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आप और एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम हैं: दिग्विजय सिंह 

आप और एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम हैं: दिग्विजय सिंह 

एक ओर जहां नीतीश कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलकर विपक्षी एकता का ताना-बाना बुनने की कोशिश करते हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के ही बड़े नेता अरविंद केजरीवाल को बीजेपी की बी टीम बता देते हैं। ऐसे में क्या विपक्ष एकजुट हो पाएगा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा है कि आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम हैं। दिग्विजय सिंह का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश में विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने की बातें जोर-शोर से की जा रही हैं। बताना होगा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता के लिए दिल्ली के दौरे पर हैं। 

इस दौरान वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जेडीएस के मुखिया एचडी कुमारस्वामी, सपा संस्थापक मुलायम सिंह व उनके पुत्र अखिलेश यादव, इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला, जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी. राजा तक से मिल चुके हैं। 

कुछ दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पटना आकर नीतीश कुमार से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने के मद्देनजर मुलाकात की थी। 

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दिग्विजय सिंह ने न्यूज़ 24 से बातचीत में नीतीश कुमार के द्वारा विपक्षी नेताओं से मुलाकात पर कहा कि उनका स्वागत है। लेकिन दिग्विजय सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बता दिया। 

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस व्यक्ति में हिम्मत है, क्षमता है और विश्वास है, वह भारत जोड़ो यात्रा जैसी लंबी यात्रा को पूरा कर सकता है।

बताना होगा कि यह यात्रा 5 महीने लंबी है और 12 राज्यों से होते हुए 3570 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का कोई भी राजनीतिक मकसद नहीं है। 

2019 में एकजुट नहीं हुआ था विपक्ष

अब ऐसे में सवाल यह है कि जब कांग्रेस के इतने अनुभवी नेता और कई दशक से राजनीति कर रहे दिग्विजय सिंह आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम बताएंगे तो विपक्षी दलों की एकजुटता कैसे होगी। बताना होगा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से लेकर टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश की थी लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके थे। 

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करो या मरो की लड़ाई 

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए ने जिस तरह बड़ी जीत हासिल की है उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव विपक्षी दलों के लिए करो या मरो की लड़ाई बन गया है। देश के अंदर जो ताजा राजनीतिक हालात हैं उसे देखकर कहा जा सकता है कि 2024 के चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होना ही होगा वरना उनके लिए बीजेपी और एनडीए को हराना मुश्किल हो जाएगा। 

लेकिन एक ओर जहां नीतीश कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलकर विपक्षी एकता का ताना-बाना बुनने की कोशिश करते हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के ही बड़े नेता अरविंद केजरीवाल को बीजेपी की बी टीम बता देते हैं। 

अरविंद केजरीवाल का नेतृत्व

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करके प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई है। इसके अलावा केजरीवाल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावी ताल ठोक रहे हैं। केजरीवाल यह भी एलान कर चुके हैं कि उनकी पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। हालांकि अभी लोकसभा चुनाव में वक्त है और वह विपक्षी दलों के साथ आ सकते हैं लेकिन दिग्विजय सिंह के बयान के बाद वह ऐसा करने से दूर हो सकते हैं। 

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जबकि एआईएमआईएम के मुखिया और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भी मुस्लिम समुदाय में ठीक असर है। उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को 5 सीटों पर जीत दिलाई थी। हालांकि उत्तर प्रदेश में उन्हें बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था लेकिन मुस्लिम समुदाय के एक तबके में ओवैसी के प्रति झुकाव देखा जा सकता है। इसलिए केजरीवाल और असदुद्दीन ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताने से निश्चित रूप से विपक्षी एकता की कोशिश परवान नहीं चढ़ पाएगी। 

दिग्विजय सिंह के बयान को लेकर आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम अगर तीखी प्रतिक्रिया देते हैं तो विपक्षी एकजुटता की कोशिशें धड़ाम हो सकती हैं। 

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