वीडियोकॉन मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है। इसने इससे जुड़े मनी लाउंड्रिंग की जाँच को लेकर चंदा कोचर की क़रीब 78 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है। इसमें उनका मुंबई वाला घर और उस कंपनी की संपत्ति भी शामिल है जिसके मालिक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर हैं।
जाँच एजेंसी ने पिछले साल चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के ख़िलाफ़ मनी लाउंड्रिंग के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। उनके ख़िलाफ़ आरोप हैं कि उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1875 करोड़ रुपये का क़र्ज़ मंज़ूर करने के मामले में अनियमितताएँ बरती थी और ग़लत तरीक़े अपनाए थे।
आईसीआईसीआई बैंक ने अपने पूर्व कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर का लंबे समय तक बचाव करने के बाद पिछले साल जनवरी में उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। बैंक ने एक बयान में कहा था कि कोचर को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाने के बाद उनके इस्तीफ़े को नौकरी से निकालने के समान ही माना जाएगा। बैंक ने एक बयान में कहा था कि जस्टिस बी. एन. श्रीकृष्ण की अगुआई में बनी कमेटी ने वीडियोकॉन मामले में कोचर को बैंक की आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया है।
ईडी चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा दिए गए क़र्ज़ के ऐसे ही दो अन्य मामलों की भी जाँच कर रही है। इसमें एक कंपनी है गुजरात की फ़र्मास्युटिकल्स फ़र्म स्टर्लिंग बायोटेक और भूषण स्टील ग्रुप। इनके ख़िलाफ़ भी मनी लाउंड्रिंग के मामले की ही जाँच की जा रही है। ईडी यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा दर्ज केस के आधार कर रही है। सीबीआई भी इन्हीं तीन लोगों के ख़िलाफ़ जाँच कर रही है।
बता दें कि चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की क़र्ज़ मंज़ूर करने वाली समिति की प्रमुख थीं। उन्होंने वीडियोकॉन समूह को क़र्ज़ की मंजूरी दी। इसमें बड़ा हिस्सा बाद में एनपीए हो गया, यानी इस पर बैंक को किश्त मिलना बंद हो गया। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद वीडियोकॉन के मालिक धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक की कंपनी न्यूपावर रीन्यूअल्स में 65 करोड़ रुपये का निवेश किया। लेकिन कुछ महीने बाद ही उन्होंने ये शेयर न्यूपावर को बेच दिए, वह भी कम कीमत पर। इसके बाद यह संदेह उठा कि दोनों में कोई रिश्ता तो नहीं है।