पीटीआई ने ईडी के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से गुरुवार को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अपनी पहली चार्जशीट दायर की है। सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत यहां एक विशेष अदालत के सामने आरोपपत्र दायर किया गया है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के अलावा वीवो-इंडिया को भी आरोपी बनाया गया है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस जांच में लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के एमडी हरिओम राय समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। हिरासत में लिए गए अन्य लोग चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक थे।
ईडी ने यहां एक स्थानीय अदालत के समक्ष अपने रिमांड दस्तावेज में दावा किया था कि चारों की कथित गतिविधियों ने वीवो-इंडिया को गलत तरीके से लाभ कमाने में सक्षम बनाया जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए नुकसानदेह था।
ईडी ने पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों पर छापा मारा था, जिसमें चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया गया था।
ईडी ने तब आरोप लगाया था कि भारत में टैक्स के भुगतान से बचने के लिए वीवो-इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये की भारी रकम "अवैध रूप से" चीन को ट्रांसफर की गई थी। कंपनी ने कहा था कि वह "दृढ़ता से अपने नैतिक सिद्धांतों का पालन करती है और कानूनी अनुपालन के लिए समर्पित है।" राय ने हाल ही में यहां एक अदालत को बताया था कि हालांकि उनकी कंपनी और वीवो-इंडिया एक दशक पहले भारत में एक संयुक्त उद्यम शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन 2014 के बाद से उनका चीनी कंपनी या उसके प्रतिनिधियों से कोई लेना-देना नहीं है।
राय के वकील ने अदालत को बताया, "उन्होंने न तो कोई लाभ प्राप्त किया है, न ही वह वीवो या कथित तौर पर वीवो से संबंधित किसी इकाई के साथ किसी लेनदेन में शामिल हुए हैं, किसी भी कथित 'अपराध की आय' से जुड़े होने की तो बात ही छोड़ दें।" एजेंसी ने वीवो की सहयोगी कंपनी ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीआईसीपीएल) के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में दिल्ली पुलिस की एफआईआर का अध्ययन करने के बाद 3 फरवरी को एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर), जो कि पुलिस एफआईआर के बराबर है, दायर की। जिसमें इसके निदेशक शेयरधारकों और कुछ अन्य प्रोफेशनल्स को पार्टी बनाया गया।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि जीपीआईसीपीएल और उसके शेयरधारकों ने दिसंबर 2014 में कंपनी के गठन के समय "जाली" पहचान दस्तावेजों और "गलत" पते का इस्तेमाल किया था।