भारत, चीन, रूस को ट्रम्प ने धमकाया- डॉलर को कमजोर किया तो 100% टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप के ताज़ा फ़ैसलों से उनको ज़्यादा निराशा हो सकती है जो उनकी जीत का जश्न मना रहे थे और तरह-तरह की उम्मीदें पाले हुए थे! ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार शुरू करने से पहले ही भारत, चीन, रूस को ऐसी चेतावनी दे दी है जिससे इन देशों का अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध शुरू होने की संभावना है।
नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नौ देशों के समूह ब्रिक्स को धमकी दी है कि यदि वे अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का काम करेंगे तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। उनकी धमकी ब्रिक्स के देशों पर केंद्रित है। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है, और कई अन्य देशों ने इसमें शामिल होने में रुचि दिखाई है।
ट्रंप की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब ब्रिक्स देशों ने अक्टूबर में रूस के कज़ान में आयोजित शिखर सम्मेलन में गैर-डॉलर लेनदेन को बढ़ावा देने और स्थानीय मुद्राओं को मजबूत करने पर चर्चा की थी।
अक्टूबर में शिखर सम्मेलन में 'ब्रिक्स के भीतर संबंधित बैंकिंग नेटवर्क को मजबूत करने और ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव के अनुरूप स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को सक्षम करने' के लिए एक संयुक्त घोषणा हुई थी।
हालाँकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन के अंत में संकेत दिया कि बेल्जियम स्थित स्विफ्ट वित्तीय लेनदेन प्रणाली के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अब तक कोई विकल्प नहीं बनाया गया है।
अक्टूबर में ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका पर डॉलर को हथियार बनाने का आरोप लगाया था।
उस समय पुतिन ने कहा था, 'यह हम नहीं हैं जो डॉलर का उपयोग करने से इनकार करते हैं। लेकिन अगर वे हमें काम नहीं करने देते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? हमें विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ता है।'
रूस ने विशेष रूप से एक नई भुगतान प्रणाली बनाने पर जोर दिया है जो वैश्विक बैंक मैसेजिंग नेटवर्क, स्विफ्ट का विकल्प बनेगी और मास्को को पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने और भागीदारों के साथ व्यापार करने देगी। बता दें कि पश्चिमी देशों ने रूस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं और उसके साथ व्यापारिक लेनदेन नहीं कर रहे हैं। ऐसा ख़ासकर यूक्रेन युद्ध के बाद काफ़ी ज़्यादा बढ़ गया है।
बता दें कि अमेरिकी डॉलर वैश्विक व्यापार में अब तक की सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा है और इसने अपनी श्रेष्ठता के लिए पिछली चुनौतियों का सामना किया है। गठबंधन के सदस्य और अन्य विकासशील देशों का कहना है कि वे वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर अमेरिका के प्रभुत्व से तंग आ चुके हैं।
इस बीच अब ट्रम्प ने एक पोस्ट में कहा, 'हमें इन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और उन्हें अद्भुत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बिक्री को अलविदा कहने की उम्मीद करनी चाहिए।'
ट्रम्प ने कहा कि ब्रिक्स के वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह लेने की कोई संभावना नहीं है और कोई भी देश जो ऐसा करने की कोशिश करता है, उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।
The idea that the BRICS Countries are trying to move away from the Dollar while we stand by and watch is OVER. We require a commitment from these Countries that they will neither create a new BRICS Currency, nor back any other Currency to replace the mighty U.S. Dollar or, they…
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 30, 2024
भारत ने भी कहा है कि वह डी-डॉलरीकरण के ख़िलाफ़ है। अक्टूबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह न तो भारत की आर्थिक नीति का हिस्सा है और न ही देश की राजनीतिक या रणनीतिक नीतियों का। लेकिन ऐसे मामलों में जहां व्यापार भागीदार डॉलर नहीं लेते हैं या जब व्यापार नीतियों के कारण समस्याएँ आती हैं, तो वैकल्पिक उपायों पर विचार किया जाता है।
भारत की टैरिफ व्यवस्था ने पहले ट्रम्प को परेशान किया है, और ब्राजील और चीन को भी। चुनावों से एक महीने पहले ट्रंप ने साफ़ किया था कि अमेरिका को असाधारण रूप से समृद्ध बनाने की उनकी योजना में यह सबसे महत्वपूर्ण तत्व था।