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समन पर पेश नहीं हुए तो केजरीवाल के खिलाफ कोर्ट पहुँची ईडी

समन पर पेश नहीं हुए तो केजरीवाल के खिलाफ कोर्ट पहुँची ईडी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को क्या अब ईडी अदालत के माध्यम से गिरफ्तार करने के प्रयास में है? जानिए, ईडी आख़िर कोर्ट में क्यों पहुँची है?

ईडी ने शराब नीति मामले में जारी समन पर पेश नहीं होने के बाद ईडी अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली की अदालत में पहुँची है। इसने केजरीवाल के ख़िलाफ़ एक नई शिकायत दर्ज कराई है। ईडी ने दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में एक लोक सेवक के आदेश का पालन न करने पर आईपीसी की धारा 174 और ईडी द्वारा जारी समन का पालन न करने पर धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत शिकायत दर्ज कराई है। राऊज एवेन्यू कोर्ट इस मामले की सुनवाई 7 फरवरी को करेगा।

केजरीवाल एक के बाद एक पाँच समन पर ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी अब तक अरविंद केजरीवाल को पांच समन जारी कर चुकी है, जिनमें उनसे कथित शराब नीति घोटाले की जांच के लिए पेश होने को कहा गया था।

केजरीवाल ने यह दावा करते हुए समन को नजरअंदाज कर दिया है कि ये उन्हें गिरफ्तार करने के अवैध प्रयास हैं। उन्होंने समन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस मामले में उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।

इस मामले में आप के तीन वरिष्ठ नेताओं - पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और आप संचार प्रभारी विजय नायर को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। सिसोदिया को पिछले साल फरवरी में और संजय सिंह को अक्टूबर में उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था जिस दिन उनसे पूछताछ की गई थी। आप ने पहले आरोप लगाया था कि ईडी अब केजरीवाल को भी इसी तरह से गिरफ्तार करना चाहती है।

आप ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्देश्य केजरीवाल को गिरफ्तार करना और दिल्ली सरकार को गिराना है। इसमें यह भी सवाल किया गया है कि ईडी किस हैसियत से सीएम को तलब कर रही है।

केजरीवाल को पहली बार अक्टूबर 2023 में ईडी ने 2 नवंबर को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए बुलाया था। इसके बाद 21 दिसंबर और इस साल 3 जनवरी, 18 जनवरी और 2 फरवरी को पेश होने के लिए समन दिया गया था। लेकिन उन्होंने अलग-अलग कारण बताते हुए ईडी के समन पेश नहीं हुए।

प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की उत्पाद शुल्क नीति से गुटबंदी हुई और कुछ डीलरों का पक्ष लिया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। बाद में नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की सिफारिश की। इसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया।

पाँचवें समन के बाद घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि ईडी की जांच राजनीति से प्रेरित थी। कक्कड़ ने कहा कि चूंकि एजेंसी इस मामले को लेकर अदालत चली गई है, इसलिए आम आदमी पार्टी अदालत में ही इसका जवाब देगी।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने केजरीवाल को भगोड़ा करार दिया। उन्होंने कहा, 'जब वह सभी प्रकार के घटिया बहाने बनाकर पांच बार एजेंसी के समन को नजरअंदाज कर चुके हैं, तो कोई भी एजेंसी कानून का रास्ता अपनाएगी और अगली कानूनी कार्रवाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।'

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