लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 28 सितंबर को भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के बसपा सांसद दानिश अली पर की गई अपमानजनक टिप्पणी और अपशब्द कहने के मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया है। यह समिति अब इस मामले की जांच करेगी।
इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक हफ्ते बाद यह मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया है। यह रिपोर्ट बताती है कि समिति न सिर्फ बिधूड़ी के खिलाफ शिकायतों की जांच करेगी, बल्कि दानिश अली के खिलाफ भी कुछ शिकायतों की जांच करेगी।
सांसद दानिश अली पर कुछ भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने और रमेश बिधूड़ी को टिप्पणी करने के लिए "उकसाने" का आरोप लगाया था।
यह घटना 21 सितंबर की है जब नए भवन में संसद का विशेष सत्र चल रहा था। लोकसभा में बोलते हुए, रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली के खिलाफ कई आपत्तिजनक और सांप्रदायिक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इस टिप्पणी की विपक्ष ने और सोशल मीडिया पर देश के आम लोगों ने जमकर निंदा की थी। इस घटना के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी पार्टी के सांसद की ओर से संसद में माफी मांगी थी।
इसके बाद बसपा सांसद दानिश अली और चार विपक्षी दलों कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और राकांपा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर रमेश बिधूड़ी के खिलाफ तत्काल दंडात्मक कार्रवाई की मांग की थी।
दूसरी तरफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और रवि किशन ने भी बाद में अध्यक्ष को पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि सांसद दानिश अली ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। ये सभी शिकायतें अब विशेषाधिकार समिति को भेज दी गई हैं।
निशिकांत दूबे ने दानिश अली पर लगाया उकसाने का आरोप
एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रमेश बिधूड़ी द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा की निंदा की थी, लेकिन मांग की थी कि दानिश अली के "अशोभनीय" आचरण की भी जांच की जाए।उन्होंने आरोप लगाया है कि जब बिधूड़ी बोल रहे थे, तो बसपा सांसद उन्हें "उकसाने में व्यस्त" थे और उन्होंने अपनी ऊंची आवाज में पीएम मोदी के खिलाफ "अत्यधिक आपत्तिजनक और निंदनीय टिप्पणी" की थी। निशिकांत दुबे के मुताबिक, मुझे लगता है कि दानिश अली द्वारा दिया गया यह बयान किसी भी देशभक्त जन प्रतिनिधि के लिए 'अपनी शांति खोने' और भद्दे शब्द बोलकर उनके जाल में फंसने के लिए काफी था।
क्योंकि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है
निशिकांत दुबे ने 28 सितंबर को एक्स पर लिखा है कि लोकसभा अध्यक्ष @ombirlakota जी का आभार,उन्होंने दानिश अली प्रकरण में @LokSabhaSectt की कमिटि को जांच का ज़िम्मा सौंपा । आज यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है, नहीं तो पहले लोकसभा ने 2006 में RJD-JDU-congress का जूता व माईक मारपीट,2012 में सोनिया गांधी जी की मारपीट व 2014 में तेलंगाना बनने के समय फैटा फाईट व सांसद को घायल देखा,ना कमेटी बनी ना सजा हुई।वहीं दानिश अली ने भाजपा पर झूठी कहानी गढ़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया था और दावा किया था कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा या किया है।
उन्होंने कहा कि आज, कुछ भाजपा नेता यह कहानी गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं कि मैंने संसद में रमेश बिधूड़ी को उकसाया, जबकि सच्चाई यह है कि मैंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को बचाने के लिए काम किया।
जिसे बताओ नोटिस जारी किया उसे दी अहम जिम्मेदारी
संसद में हुई 21 सितंबर की घटना के बाद भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को उनकी अपमानजनक टिप्पणियों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। वहीं 27 सितंबर को एक सप्ताह बाद ही भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को राजस्थान के टोंक जिले में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करने का प्रभार दिया है।पार्टी को उम्मीद है कि गुर्जर समुदाय से होने के कारण वह जिले की चार सीटों पर वोट पाने में मदद कर सकते हैं। टोंक जिला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कांग्रेस नेता और गुर्जर जाति से आने वाले सचिन पायलट का गढ़ भी माना जाता है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि रमेश बिधूरी गुर्जर वोट बैंक को भाजपा की तरफ मोड़ने में कामयाब हो सकते हैं।
उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के एक सप्ताह बाद ही यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने पर विपक्षी नेताओं ने भाजपा पर तीखे हमले किए हैं। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इसे बिधूड़ी को नफरत फैलाने का इनाम मिलना बताया है। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी एक्स पर भाजपा की इसके लिए आलोचना की है।