जब बच्ची थी तो पिता ने यौन हमला किया था: स्वाति मालीवाल

09:21 am Mar 12, 2023 | सत्य ब्यूरो

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने खुलासा किया कि बचपन में उनके पिता ने उनका यौन शोषण किया था। उन्होंने कहा कि इस पीड़ा देने वाले अनुभव का उन पर एक स्थायी प्रभाव पड़ा और इसी वजह से उन्हें महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरणा मिली।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार समारोह के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मालीवाल ने खुलासा किया कि चौथी कक्षा तक उन्होंने दुर्व्यवहार का सामना किया था। उन्होंने कहा, 'जब मैं बच्ची थी तब मेरे पिता ने मेरा यौन उत्पीड़न किया था। मैं उस समय बहुत छोटी थी। मेरे पिता मुझे मारते थे और मैं खुद को बचाने के लिए बिस्तर के नीचे छिप जाती थी।'

उन्होंने कहा, 'बिस्तर के नीचे छिपकर मैं सोचती थी कि मैं ऐसे पुरुषों को कैसे सबक सिखाऊंगी जो महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और मैं महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने में कैसे मदद कर सकती हूं।'

अपनी आपबीती सुनाते हुए मालीवाल ने कहा कि उनके पिता उसकी चोटी पकड़कर उसे दीवार पर पटक देते थे, जिससे काफी ज़्यादा खून बहता था। 

हाल ही में अभिनेता और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य खुशबू सुंदर ने कहा था कि 8 साल की उम्र में उनके पिता ने उनका यौन शोषण किया था। उन्होंने कहा था, 'सबसे कठिन चीज जिसमें मुझे लंबा समय लगा, वह भूलना नहीं था, माफ करना नहीं था, बल्कि उस शोषण को पीछे छोड़ आगे बढ़ना था जिसका मैंने एक बच्चे के रूप में अपने पिता से सामना किया था। जब एक बच्चे के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, तो यह बच्चे को जीवन भर के लिए डरावना होता है।'

बता दें कि जब तब बच्चों के यौन शोषण पर रिपोर्ट आती रही हैं और उनमें अधिकतर आरोपी बच्चों के जानने वाले या क़रीबी ही होते हैं। कई बार बाल दुर्व्यवहार मजाक करते-करते कर लिया जाता है, तो कई बार अनुशासन व सुधार के नाम पर दुर्व्यवहार होता है। 

साल 2007 में महिला और बाल विकास मंत्रालय के द्वारा कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक़ जिन बच्चों का सर्वेक्षण किया गया उनमें से 53 प्रतिशत ने कहा था कि वह किसी न किसी क़िस्म के यौन शोषण के शिकार हुए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ बड़ी संख्या में शोषणकर्ता परिवार के, क़रीबी या जानने वाले होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें 'भरोसे के और देख-रेख करने वाले लोग' ही अधिकतर होते हैं जिनमें अभिभावक, रिश्तेदार और स्कूल शिक्षक शामिल हैं।