+
जम्मू-कश्मीर: डीजी (जेल) की हत्या के मामले में आरोपी गिरफ्तार 

जम्मू-कश्मीर: डीजी (जेल) की हत्या के मामले में आरोपी गिरफ्तार 

पुलिस को इस मामले में लोहिया के घरेलू सहायक यासिर अहमद पर शक था क्योंकि वारदात के बाद से ही वह फरार था। लेकिन अब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। 

जम्मू-कश्मीर में डायरेक्टर जनरल (जेल) हेमंत कुमार लोहिया की हत्या के मामले में आरोपी यासिर अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया है। लोहिया का शव सोमवार रात को जम्मू शहर के बाहरी इलाके उदयवाला में स्थित एक घर पर मिला था। लोहिया का गला रेता गया है और उनके शव पर जलाए जाने के निशान भी मिले हैं।  

पुलिस को इस मामले में लोहिया के घरेलू सहायक यासिर अहमद पर शक था क्योंकि वारदात के बाद से ही वह फरार था। लेकिन अब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। 

लोहिया को इस साल अगस्त महीने में ही डीजीपी (जेल) की जिम्मेदारी दी गई थी। पुलिस इस मामले में उनके आवास के बाहर तैनात और घर के लोगों से पूछताछ कर रही है। पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है। 

यह वारदात ऐसे वक्त में हुई है जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं और उन्हें जम्मू जिले के राजौरी और बारामुला में रैलियों को संबोधित करना है।

इंडिया टुडे के मुताबिक, हेमंत कुमार लोहिया इन दिनों अपने दोस्त राजीव खजूरिया के घर पर रुके हुए थे क्योंकि उनके घर पर मरम्मत का काम चल रहा था। 57 साल के लोहिया 1992 बैच के आईपीएस अफसर थे।  

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने इस मामले में पत्रकारों को बताया कि हेमंत कुमार लोहिया के पांव में चोट थी और पांव में मरहम लगाने के लिए यासिर अहमद उनके कमरे के अंदर गया था। उन्होंने बताया कि यासिर ने अचानक कमरे की कुंडी लगा दी और उन पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। इसके बाद उसने एक कपड़े के टुकड़े पर आग लगाकर डीजी (जेल) के ऊपर भी फेंका। 

आतंकियों का खूनी खेल 

सोमवार को ही बारामुला जिले में देहरादून के रहने वाले ग्रामीण बैंक ब्रांच के मैनेजर आतंकवादियों की गोलियों से बाल-बाल बचे थे। कुछ दिन पहले जम्मू के उधमपुर में 8 घंटे के अंदर दो बम धमाके हुए थे और इसमें दो लोग जख्मी हुए थे। 

कश्मीर में आतंकियों का खूनी खेल जारी है और बीते एक साल में बड़ी संख्या में वे आम लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। इनमें से कई लोग बिहार के भी हैं। इस साल अगस्त में राजौरी में आतंकियों ने सेना के शिविर पर आत्मघाती हमला किया था, जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी भी मारे गए थे। 

बीते साल श्रीनगर में माखन लाल बिंदरू की हत्या के दो दिन बाद ही आतंकवादियों ने दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी। बिहार के वीरेंद्र पासवान की भी श्रीनगर के लाल बाज़ार में हत्या कर दी गई थी। 

लगातार हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडितों ने उन्हें सुरक्षित इलाकों में भेजे जाने की मांग को लेकर आंदोलन किया था। घाटी में हो रही हत्याओं को लेकर वे लोग दहशत में हैं और उन्हें जम्मू ट्रांसफर किए जाने की मांग उठा रहे हैं। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें