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मतभेद हो सकते हैं लेकिन शिवसेना हमारी दुश्मन नहीं: फडणवीस

मतभेद हो सकते हैं लेकिन शिवसेना हमारी दुश्मन नहीं: फडणवीस

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो अब यह भी कह दिया है कि शिवसेना से हमारे मतभेद हो सकते हैं लेकिन शिवसेना हमारी दुश्मन बिल्कुल भी नहीं है। इससे महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों का बाज़ार तेज़ हो गया है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की है तब से महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी उथल-पुथल का दौर तेज़ हो गया है। इस समय सरकार भले ही महा विकास अघाड़ी की है, लेकिन चर्चा बीजेपी और शिवसेना की होती है। पिछले काफ़ी दिनों से बीजेपी और शिवसेना के नेताओं के बयानों से ऐसा लग रहा है कि दो पुराने साथी फिर एक-दूसरे के क़रीब आ रहे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत जहाँ प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ कर चुके हैं वही अब बीजेपी के नेता भी शिवसेना पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो अब यह भी कह दिया है कि शिवसेना से हमारे मतभेद हो सकते हैं लेकिन शिवसेना हमारी दुश्मन बिल्कुल भी नहीं है। फडणवीस के इस बयान के बाद एक बार फिर से महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों का बाज़ार तेज़ हो गया है।

फिर साथ आएँगी बीजेपी-शिवसेना?

महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है और उसी की पूर्व संध्या पर जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिवसेना के साथ दोनों पार्टियों के रिश्तों के बारे में सवाल पूछा गया कि क्या बीजेपी और शिवसेना फिर से सरकार बना सकते हैं, तो फडणवीस ने कहा कि शिवसेना हमारी दुश्मन नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीति में किंतु-परंतु के लिए कोई जगह नहीं होती। हमारे शिवसेना से मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वो हमारी दुश्मन बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में अब फडणवीस का यह कहना ही दिखाता है कि शिवसेना और बीजेपी के बीच जो विधानसभा चुनाव के बाद तकरार बढ़ गई थी, अब वो कम होती दिख रही है।

शिवसेना नेता भी चाहते हैं बीजेपी से गठबंधन? 

वैसे भी देवेंद्र फडणवीस से पहले शिवसेना के कई नेता दबी जुबान में बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन की बात कर चुके हैं। शिवसेना के विधायक और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के क़रीबी माने जाने वाले प्रताप सरनाईक ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखकर यह वकालत की थी कि बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है और ऐसा इशारा किया था कि अगर हम बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाते हैं तो यह पार्टी के हित में होगा। 

इससे पहले सीएम उद्धव ठाकरे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर चुके हैं। मुलाक़ात के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ़ कर दी थी और बीजेपी की सफलता का क्रेडिट भी उन्हें दिया था।

 - Satya Hindi

ऐसे में इस तरह के तारीफ़ करने वाले बयान देना, सीएम की पीएम से मुलाक़ात होना और अब फडणवीस का बयान आना महाराष्ट्र की राजनीति में नई सुगबुगाहट की ओर इशारा करते हैं।

वैसे भी, पिछले काफ़ी समय से महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेता शिवसेना पर हमला करने से बच रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी के नेताओं ने अब शरद पवार की पार्टी एनसीपी के बड़े नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्रियों को घेरना शुरू कर दिया है। कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील ने गृह मंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी लिखकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के बड़े नेता अजित पवार के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी, और उसके कुछ दिन बाद ही अजित पवार की पत्नी की चीनी मिलों पर ईडी ने कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया था। ऐसे में राजनीतिक पंडित यही मान रहे हैं कि बीजेपी एनसीपी के नेताओं को टारगेट कर और शिवसेना को क़रीब लाकर महाराष्ट्र में एक बार फिर से सरकार बना सकती है।

उधर दूसरी ओर बीजेपी और शिवसेना की नज़दीकियों की आहट के बाद से एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी काफ़ी सक्रिय हो गए हैं। वो भी विपक्षी दलों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। पिछले एक महीने में शरद पवार राजनीतिक गुरु प्रशांत किशोर के साथ कई बार बैठक कर चुके हैं। उनकी दूसरे दलों के नेताओं के साथ भी बैठकें हो रही हैं। दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र में कांग्रेस भी फिर अकेले चुनाव लड़ने का दम भर रही है। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में कब क्या हो जाए, यह बता पाना अब मुश्किल हो गया है।

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