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धनखड़ मिमिक्री कांड को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के पीछे भाजपा का क्या मकसद है?

धनखड़ मिमिक्री कांड को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के पीछे भाजपा का क्या मकसद है?

उपराष्ट्रपति धनखड़ की संसद के बाहर मिमिक्री का क्या राष्ट्रीय मुद्दा है। आखिर भाजपा इस मुद्दे को उठाकर किस तरफ से ध्यान मोड़ना चाहती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जयराम रमेश इस मुद्दे पर क्या कह रहे हैं। जानिएः

भाजपा के लिए संसद के बाहर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का मजाक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। प्रधानमंत्री से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री, लोकसभा स्पीकर, भाजपा के छुटभैए नेताओं तक के लिए यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। जैसा कि पिछली रिपोर्ट में बताया जा चुका है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह धनखड़ से संसद के बाहर हुई घटना पर अफसोस जताया। अपने खिलाफ बनाए गए मजाक को याद किया। पीएम का फोन पहुंचने के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला अपना अफसोस लेकर उपराष्ट्रपति से मिलने पहुंच गए। संसदीय कार्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, किरण रिजिजू, प्रह्लाद जोशी आदि मंगलवार से ही बयान देने में जुटे हैं। टीवी चैनलों पर बहस हो रही है। लेकिन सारे बहस के केंद्र से यह मुद्दा गायब है कि संसद के दोनों सदनों से 141 सदस्यों का निलंबन कितना जायज है। आखिर भाजपा इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए धनखड़ को हथियार बना रही है।

मंगलवार को क्या हुआ थाः मंगलवार को जब राज्यसभा 12 बजे तमाम हंगामे के बाद फिर से शुरू हुई तो राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ आसन पर आए। सांसदों को नसीहतें दी और ठीक 12.04 बजे सदन स्थगित कर दिया। सांसद बाहर निकले। वहां लोकसभा के विपक्षी सांसद बाहर पहले से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी वहां पहुंचे और सभापति धनखड़ की विभिन्न मुद्राओं के लिए नकल उतारने लगे। कांग्रेस सांसद जो सामने केसी वेणुगोपाल के साथ खड़े थे, उन्होंने मोबाइल निकालकर राहुल गांधी का वीडियो बना लिया। राहुल गांधी ने उस वीडियो को शेयर नहीं किया। लेकिन अन्य विपक्षी सांसदों और पत्रकारों ने मिमिक्री वाला वीडियो शेयर कर दिया। धनखड़ को बहाना मिला। उन्होंने राज्यसभा के फिर से लौटने पर इस घटना को किसान और जाट की अस्मिता से जोड़ दिया। संसद के बाहर हुई घटना पर संसद के अंदर बयान देते हुए धनखड़ ने कहा कि उनके किसान और जाट होने का मजाक उड़ाया जा रहा है। धनखड़ से विपक्ष जवाब मांग रहा था कि आखिर वो संसद की सुरक्षा मुद्दे पर बहस क्यों नहीं होने देना चाहते। इस सवाल का धनखड़ के पास कोई जवाब नहीं है और न ही उन्होंने जवाब दिया। 

राष्ट्रपति भी आहत, लेकिन महिलाओं के मुद्दे पर चुप

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी बुधवार को अपनी भावनाएं प्रकट कर दीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को "अपमानित" करने के तरीके पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को खुद को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति "गरिमा और शिष्टाचार के मानदंडों" के भीतर होनी चाहिए। राषट्रपति ने ट्वीट करके अपनी भावनाएं बचाईं। हालांकि महिला राष्ट्रपति होने के बावजूद मुर्मू उस समय चुप रहीं जब मणिपुर में महिलाओं से गैंगरेप करके उनकी नग्न परेड कराई गई, जब देश की नाम महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जब विरोध प्रदर्शन करने वाली महिला पहलवानों को पुलिस ने सड़कों पर घसीटा। 

क्या ध्यान भटकाना है मकसद

संसद से 141 विपक्षी सांसदों का निलंबन अप्रत्याशित घटना नहीं है। जो साफ-साफ नजर आ रहा है, उससे लगता है कि इस निलंबन की आड़ में महत्वपूर्ण मुद्दों पर विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया। तमाम विवादास्पद बिल इस दौरान पास करा लिए गए। जिसमें चुनाव आयोग, दूर संचार और अपराध संहिता से जुड़े विधेयक शामिल हैं। जब ये बिल देश में कानून बनकर लागू हो जाएंगे तो भारत की राजनीति भी पूरी तरह बदल जाएगी।। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी यही मानती है कि ध्यान भटकाने के लिए धनखड़ का इस्तेमाल हो रहा है।

जयराम रमेश ने क्या कहा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा-   पूरा मोदी इकोसिस्टम अब तथाकथित मिमिक्री के गैर-मुद्दे पर सक्रिय हो रहा है। जबकि यह असली मुद्दे पर चुप है कि मैसूर के एक भाजपा सांसद ने 13 दिसंबर को लोकसभा में दो आरोपियों के प्रवेश क्यों और कैसे दिलवाई, जिन पर अब आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं। पूरी तरह से वैध मांग करने के लिए 142 सांसदों के निलंबन पर भी यह इकोसिस्टम चुप है।

जाट राजनीति

संसद के बाहर हुई घटना पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बयान देकर इसे जाटों की इज्जत के साथ जोड़ दिया। उनके बयान के फौरन बाद जाट एसोसिएशन ने बयान देकर इसकी निन्दा भी कर दी। हालांकि धनखड़ समेत जाट एसोसिएशन किसानों के मुद्दों पर तब चुप रहे थे जब देश में किसान आंदोलन चरम पर था। दरअसल, किसान आंदोलन और महिला पहलवानों की वजह से जाट मतदाता भाजपा से बहुत दूर जा चुका है। राजस्थान में हाल के विधानसभा चुनावों में तमाम जाट बहुल सीटों से या तो कांग्रेस या आरएलडी प्रत्याशी जीते हैं। भरतपुर सीट पर जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी (रालोद) का प्रत्याशी था, जिस जीत हासिल हुई। रालोद पश्चिमी यूपी की पार्टी है और उसका आधार जाट और मुस्लिम मतदाता हैं। हरियाणा में भी तमाम जाट नेता महिला पहलवानों के मुद्दे पर अभी तक नाराज हैं और वे चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। हरियाणा की जाट लीडरशिप इस समय कांग्रेस के पास या फिर ओमप्रकाश चोटाला की पार्टी इनेलो के पास है। ये सारे फैक्टर भाजपा को परेशान कर रहे हैं और इसीलिए धनखड़ को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा रहा है।

भाजपा से 5 सवाल

सारे घटनाक्रम पर भाजपा से पांच सवाल तो बनते ही हैं। क्योंकि ये सवाल देश का मुख्यधारा का मीडिया सरकार से नहीं कर रहा है। अगर इन पांच मुद्दों का समाधान हो गया होता तो धनखड़ की मिमिक्री संसद के बाहर नहीं होती। 

1. संसद की सुरक्षा का उल्लंघन कैसे होने दिया गया? 2. क्या भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा पर कोई कार्रवाई हुई, जिन्होंने दोनों युवकों को पास जारी किया था? 3. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमितशाह ने संसद के बाहर बयान दिया लेकिन संसद में मुद्दे का समाधान करने में हस्तक्षेप नहीं किया?4. क्या संसद में संसद की सुरक्षा पर चर्चा न होने देना विपक्ष के साथ नाइंसाफी नहीं है और इस मुद्दे पर 141 सांसदों का निलंबन कहां का इंसाफ है?

5. संसद में अडानी का मुद्दा उठाने वाले राहुल गांधी पर कार्रवाई हुई। फिर संजय सिंह और महुआ मोइत्रा पर कार्रवाई हुई। हालांकि हर के लिए अलग-अलग मुद्दों पर कार्रवाई हुई लेकिन अडानी के मुद्दे पर यही तीन सांसद सबसे ज्यादा मुखर थे। क्या सांसदों के निलंबन का संबंध अडानी, चुनाव आयोग, दूरसंचार विधेयक पर बोलने से चुप कराना था?

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