महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के गुट और बीजेपी की सरकार को बने 26 दिन का वक्त हो चुका है लेकिन अब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है। बीते कई दिनों से यह कहा जा रहा है कि जल्द ही कैबिनेट का विस्तार होगा लेकिन यह कब होगा इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला है।
30 जून को शपथ लेने के बाद से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 5 बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। यहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात की है।
उनके हर दिल्ली दौरे के बाद यह कहा जाता है कि कैबिनेट का विस्तार जल्द हो जाएगा लेकिन अभी भी यह रुका हुआ है तो इसके पीछे कोई बड़ी वजह जरूर होगी। हालांकि अब यह कहा गया है कि अगस्त में शुरू होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के मॉनसून सत्र से दो-तीन दिन पहले कैबिनेट का विस्तार होगा।
सिर्फ दो लोग चला रहे सरकार?
यह बेहद अहम सवाल है कि महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य जिसकी राजधानी मुंबई है जो भारत की आर्थिक राजधानी है, लाखों लोगों को रोजगार देती है, ऐसे बड़े शहर और बड़े प्रदेश में सिर्फ दो लोग पूरी सरकार को चला रहे हैं। सरकार के पास बहुत सारे विभाग होते हैं इसलिए बड़ी संख्या में मंत्रियों को नियुक्त किया जाता है।
महाराष्ट्र बीते दिनों आई बारिश और बाढ़ की वजह से जूझ रहा है लेकिन सरकार में सिर्फ दो लोग मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री कितना काम इतने बड़े प्रदेश के लिए कर पाएंगे यह एक गंभीर सवाल है।
विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा है कि कैबिनेट का विस्तार ना होने की वजह से राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता है और इस वजह से बाढ़ के कारण बने खराब हालात में राहत और बचाव के कार्यों पर जबरदस्त असर पड़ रहा है।
महाराष्ट्र की कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित कुल 43 मंत्री बनाए जा सकते हैं। एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायकों में 8 पूर्व मंत्री हैं। इनमें से 4 विधायक महा विकास आघाडी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे जबकि चार विधायक राज्य मंत्री।
निश्चित रूप से जब ये पूर्व मंत्री और अन्य विधायक शिवसेना से बगावत करके एकनाथ शिंदे के साथ आए हैं तो इनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी ज्यादा है। बगावत में अहम भूमिका निभाने वाले कई विधायकों की नजर भी महाराष्ट्र कैबिनेट की कुर्सी पर है। ऐसे नेताओं में तानाजी सावंत और दीपक केसरकर का नाम भी शामिल है। यह दोनों ही नेता बीजेपी शिवसेना की 2014 से 2019 तक चली सरकार में मंत्री रहे थे।
इसके अलावा दादा भुसे, उदय सामंत, अब्दुल सत्तार, शंबुराज देसाई जैसे बड़े नेता भी ठाकरे सरकार में मंत्री रहे थे और वे कैबिनेट विस्तार के इंतजार में हैं।
क्योंकि एकनाथ शिंदे-बीजेपी की सरकार में बीजेपी के पास शिंदे गुट से कहीं ज्यादा विधायक हैं ऐसे में निश्चित रूप से बीजेपी अपने ज्यादा से ज्यादा नेताओं को मंत्रिमंडल में एडजस्ट करवाना चाहती है।
महाराष्ट्र की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान एकनाथ शिंदे सरकार को 164 वोट मिले थे जबकि महा विकास आघाडी को सिर्फ 99 वोट मिले थे। बीजेपी के पास 106 विधायक हैं जबकि एकनाथ शिंदे के पास 40 और कुछ निर्दलीय व छोटी पार्टियों के विधायकों का भी इस सरकार को समर्थन हासिल है।
लेकिन एकनाथ शिंदे भी परेशान हैं क्योंकि उन्हें उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले विधायकों को भी बनाए रखना है। एकनाथ शिंदे को अपने करीबियों को भी कैबिनेट में लेना होगा। ऐसे नेताओं में चीफ व्हिप भरत गोगावले, संजय शिरसाट आदि के नाम शामिल हैं।
बीजेपी नेताओं की महत्वाकांक्षा
जबकि महा विकास आघाडी सरकार के रहते हुए लगातार संघर्ष करने वाले बीजेपी के नेताओं की भी सियासी महत्वाकांक्षा कैबिनेट में जगह पाने की है। ऐसे नेताओं में महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील, सुधीर मुनगंटीवार, आशीष शेलार, संजय कुटे और प्रवीण दरेकर का नाम शामिल है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते शनिवार को हुई बीजेपी की एक बैठक के दौरान उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सभी नेताओं से इशारे में कहा कि कैबिनेट में जगह पाने की उम्मीद कर रहे सभी नेताओं की इच्छा पूरी नहीं हो सकती। शिंदे गुट के एक नेता और पूर्व मंत्री ने कहा कि विधायकों को ऐसी उम्मीद है कि सभी का ध्यान रखा जाएगा।
शिवसेना के बागी विधायकों और महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं को जल्द से जल्द कैबिनेट विस्तार का इंतजार है लेकिन यह विस्तार कब होगा और इसमें उन्हें जगह मिलेगी या नहीं, यही चिंता उन्हें परेशान किए जा रही है।