सरकार ने गुरुवार को कहा कि क़तर में भारत के दूत ने रविवार को आठ पूर्व नौसेना कर्मियों से मुलाकात की। इन सभी को अक्टूबर में मौत की सजा सुनाई गई थी। राजनयिकों की यह मुलाकात तब हुई जब दुबई में CoP28 शिखर सम्मेलन चल रहा था और उसमें शामिल होने के लिए पीएम मोदी वहाँ गए थे।
विदेश मामलों के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि हमारे राजदूत को तीन दिसंबर को जेल में बंद सभी आठों लोगों से मिलने के लिए राजनयिक पहुंच मिल गई। उन्होंने कहा कि मौत की सजा के खिलाफ भारत की अपील पर अब तक दो सुनवाइयाँ हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ये 23 नवंबर और 30 नवंबर को हुईं।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता दे रहे हैं। यह एक संवेदनशील मामला है, लेकिन हम जो भी कर सकते हैं वह करेंगे।
क़रीब एक पखवाड़े पहले ही ख़बर आई थी कि क़तर की एक अदालत ने 9 नवंबर को भारत सरकार द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया। भारत का विदेश मंत्रालय इस मामले में रिहाई के लिए पूरी तरह से जुटा हुआ है। अक्टूबर के महीने में क़तर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई थी। वे एक साल से अधिक समय से वहाँ हिरासत में हैं।
मौत की सज़ा दिए जाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस फ़ैसले पर हैरानी जताई थी। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था, 'फैसला गोपनीय है। प्राथमिक अदालत ने निर्णय दिया जिसे हमारी कानूनी टीम के साथ साझा किया गया। सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए अपील दायर की गई है। हम कतरी अधिकारियों के संपर्क में हैं।'
इसी बीच अब राजनयिकों की मुलाकात की ख़बर आई है। बागची ने कहा, 'आपने देखा होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीओपी28 के मौके पर दुबई में कतर के अमीर शेख तमीम निन हमद से मुलाकात की। उनके बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ अच्छी बातचीत हुई।' हालाँकि प्रधानमंत्री की अमीर के साथ संक्षिप्त मुलाकात की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने इस मामले को सीधे कतर के शासक के समक्ष उठाया।
अगस्त 2022 में कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को इज़राइल के लिए जासूस के रूप में काम करने के संदेह में हिरासत में लिया था। तब वे कतर में एक कंपनी में कार्यरत थे।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश को दोहा से गिरफ्तार किया गया था।
इनकी गिरफ्तारी को कुछ दिनों तक गुप्त रखा गया था। भारतीय दूतावास को भी सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था। जानकारी मिलने पर भारतीय दूतावास इनकी मदद को आगे आया था। उसकी कोशिशों के कारण 30 सितंबर को इन्हें अपने परिवार के सदस्यों से थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई थी।
वहीं पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद मिला था। इसके बाद कतर स्थित भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया। बाद के दिनों में इन लोगों को हर हफ्ते परिवार के सदस्यों को फोन करने की अनुमति मिली थी।