2024 की जंगः बीजेपी का फोकस 1,12,058 कमजोर बूथों पर

01:37 pm Oct 01, 2022 | सत्य ब्यूरो

बीजेपी ने 2024 आम चुनाव के मद्देनजर अपनी बूथ लेवल की तैयारी तेज कर दी है। पार्टी ने ऐसे 1,12,058 बूथों की पहचान की है, जहां वो मेहनत करेगी। यानी इन बूथों पर पार्टी खुद को कमजोर पा रही है, इसलिए इन बूथों की तैयारी का निर्देश दिया है।

इकोनॉमिक टाइम्स ने शनिवार को इस संबंध में एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी ने अपना वोट शेयर बढ़ाने के लिए ज्यादातर बूथों पर पहले चरण का काम पूरा कर लिया है, जिसे उसने पार्टी के लिए कमजोर बताया था।

ईटी के मुताबिक पार्टी ने इस साल मई में शुरू हुए एक कार्यक्रम के तहत 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने की गतिविधि के लिए देश भर में 1,12,058 बूथों की पहचान की है। पहले चरण में उसने एक डेटाबेस और मतदाता प्रोफाइल तैयार करने के साथ ही पार्टी नेताओं द्वारा जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इसी के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत तमाम नेता कई लोकसभा क्षेत्रों में पहुंचे।

पिछले मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी प्रदेश प्रभारियों की बैठक हुई, जिसमें बूथों को मजबूत बनाने के कार्यक्रम की प्रगति रिपोर्ट पर चर्चा हुई। रिपोर्ट के मुताबिक 84,039 बूथों पर पहले चरण का काम पूरा हो चुका है। यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल हैं, जहां पहले चरण के लिए सौ फीसदी काम पूरा कर लिया गया है।

आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और तेलंगाना समेत आठ राज्यों में 20-50 फीसदी काम पूरा हो चुका है और पार्टी ने इसे अच्छी प्रगति करार दिया है। मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीप और दमन और दीव में पूरा किया गया काम 20% से कम है।

इनमें से मेघालय में बूथ मजबूत करने का कार्यक्रम शुरू नहीं हो सका है। रिपोर्ट के अनुसार मिजोरम में काम शुरू हो गया है लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हुई है। पार्टी नेताओं ने प्रभारियों से कार्यक्रम को प्राथमिकता देने और दूसरे चरण को अक्टूबर में शुरू करने और काम पूरा करने को कहा है। 

दूसरे चरण के दौरान आउटरीच कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा। पार्टी सूत्रों ने ईटी को बताया कि दूसरे चरण के दौरान नतीजे नजर आएंगे। कई केंद्रीय नेताओं को तमाम लोकसभा क्षेत्रों में भेजकर उनकी बूथवार बैठकें कराई जाएंगी। केंद्रीय मंत्रियों के अलावा तमाम राज्यों के प्रभावशाली नेताओं को भी बूथ लेवल की बैठकों में भेजा जाएगा। इसमें जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा जा रहा है।