अमरीकी ख़ुफ़िया संस्थान सीआईए का मानना है कि पत्रकार जमाल ख़शोगी (उनका नाम जमाल ख़ाशोग्ज़ी है) की हत्या सऊदी अरब युवराज मोहम्मद बिन सलमान के कहने पर की गई थी। इसके साथ ही सऊदी अरब पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव बढ़ गया है और उसका साथ देने वाले अमरीका जैसे देश भी परेशान हो सकते हैं। समझा जाता है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प इस मुद्दे पर रियाद की हिमायत करने की नीति पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
ऑडियो टेप ने खोला राज़
सीआईए ने कहा है कि हालांकि उसके पास इसे साबित करने के लिए कोई पुख़्ता सबूत नहीं है, पर इतना बड़ा फ़ैसला शहज़ादे की जानकारी के बग़ैर नहीं लिया जा सकता। सीआईए को दो ऑडियो टेप हाथ लगे हैं। एक टेप में कोई किसी से कह रहा है, ‘बॉस से कह दो कि काम हो गया।’
सीआईए का कहना है कि ख़शोगी की हत्या के बाद सऊदी दूतावास अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के छोटे भाई राजकुमार ख़ालिद बिन सलमान को फ़ोन किया गया था। वे अमरीका में सऊदी अरब के राजदूत भी हैं।
हत्या की बात मानी सऊदी सरकार ने
सऊदी सरकार ने हत्या की बात मान ली है। पर उसमें शाही परिवार के किसी शख़्स का हाथ होने से साफ इनकार किया है। उसका कहना है कि हत्या किसी बाहर के आदमी ने की है जिसका सरकार या शाही परिवार से कोई लेना देना नहीें है। अमरीकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट में नियमित स्तम्भ लिखने वाले ख़शोगी 2 अक्टूबर को तुर्की के इस्ताम्बूल स्थित दूतावास कुछ ज़रूरी क़ाग़जात लेने गए थे। वहां उनकी हत्या कर दी गई। उनकी लाश अब तक नहीं मिली है। तुर्की मीडिया का कहना है कि लाश को टुकड़े-टुकड़े कर तेज़ाब में डाल दिया गया और उसे बाद में नाली में बहा दिया गया।
अमरीका पर दबाव
सीआईए के हाल के दावे के बाद ख़ुद अमरीका पर दबाव बढ़ रहा है। अमरीका ने शुरू में इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली थी। बाद में राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा था कि वे यह नहीं मानते कि इस मुद्दे पर सऊदी अरब झूठ बोल रहा है। बाद में उन्होंने कहा था कि इस हत्या में सऊदी अरब का हाथ हो सकता है।रक्षा सौदे का पेच
सऊदी अरब की आलोचना नहीं करने और उसे सीधे तौर पर ज़िम्मेदार नहीं ठहराने की अमरीकी नीति के पीछे राजनीतिक और व्यावसायिक कारण हैं। रियाद और अमरीका के बीच रक्षा सौदों पर बीते दिनों ही दस्तख़त हुए। इससे अमरीका को तक़रीबन पंद्रह अरब डॉलर मिलेंगे। ट्रम्प ने यह साफ़ कर दिया है कि ख़शोगी हत्याकांड की वजह से रक्षा सौदा रद्द नहीं किया जाएगा।
अमरीकी राष्ट्रपति पर आरोप लग रहा है कि वे 15 अरब डॉलर की लालच में एक हत्याकांड पर पर्दा डाल रहे हैं। ख़शोगी की प्रेमिका ने कहा ही था कि ट्रम्प हत्यारे को बचाने के लिए लीपापोती कर रहे हैं।
अमरीकी राजनीति पर असर
रक्षा सौदे रद्द भले न हो, पर ट्रम्प को हाउस ऑफ़ रिप्रजन्टटिव्स को जवाब तो देना होगा। बीते दिनों हुए चुनाव के बाद इस नीचले सदन में विपक्षी दल डेमोक्रेट्स का बहुमत हो चुका है। यदि ट्रम्प ने नीति नहीं बदली तो विपक्ष उस सदन में सऊदी अरब या ट्रम्प प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करवा सकता है। यह राष्ट्रपति के लिए शर्म की बात होगी। ज़ाहिर है, ट्रम्प ऐसा नहीं चाहेंगे।
क्या है तुर्की कनेक्शन?
सीआईए के इस रहस्योद्घाटन के बाद तुर्की रियाद पर दबाव बढ़ा सकता है। अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी की निदेशक जीना हैस्पनेल बीते दिनों तुर्की गई थीं और वहां के अधिकारियों से मुलाक़ात कर ख़शोगी हत्याकांड पर पूरी जानकारी मांगी थी। वहां उन्हें वह टेप सुनाया गया था जिसमें बॉस से काम हो जाने की बात कहने को कहा जा रहा है। तुर्की राष्ट्रपति रिचप तैयब अर्दोआन शुरू से ही यह कहते आए हैं कि पत्रकार की हत्या में सऊदी राजघराने का हाथ है। हालांकि उनकी दिलचस्पी शहज़ादे सलमान को उनके पद से हटाने में नहीं है, पर वे सऊदी पर दबाव बढ़ा कर सियासी फ़ायदा उठाना चाहेंगे।कौन है ख़शोगी की प्रेमिका?
इसकी वजह है। ख़शोगी जिस महिला से निक़ाह करना चाहते थे और उसके लिए ज़रूरी दस्तावेज़ लेने ही सऊदी दूतावास गये थे, वह तुर्की की है। हातिच चंगिज़ से शादी के पहले ही सऊदी पत्रकार की हत्या हो गयी।
चंगिज़ ने अमरीकी राष्ट्रपति को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि वे इस मामले में लीपापोती न करें। अर्दोआन पर दवाब यह है कि वे अपने ही नागरिक के साथ खड़े दिखें, भले ही उन्हें इसके लिए रियाद का विरोध ही क्यों न करना पड़े। ट्रम्प भले ही हातिच के प्रति जवाबदेह न हो, अपनी संसद के प्रति हैं और वहां उन्हें ज़बरदस्त विरोध का सामना करना पड़ेगा।