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अमेरिेका में जगह-जगह ज़ोरदार प्रदर्शन, प्रतिबंध हटाने की माँग

अमेरिेका में जगह-जगह ज़ोरदार प्रदर्शन, प्रतिबंध हटाने की माँग

अमेरिका के अलग-अलग जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया है और माँग की है कि कोरोना की वजह से लगाई गई पाबंदियाँ हटाई जाएँ।

अमेरिका के अलग-अलग जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया है और माँग की है कि कोरोना की वजह से लगाई गई पाबंदियाँ हटाई जाएँ ताकि वे पहले की तरह रोज़मर्रा की ज़िन्दगी जी सकें।

इसके उलट स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि ये पाबंदियाँ फ़िलहाल ज़रूरी हैं। ये प्रदर्शन वैसे समय हो रहे हैं जब राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने राज्यों से कहा है कि वे अपने हिसाब से प्रतिबंध हटाएँ। 

अमेरिकी राज्य मिशीगन की राजधानी लान्सिंग में हज़ारों लोग अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ कर मुख्य सड़क पर आ गए, प्रशासन के दफ़्तर के आगे जाम लगा दिया और हॉर्न बजाने लगे। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों की वजह से छोटे व्यापार बर्बाद हो रहे हैं।

प्रदर्शन, नारेबाजी

एक दूसरे राज्य केंटकी की राजधानी फ़्रैंकफोर्ट में गवर्नर के कार्यालय के सामने हज़ारों लोगों ने नारेबाजी ठीक उसी समय की जब वह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। डेमोक्रेट गवर्नर एंडी बेशियर ने लोगों को समझाने बुझाने की कोशिश की, उनकी आवाज़ शोरगुल में डूब गई।

उत्तरी कैरोलाइना की राजधानी रैले में प्रदर्शन इतना ज़ोरदार था कि पुलिस बुलानी पड़ी, एक महिला प्रदर्शनकारी को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया।

ओहायो और न्यूयॉर्क राज्यों में भी इस तरह के प्रदर्शन हुए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि इस तरह के प्रदर्शन की योजना टेक्सस, ओरेगॉन और कैलिफ़ोर्निया जैसे राज्यों में भी है। 

दो करोड़ बेरोज़गार

इन प्रदर्शकारियों की बेचारगी समझी जा सकती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बीते कुछ हफ़्तों में 2.20 करोड़ लोगों ने श्रम कार्यालय में बेरोज़गारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए आवेदन किया है, यानी इतने लोगों की नौकरी हाल-फ़िलहाल गई है। समझा जाता है कि इसकी वजह कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियाँ हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि यह मानना ग़लत होगा कि इन प्रदर्शनों में सिर्फ़ हाशिए पर खड़े समूहों और समुदायों के लोग थे। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और जल्द ही यह पूरे देश में फैल सकता है।

राजनीतिक ग़लती!

रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े ग्रेग मैकनेली ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि सारी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते समय गवर्नरों ने लोगों का मूड भाँपने में ग़लती की। उन्होंने कहा कि पहले से ही निर्वाचित प्रतिनिधियों पर आम जनता का बहुत अधिक भरोसा नहीं रहा है और यह संकट उन्हें ऐसी स्थिति की ओर धकेल रहा है जहाँ लोग शायद उन पर फिर भरोसा न करें।

इसका राजनीतिक रूप इस तरह सामने आ रहा है कि एक सर्वे में डेमोक्रेट्स ने कहा है कि रिपब्लिकन्स ने प्रतिबंधों का पालन उस तरह नहीं किया जैसा ख़ुद उन्होंने किया है।

गैलप पोल में भाग लेने वालों में ज़्यादातर लोगों ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था बंद रखने के बजाय कोरोना की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

सज़ा की चिंता नहीं

लोगों के गुस्से का आलम यह है कि लोग खुले आम कह रहे हैं कि वे प्रशासन की अवमानना करने ही सड़कों पर उतरे हैं और उन्हें किसी की परवाह नहीं है। आइडाहो फ्रीडम फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष वॉयन हॉफ़मैन ने कहा, ‘हमें हुक़्मऊदूली करनी ही है।’ उन्होंने कहा, 

‘आपको अपनी और दूसरों की सेहत का ख्याल रखना चाहिए, आपको अपनी आजीविका का भी ध्यान रखना चाहिए, अपने कर्मचारियों का भी ख्याल रखना चाहिए।’


वॉयन हॉफ़मैन, अध्यक्ष, आइडाहो फ्रीडम फ़ाउंडेशन

प्रदर्शन के एक दिन पहल आइडाहो के रिपब्लिकन गवर्नर ब्रैड लिटिल ने अप्रैल के अंत तक प्रतिबंध बढ़ा दिए थे। 

इस वायरस से मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा अमेरिका में ही है। वहाँ अब तक इस संक्रमण से 37,175 लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी चपेट में 7,10,272 आ चुके हैं। 

कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 1,54,266 लोगों की मौत हो चुकी है। इस रोग की चपेट में अब तक 22,50,790 लोग आ चुके हैं, जिनमें से 5,71,149 लोग ठीक हो चुके हैं। 

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