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें भाजपा की ओर से भावी सीएम बताया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के घोषणापत्र को कांग्रेस के घोषणापत्र की तर्ज पर तैयार किया गया है। कांग्रेस 17 अक्टूबर को ही अपना घोषणापत्र जारी कर चुकी है। कांग्रेस ने अपने महत्वाकांक्षी घोषणापत्र में मध्य प्रदेश की अपनी इंडियन प्रीमियर लीग टीम, एक आर्टीफिशीयल इंटेलीजेंस सेंटर (कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र), जाति जनगणना कराने का वादा, 27% ओबीसी आरक्षण का वादा किया था। इसके अलावा महिलाओं, किसानों और बेरोजगार युवाओं के लिए कई रियायतों की घोषणा की गई थी।
अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने खासतौर पर महिलाओं और किसानों पर फोकस किया है। शिवराज चौहान सरकार की महिला समर्थक नीतियों के मुकाबले कांग्रेस ने महिलाओं को 1,500 रुपये का मासिक वजीफा, 500 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर और 'मेरी बिटिया रानी योजना' के तहत जन्म से लेकर शादी तक लड़कियों को 2.51 लाख रुपये देने का वादा किया है। कांग्रेस ने किसानों से कर्ज माफी, सिंचाई के लिए मुफ्त पांच हार्सपावर बिजली, बिजली बिल माफ करने और गेहूं के लिए 2,600 रुपये और धान के लिए 2,500 रुपये का समर्थन मूल्य देने और इसे बाद में 3,000 रुपये तक बढ़ाने का वादा किया है। इन सभी बिन्दुओं को भाजपा के घोषणापत्र में छूने का प्रयास किया गया है।
एक तरफ तो भाजपा अपना घोषणापत्र जारी करने जा रही है तो दूसरी तरफ अमित शाह की मालवा क्षेत्र में कई रैलियां होने वाली हैं। उनका दौरा चार विधानसभा क्षेत्रों - मनावर, गंधवानी, बदनावर, धार और देपालपुर को कवर करेगा। शाह इससे पहले 28 अक्टूबर को आए थे। उस समय उन्होंने पार्टी के एमपी अभियान को आगे बढ़ाने और टिकट वितरण से नाखुश नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने में तीन दिन बिताए। यानी इससे संकेत मिलता है कि भाजपा का चुनाव प्रबंध मध्य प्रदेश में ढीला चल रहा है। पार्टी जिस आक्रामक चुनावी अभियान के लिए जानी जाती है, उसकी झलक एमपी में नहीं दिखाई दी।