महाराष्ट्र: 361 जाँच सैंपलों में से 61% डबल म्यूटेंट के केस मिले
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामले दूसरे राज्यों की अपेक्षा काफ़ी तेज़ी से क्यों फैल रहे हैं? वैसे तो इसका स्पष्ट कारण नहीं पता चला है लेकिन इसका एक कारण 'डबल म्यूटेंट' हो सकता है। जाँच किए गए सैंपल में से 61 फ़ीसदी मामलों में 'डबल म्यूटेंट' के संक्रमण का मामला पाया गया है।
'डबल म्यूटेंट' का सीधा मतलब यह है कि इसमें दो म्यूटेंट हैं। 24 मार्च को केंद्र सरकार ने कहा था कि देश में एक नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है- डबल म्यूटेंट। इससे संक्रमित लोग देश के 18 राज्यों में पाए गए हैं। तब कहा गया था कि 15-20 फ़ीसदी सैंपल में डबल म्यूटेंट मिला था। नये क़िस्म के कोरोना के रूप में तब तक यूके स्ट्रेन या वैरियंट, दक्षिण अफ़्रीकी स्ट्रेन और ब्राज़ीलियन स्ट्रेन जैसे नाम आ रहे थे। लेकिन भारत में 'डबल म्यूटेंट' के संक्रमण का मामला सामने आया था।
भारत में जो डबल म्यूटेंट मिला है वह दो अलग-अलग म्यूटेंट का गठजोड़ है। इसमें से एक म्यूटेंट ई484क्यू है और दूसरा एल452आर। इन दोनों म्यूटेंट जब अलग-अलग होते हैं तो इनकी पहचान ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाले के तौर पर की गई है और ये कुछ हद तक टीकाकरण या कोरोना ठीक होने से बनी एंटीबॉडी को मात भी दे देते हैं।
लेकिन इन दोनों के गठजोड़ से बने वायरस के बारे में अभी पता नहीं चला है कि यह कितनी तेज़ी से फैलता है और कितना घातक है। अभी इसकी पुष्टि की जानी बाक़ी है।
ताज़ा सैंपल की जो रिपोर्ट आई है उसको नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी यानी एनआईवी पुणे ने तैयार किया है।
एनआईवी ने महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर मार्च तक 361 कोरोना पॉजिटिव सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की। इसमें से 220 मामलों में डबल म्यूटेंट पाया गया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार 10 अप्रैल को बैठक में एनआईवी के अधिकारियों ने सरकारी अधिकारियों को प्रजेंटेशन के माध्यम से इसका जानकारी दी।
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि डबल म्यूटेंट की भूमिका को महाराष्ट्र की दूसरी लहर में खारिज नहीं किया जा सकता है। राज्य में हर दिन क़रीब 60,000 नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं और 5.64 लाख सक्रिय मामले हैं।
एनआईवी के आँकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में इस डबल म्यूटेंट के तीन केस अकोला और एक केस ठाणे में आया था। फरवरी में 13 ज़िलों के 50 फ़ीसदी सैंपल में इस डबल म्यूटेंट की पुष्टि हुई थी।
इससे पहले 24 मार्च को केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि देश में कई और क़िस्म के कोरोना संक्रमण पाए गए हैं। इसमें यूके स्ट्रेन, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन और ब्राज़ीलियन स्ट्रेन शामिल हैं।
सामान्य तौर पर माना जाता है कि जब म्यूटेशन होता है तो वह पहले से ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला होता है और वैक्सीन या कोरोना से बनी एंटीबॉटी को मात दे सकता है। इसका मतलब है कि यदि इस तरह का मामला हुआ तो पहले से संक्रमित व्यक्ति भी फिर से कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इस तरह इसका एक डर यह है कि हर्ड इम्युनिटी बेअसर साबित हो सकती है। हालाँकि, डबल म्यूटेंट के असर के बारे में इस तरह का शोध अभी तक होना बाक़ी है। यह भी साफ़ नहीं है कि क्या इसी वजह से महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है।
देश में आए 1 लाख 84 हज़ार केस
देश में कोरोना संक्रमण के फिर रिकॉर्ड मामले आए हैं। मंगलवार को एक दिन में 1 लाख 84 हज़ार 372 पॉजिटिव केस आए। एक दिन पहले ही 1 लाख 61 हज़ार 736 मामले आए थे। इससे पहले रविवार को क़रीब 1 लाख 68 हज़ार मामले आए थे। हालाँकि, यह आम तौर पर देखा गया है कि सोमवार को संक्रमण के मामले कम आते रहे हैं और बाद में मामले फिर से बढ़ने लग जाते हैं। और ऐसा ही हुआ भी। मंगलवार को केस बढ़ गए।
स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को 24 घंटे में जो आँकड़े जारी किए हैं उसके मुताबिक़ 1027 लोगों की मौत हो गई। देश में अब तक 1 लाख 72 हज़ार 85 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक कुल 1 करोड़ 38 लाख 73 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 1 करोड़ 23 लाख से ज़्यादा ठीक भी हो चुके हैं। फ़िलहाल देश में 13 लाख 65 हज़ार से ज़्यादा सक्रिय मामले हैं।
देश में कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित महाराष्ट्र है। राज्य में मंगलवार को संक्रमण के 60,212 नए मामले सामने आए और 281 लोगों की मौत हुई। सोमवार को यह आंकड़ा 51,751 था तो महाराष्ट्र सरकार ने राहत की सांस ली थी लेकिन एक बार फिर यह ऊंचाई पर पहुंच गया है। रविवार को यह आंकड़ा 63,294 था।