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तीन राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 22 मामले, तीसरी लहर की आशंका

तीन राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 22 मामले, तीसरी लहर की आशंका

तीन राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि इसी नये वैरिएंट के 22 मामले महाराष्ट्र सहित तीन राज्यों में मिले हैं। इससे अब तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। 

तीन राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। यह देश में दूसरी लहर के दौरान कहर ढाने के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले डेल्टा का ही नया वैरिएंट है। केंद्र सरकार ने कहा है कि इसी नये वैरिएंट के 22 मामले महाराष्ट्र सहित तीन राज्यों में मिले हैं। महाराष्ट्र में विशेषज्ञ पहले ही डेल्टा प्लस वैरिएंट के कारण तीसरी लहर की आशंका जता चुके हैं। अब केंद्र सरकार भी इस पर चिंतित है। 

डेल्टा प्लस वैरिएंट के ये मामले महाराष्ट्र के रत्नागिरि और जलगाँव के साथ ही केरल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मिले हैं। वैक्सीन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख वीके पॉल ने कहा, 'केंद्र ने इन राज्यों को उनकी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के बारे में एक सलाह भेजी है। हम नहीं चाहते कि यह छोटी संख्या एक बड़ा रूप ले ले।' जिन लोगों में इस नये वैरिएंट के मामले मिले हैं उनको ट्रैस किया जा रहा है कि किन-किन के संपर्क में ये लोग आए होंगे। 

अभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर ने मैथमैटिकल मॉडल का अध्ययन कर अनुमान लगाया है कि यदि 15 जुलाई तक कोरोना लॉकडाउन ख़त्म हो गया तो सितंबर-अक्टूबर में तीसरी लहर आ सकती है। यह भी अनुमान लगाया गया है कि यदि ऐसा हुआ तो रोज़ाना 2-5 लाख लोगों के संक्रमित होने की आशंका है। 

महाराष्ट्र में इसी हफ़्ते डेल्टा प्लस वैरिएंट के कारण कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई गई है। यह चिंता की वजह इसलिए है कि यह नया वैरिएंट उसी डेल्टा वैरिएंट का नया रूप है जिसे देश में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है। शोध में तो यह सामने आ रहा है कि डेल्टा वैरिएंट जहाँ शरीर के इम्युन सिस्टम से बच निकलता है वहीं इसके नये वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा भी निष्प्रभावी साबित हो सकती है। इस दवा के बारे में कहा जा रहा है कि यह कोरोना मरीज पर एक दिन में ही काफ़ी ज़्यादा प्रभावी साबित हो रही है। 

महाराष्ट्र ने प्रत्येक ज़िले से 100 नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि 15 मई से अब तक 7,500 नमूने लिए गए हैं जिनमें डेल्टा प्लस के लगभग 21 मामले पाए गए हैं।

पिछले हफ़्ते ही महाराष्ट्र के टास्क फोर्स ने आशंका जताई थी कि यदि कोरोना को लेकर लापरवाही बरती गई तो एक या दो महीने में तीसरी लहर आ जाएगी। इस संभावित तीसरी लहर का जो कारण बनेगा वह होगा नया वैरिएंट 'डेल्टा प्लस'।

डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले आने के बीच ही महाराष्ट्र में संभावित तीसरी लहर के लिए तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की गई थी। उस बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे। उसमें मुख्यमंत्री को बताया गया कि बेहद तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा प्लस वैरिएंट राज्य में तीसरी लहर ला सकता है। 

 - Satya Hindi

राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने तब कहा था कि पहली लहर से कहीं ज़्यादा संक्रमण के मामले दूसरी लहर में आए थे और ऐसा डेल्टा वैरिएंट की वजह से हुआ था। उन्होंने आशंका जताई है कि तीसरी लहर में और ज़्यादा संख्या में कोरोना के मरीज़ आ सकते हैं।

राज्य में पहली लहर में 19 लाख संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे जबकि दूसरी लहर में क़रीब 40 लाख पॉजिटिव केस दर्ज किए जा चुके हैं। अधिकारियों ने चिंता जताई है कि तीसरी लहर में सक्रिए मामलों की संख्या क़रीब 8 लाख तक पहुँच सकती है और इसमें से क़रीब 10 फ़ीसदी बच्चे होंगे।

अब एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के कोविड टास्क फोर्स के एक सदस्य ओम श्रीवास्तव ने कहा, 'यह चिंताजनक है क्योंकि हम इस बारे में पर्याप्त नहीं जानते हैं कि यह कैसे व्यवहार करने वाला है। हमने जिन रूपों को देखा है, उनमें कुछ बहुत अलग परिदृश्य रहे हैं।' डॉ. श्रीवास्तव ने कहा, 'हम जानते हैं कि दुनिया के अन्य हिस्सों में डेल्टा वैरिएंट बहुत संक्रामक है और यह बहुत तेज़ी से फैलता है और यह बहुत ही कम समय में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।'

महाराष्ट्र के अधिकारियों की चिंता की वजह डेल्टा प्लस इसलिए है कि शुरुआती शोध के आधार पर इसे डेल्टा वैरिएंट से भी ज़्यादा घातक माना जा रहा है। ऐसा इसलिए कि डेल्टा वैरिएंट नाम से प्रचलित बी.1.617.2 वैरिएंट को भारत में दूसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार माना गया। 

भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।

बता दें कि इंस्टीट्यूट ऑफ़ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी यानी आईजीआईबी में चिकित्सक और कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञानी डॉ. विनोद स्कारिया ने हाल ही में डेल्टा प्लस स्ट्रेन को लेकर सचेत किया है। उनका कहना है कि डेल्टा प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा के निष्क्रिय होने के सबूत मिल रहे हैं। ऐसे में यह ज़्यादा घातक हो सकता है। 

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