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जज की रहस्यमय मौत; वासेपुर के बाद अब ‘गैंग्स ऑफ़ धनबाद’! 

जज की रहस्यमय मौत; वासेपुर के बाद अब ‘गैंग्स ऑफ़ धनबाद’! 

धनबाद में ज़िला जज उत्तम आनन्द की रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई। जज उत्तम आनन्द मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। वे रोज की भांति गल्फ ग्राउंड जा रहे थे कि एक वाहन ने उन्हें धक्का मार दिया और जज साहब की स्थल पर ही मौत हो गई।

झारखंड की औद्योगिक नगरी है धनबाद। कोयले की राजधानी के रूप में देश में इस शहर की पहचान है। कोकिंग कोल एकमात्र इसी इलाक़े से निकलता है लेकिन इन दिनों पूरा शहर सहमा हुआ है। कोरोना गाइडलाइन में थोड़ी बहुत राहत मिलने के बाद बाज़ार कुछ-कुछ ज़िंदा हो रहा था, चहल-पहल शुरू ही हुई थी कि कोयले के पड़ावों पर और कारोबारियों को जान की धमकी मिलनी शुरू हो गई है। बमबाजी भी तो यहाँ रूटीन बन गई है।

लोग तब और अधिक सशंकित हो गए जब धनबाद शहर के हृदयस्थल रणधीर वर्मा चौक पर ज़िले के जज उत्तम आनन्द की रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई। ख़बर की जो आउटलाइन बनी वह यह है कि ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनन्द मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। वे रोज की भांति गल्फ ग्राउंड जा रहे थे कि एक वाहन ने उन्हें धक्का मार दिया और जज साहब की स्थल पर ही मौत हो गई।

हालाँकि यह कहानी आमलोगों को हजम नहीं हो रही। रणधीर वर्मा चौक ऐसे ही ट्रैफिक से भरा रहता है। बगल में ज़िलाधिकारी, पुलिस प्रमुख के कार्यालय, ज़िला कोर्ट समेत अन्य अनगिनत छोटे-बड़े कार्यालय, कॉलेज आदि हैं। कभी ऐसी दुर्घटना हुई भी नहीं। आशंका तब और अधिक मज़बूत हो जाती है जब यह ख़बर आई कि रंजय हत्याकांड की सुनवाई मृत जज उत्तम आनन्द की अदालत में हो रही थी। रंजय का सम्बंध धनबाद के चर्चित परिवार सिंह मेंशन से है। सिंह मेंशन के ही संजीव सिंह पहले झरिया से बीजेपी विधायक हुआ करते थे। रंजय की हत्या के बाद धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज सिंह की भी एके 47 से ताबड़तोड़ गोलियाँ चलाकर हत्या कर दी गई थी। संजीव और नीरज चचेरे भाई हैं। नीरज की हत्या के मामले में संजीव फ़िलहाल दुमका जेल में बन्द हैं। नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह वर्तमान में झरिया से कांग्रेस विधायक हैं।

नीरज सिंह की हत्या में अमन सिंह नामक शूटर का भी इस्तेमाल हुआ था। आरोप है कि अपने भाई नीरज की हत्या कराने के लिए संजीव सिंह ने ही शूटर हायर किया था। अमन सिंह भी रांची जेल में बन्द है। वह यूपी का रहनेवाला है। 

जज की मौत पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वे न सिर्फ़ संजीव सिंह के क़रीबी रहे रंजय हत्याकांड की सुनवाई कर रहे थे बल्कि उन्होंने नीरज सिंह हत्याकांड के शूटर व संजीव सिंह के क़रीबी अमन सिंह गिरोह के दो शूटर अभिनव और रवि ठाकुर को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

ऐसी आशंकाओं को तब और अधिक बल मिलता है जब जेल से अमन सिंह गिरोह ने अपना सिक्का कोयलांचल में जमाना शुरू किया। अभी कुछ समय पहले वासेपुर में ज़मीन कारोबारी लाला खान की हत्या कर दी गई। दावा किया गया कि रंगदारी नहीं देने के कारण अमन सिंह ने ही यह कांड कराया। पहले वासेपुर अलग कारणों से अशांत था। इसी पर 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' फ़िल्म बनी थी। वासेपुर अब पटरी पर आ रहा था कि नए गैंग ने पूरे शहर को ही अशांत कर दिया है।

धनबाद शहर से 20 किलोमीटर दूर कतरास कोयलांचल में भी संजय लोयलका नामक कोयला कारोबारी के घर बम फेंका गया। चिट्ठी फेंकी गई। रंगदारी नहीं मिलने पर लाला खान जैसी घटना के लिए तैयार रहने को कहा गया।

अब जब जज साहब दुर्घटना के शिकार हुए तो ठीक इसके कुछ देर बाद कोयला कारोबारी हाराधन मोदक को वाट्सऐप कॉल के ज़रिए धमकी दी जा रही थी कि रंगदारी पहुँचाओ नहीं तो अमन सिंह तुम्हें भी मज़ा चखाएगा। जिस समय व्यवसायी को यह धमकी मिल रही थी उनके आवास पर राज्य के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के नेता जलेश्वर महतो भी मौजूद थे। इसके कुछ घंटे पहले हाराधन मोदक के आवास पर रात को बम फेंका गया था। आज भी एक ज़िंदा बम बरामद हुआ है। हाराधन मोदक पहले बाघमारा के बीजेपी विधायक ढुलू महतो के क़रीबी थे। मतभेद होने के बाद वे कांग्रेस के जलेश्वर महतो के साथ आए हैं। बाघमारा के कोल स्पॉटों पर उनकी कुछ समय पहले तक मज़बूत पकड़ रही है। राज्य का निज़ाम बदलते ही उन्हें भी जेल जाना पड़ा था।

जो भी गैंग हो उसकी नज़र सिर्फ़ कोयला, कोयले के अड्डों और कोयला कारोबारियों पर है। अमन का नाम लेकर ही धनबाद मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर दामोदा कोलियरी के घुटवे पैच आउटसोर्सिंग में अंधाधुंध गोलियाँ चलाकर दहशत फैलाया गया। एक चिट्ठी भी छोड़ी गई कि अमन सिंह को नोट पहुँचाओ नहीं तो जान पर चोट आएगी।

धनबाद में सार्वजनिक कोयला कम्पनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की स्थिति इधर चरमरा गई है। पूरी कम्पनी आउटसोर्स के बल पर खड़ी है। आउटसोर्सिंग कम्पनियाँ ही माफिया एवं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों के लिए चारागाह बन गई है। धनबाद पुलिस की बड़ी ऊर्जा इसी आउटसोर्सिंग कम्पनियों को ठीक करने में जाया होती है।

कोल इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल अभी धनबाद आए थे। निर्माणाधीन वाशरी की कार्य प्रगति देखकर वे गए। उन्होंने कहा कि कोयले का उत्पादन बढ़ाना ज़रूरी है। कोकिंग कोल के आयात के कारण ही देश को विदेशी मुद्रा का नुक़सान होता है। माफियाई वर्चस्व के कारण ही यहाँ का वर्क कल्चर गड़बड़ाया है और सार्वजनिक कोयला कम्पनी चारागाह बन गई है। उन्होंने कहा कि धनबाद को CBM अर्थात कोल बेड मिथेन का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मिलेगा। एक कार्बन फ्री पावर प्लांट भी इलाक़े को मिलेगा। हालांकि कोयलांचल की हवा में बारूद का गंध मिलने से कारोबारी सहम गए हैं और कारोबार चौपट हो रहा है।

सत्तर के दशक में राष्ट्रीयकरण के पहले भी दबदबा की लड़ाई चल रही थी। मज़दूर नेता बीपी सिन्हा, उमाकांत सिंह, सकलदेव सिंह, विनोद सिंह, सुरेश सिंह, संजय सिंह, प्रमोद सिंह, मनोहर सिंह, ओम सिंह, मुखराम सिंह, राजदेव राय, विधायक गुरुदास चटर्जी, विधायक अपर्णा सेनगुप्ता के पति सुशांत सेनगुप्ता समेत अनगिनत लोगों की जानें अब तक जा चुकी हैं।

नए मामलों में वास्तव में जेल से अमन सिंह ही रिमोट से अपना साम्राज्य चला रहे हैं या अमन का नाम बेचकर कोई दूसरा शख्स कोलफील्ड का 'अमन' बिगाड़ रहा है, यह भी अहम सवाल है।

धनबाद के नए पुलिस कप्तान संजीव कुमार को कोयले की बारीक जानकारी है। बीजेपी की सत्ता रहने के बावजूद कभी उन्होंने ही बाघमारा के विधायक ढुलू महतो को जेल भेजने का दुस्साहस किया था। नए मामले ने कारोबारियों और कोयला कामगारों को जहाँ सशंकित कर दिया है वहीं पुलिस और सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। धनबाद देश को कोकिंग कोल देता है जबकि धनबाद रेल मंडल देश भर में राजस्व वसूली में दूसरे नम्बर पर है।

एसएसपी संजीव कुमार का कहना है कि कई मामलों में अनेक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लोग भयमुक्त होकर रहें इसकी व्यवस्था की जा रही है।

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