ईडी के अधिकारी राशन घोटाले की जांच के तहत शाहजहां शेख के आवास पर शुक्रवार को छापे मार रहे थे, तभी उनके समर्थक हिंसक हो गए, उन्होंने अधिकारियों पर हमला किया और उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। ईडी ने इस मामले में अक्टूबर में पश्चिम बंगाल के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रियो मुलिक को गिरफ्तार किया था। ईडी ने शुक्रवार की घटना के बारे में कहा कि 800-1,000 लोगों की भीड़ ने ईडी अधिकारियों और उनके साथ आए 27 अर्धसैनिक बलों के जवानों पर लाठियों, पत्थरों और ईंटों से हमला किया, ईडी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। बयान में कहा गया है कि ईडी के वाहन भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। ईडी का आरोप है कि शाहजहां शेख मंत्री ज्योतिप्रियो मुलिक का सहयोगी है।
इस घटना की राज्य में विपक्षी दलों ने व्यापक आलोचना की। सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोपों का खंडन किया और ईडी अधिकारियों पर स्थानीय लोगों को भड़काने का आरोप लगाया। बीजेपी ने जहां इस हमले को 'संघीय ढांचे पर सीधा हमला' बताया, वहीं कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन की मांग की। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी सरकार के खिलाफ बयान दिया। इस घटना के बाद पूछा जा रहा है कि आखिर शाहजहां शेख कौन है?
इंडियन एक्सप्रेस और बंगाल की मीडिया के मुताबिक शाहजहां शेख अपने नाम से उतना मशहूर नहीं हैं, जितना भाई के नाम से। 42 साल के शाहजहां शेख ने बांग्लादेश सीमा के पास 24 उत्तर परगना के संदेशखाली ब्लॉक में मछली पालन में एक छोटे से कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की। टीएमसी से शुरू से जुड़े रहे। धीरे-धीरे वो राज्य के मछली पालन क्षेत्र के बेताज बादशाह बन गए। लेकिन अभी तक जीवन काफी संघर्षशील रहा है।
चार भाई-बहनों में सबसे बड़े, शेख ने संदेशखाली में मछली पालन से पहले ईंट भट्टों में एक मजदूर के रूप में शुरुआत की। 2004 में, उन्होंने ईंट भट्टा यूनियन नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। बाद में वह पश्चिम बंगाल में बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद अपनी उपस्थिति बनाए रखते हुए सीपीएम में शामिल हो गए।
तेवर वाले भाषण और संगठन खड़ा करने की क्षमता के लिए जाने जाने वाले शेख ने 2012 में टीएमसी नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया। टीएमसी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय और 24 उत्तर परगना टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रियो मुलिक के नेतृत्व में, वह पार्टी में शामिल हो गए और जल्दी ही सत्ता में आ गए, और मलिक के करीबी सहयोगी बन गए।
उनकी राजनीतिक तरक्की से बाकी राजनीतिक दलों की आंखें चढ़ी हुई हैं। 2018 में, शेख को सरबेरिया अग्रघाटी ग्राम पंचायत के उप प्रमुख के रूप में प्रसिद्धि मिली थी। वर्तमान में संदेशखाली टीएमसी इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। उनका राजनीतिक कद तब चरम पर जा पहुंचा, जब उन्होंने पिछले साल जिला परिषद की सीट हासिल की।
24 उत्तर परगना जिले में शेख मछली विकास की देखरेख करते हैं, जो राजनीतिक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में उनकी प्रभावशाली स्थिति को बताता है। अपनी राजनीतिक भूमिकाओं के अलावा, शेख क्षेत्र में आपसी लड़ाई झगड़े, पारिवारिक विवादों और जमीन विवाद में आपसी मध्यस्थता के लिए जाने जाते हैं। उन्हें यहां के लोग भाई कहते हैं।
उनके छोटे भाई सक्रिय टीएमसी कार्यकर्ता हैं जो प्रॉपर्टी रे सौदे सहित उनके व्यवसाय का प्रबंधन करते हैं। स्थानीय टीएमसी और विपक्ष के नेताओं के अनुसार, शेख को क्षेत्र में सम्मान और भय दोनों के लिए जाना जाता है। एक स्थानीय टीएमसी नेता ने कहा, "कुछ लोगों के लिए वह एक मसीहा हैं; उनके विरोधियों के लिए वह एक आतंक हैं। इलाके में उनकी छवि रॉबिन हुड की है।"
कथित आपराधिक मामलों में शामिल होने के आरोपों के बावजूद, बंगाल की मीडिया के मुताबिक शाहजहां शेख ने बाल तस्करी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी आधार पर 2019 में सरबेरिया अग्रघाटी ग्राम पंचायत 'बाल-मैत्रीपूर्ण ग्राम पंचायत' का दर्जा हासिल कर सकी और की और उनके काम की तारीफ हुई। जून 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद संदेशखाली में भाजपा और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प के बाद, दोनों पक्षों के लोगों की मौतें हुईं। इस मामले में शेख के खिलाफ भाजपा नेताओं ने एफआईआर दर्ज कराई। लेकिन शुक्रवार की घटना पश्चिम बंगाल के मछली पालन बेल्ट में शेख की भूमिका से जुड़े सत्ता, राजनीति और विवादों के जटिल अंतरसंबंध को बताती है। लेकिन उनकी लोकप्रियता की वजह से टीएमसी उनके साथ खड़ी है।