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क्या मोदी वाराणसी में सिर्फ पूजा करने आए या ओबीसी वोटरों को इमोशनल करने आए?

क्या मोदी वाराणसी में सिर्फ पूजा करने आए या ओबीसी वोटरों को इमोशनल करने आए?

पीएम मोदी का रविवार को यूपी में बहुत व्यस्त कार्यक्रम रहा। लेकिन वाराणसी में उनकी गतिविधियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उसके राजनीतिक निहितार्थ हैं। जानिए पूरी कहानी।

प्रधानमंत्री मोदी की आज बस्ती, देवरिया वाराणसी में तीन रैलियां थीं और उन्हें दिल्ली लौटना था लेकिन उन्होंने दिल्ली में रात बिताने का फैसला किया और रात्रि विश्राम से पहले उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा की। रोड शो भी किया और रात में वाराणसी के बूथ कार्यकर्ताओं से बैठक की। वाराणसी में सरकार के नंबर 2 अमित शाह वहां के बूथ कार्यकर्ताओं से न जाने कितनी बैठक कर चुके हैं। लेकिन प्रधानमंत्री को भी बूथ कार्यकर्ताओं से फिजिकल बैठक करना पड़ी, यह बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।

वाराणसी में 7 मार्च को मतदान है लेकिन मोदी का वाराणसी में मात्र ढाई महीने के अंतराल में आकर कई कार्यक्रमों में शिरकत करना बता रहा है कि बीजेपी को वाराणसी में भी मेहनत करना पड़ रही है। चूंकि यह मोदी का लोकसभा क्षेत्र है, इसलिए उन पर कुछ ज्यादा ही जिम्मेदारी डाल दी गई है। मोदी 13 दिसम्बर 2021 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने यहां आए थे। इसके बाद वो वाराणसी के आसपास आते तो रहे लेकिन वाराणसी में रात नहीं गुजारी।

वाराणसी जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र हैं और सभी सीटों को निकालने की जिम्मेदारी पीएम मोदी पर है, क्योंकि वो यहां से सांसद है। लेकिन सुहेलदेव पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने शिवपुर सीट से अपने बेटे अरविंद राजभर को उतारकर बीजेपी नेताओं और आकाओं की नींद हराम कर दी है।दरअसल, ओमप्रकाश राजभर पहले बीजेपी के साथ गठबंधन में थे लेकिन 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद वे बीजेपी से अलग हो गए। वाराणसी जिले में 6-7 लाख ओबीसी वोटर सभी 8 सीटों पर फैले हुए हैं और निर्णायक भूमिका रखते हैं। इसी तरह तीन लाख मुस्लिम वोटर और तीन ही लाख ब्राह्मण वोटर भी तमाम विधानसभाओं में हार-जीत का अंतर घटाते-बढ़ाते रहते हैं। 

मोदी का इमोशनल अत्याचार

पीएम मोदी ने वाराणसी में आज जो भाषण दिया है, वो काफी इमोशनल था। उन्होंने कहा कि काशी में मेरी मृत्य की कामना की गई। लेकिन शिव भक्ति में अगर मेरी जान भी चली जाए तो मुझे मंजूर है। मेरी मौत की कामना किए जाने पर मुझे बड़ा आनंद आया। जनता इसका जवाब देगी। उनका पूरा भाषण धर्म को लेकर था। लेकिन अपनी मौत की कथित कामना वाली बात बताकर मोदी ने वाराणसी की सभी 8 सीटों के मतदाताओं को झकझोरने की कोशिश की। वाराणसी का किला फतह करने के लिए यह उनका आखिरी तीर था जिसे आज शाम उन्होंने होशियारी से चला दिया। सवाल ये है कि उनके मौत की कामना किसने की थी और किस तरह की थी। हुआ ये कि अखिलेश यादव ने एक रैली में यहां कहा था कि अंतिम समय में लोगों को वाराणसी में रहना चाहिए। अखिलेश ने किसी का नाम नहीं लिया था लेकिन सिर्फ प्रधानमंत्री को समझ आया कि वाराणसी में उनकी मौत की कामना की गई। हालांकि यह बात अखिलेश ने यहां बहुत पहले कही थी लेकिन मोदी ने उसका जवाब आज दिया।  

मोदी ने आज जो इमोशनल कार्ड वाराणसी में खेला, उसका नतीजा 10 मार्च को पता चलेगा। इस बार ओमप्रकाश राजभर की नेतागीरी भी इस इलाके में दांव पर लगी हुई है। अगर वो राजभर और अन्य ओबीसी जातियों को सपा के खाते में ट्रांसफर नहीं करा पाए तो उनकी नेतागीरी पर आंच आएगी। क्योंकि सपा के पास यादव और मुस्लिम वोटर का बड़ा आधार पहले से ही है। जिस तरह बताया जा रहा है कि ब्राह्मण योगी आदित्यनाथ से नाराज है और वो सपा की तरफ चला जाएगा। लेकिन यह मान भी लिया जाए कि कम से कम काशी का ब्राह्मण पहले की ही तरह बीजेपी के साथ रहेगा, तो भी राजभर के करतब से सपा यहां बीजेपी को चुनौती दे सकती है। 

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