सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिक्षा फायदा कमाने का कारोबार नहीं है। ट्यूशन फीस हमेशा सस्ती हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए एक मामले में की है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में ट्यूशन फीस को 24 लाख रुपये प्रति वर्ष तक बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई सोमवार को हुई थी।
जस्टिस एम. आर. शाह और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने याचिकाकर्ता, नारायण मेडिकल कॉलेज और आंध्र प्रदेश सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह पैसा उन्हें छह सप्ताह की अवधि के भीतर अदालत की रजिस्ट्री में जमा करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फीस को बढ़ाकर 24 लाख रुपये प्रतिवर्ष करना, यानी पहले तय की गई फीस से सात गुना अधिक, बिल्कुल भी उचित नहीं था। शिक्षा लाभ कमाने का कारोबार नहीं है। ट्यूशन फीस हमेशा सस्ती होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कॉलेज द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने माना था कि आंध्र प्रदेश प्रवेश और शुल्क नियामक समिति (निजी गैर-सहायता प्राप्त व्यावसायिक संस्थानों में पेश किए जाने वाले व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए) नियम, 2006 के प्रावधानों पर विचार करते हुए, समिति की सिफारिशों के बिना शुल्क को बढ़ाया नहीं जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्यूशन फीस का निर्धारण या समीक्षा करते समय कई वजहों जैसे प्रोफेशनल संस्थान की जगह, पाठ्यक्रम की प्रकृति, उपलब्ध बुनियादी ढांचे की लागत पर प्रवेश और शुल्क नियामक समिति द्वारा विचार किया जाना आवश्यक है।
इसमें कहा गया है कि कॉलेज प्रबंधन को गलत सरकारी आदेश के अनुसार एकत्र की गई राशि को अपने पास रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए और ऊपर बताए गए कारणों से दोनों अपीलें खारिज हो जाती हैं और वे खारिज किए जाने योग्य हैं।