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नोएडा-दिल्ली सीमा पर ट्रैफिक जाम, बैरिकेड्स तोड़कर निकले किसान

नोएडा-दिल्ली सीमा पर ट्रैफिक जाम, बैरिकेड्स तोड़कर निकले किसान

यूपी के क़रीब 20 जिलों के किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी पाँच बड़ी मांगें हैं। जानें, क्या आख़िर जाम कैसे लगा।

उत्तर प्रदेश के कई जिलों से हजारों किसान अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली की ओर बढ़े। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कई जगहों पर बेरिकेड्स लगाए और इस वजह से नोएडा-दिल्ली सीमा पर जबर्दस्त ट्रैफिक जाम रहा। इस बीच किसान बैरिकेड्स को तोड़कर दिल्ली के लिए निकले। पुलिस की कार्रवाइयों से नोएडा- दिल्ली मार्ग पर जाम लग गया। नोएडा एक्सप्रेस-वे दोनों तरफ से बंद हो गया।

दिल्ली-नोएडा सीमा पार करने वाले यात्रियों को सोमवार को भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पुलिस ने किसानों के राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च के मद्देनजर कई बैरिकेड्स लगाए थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीमाओं पर जाँच चल रही है और निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

पुलिस ने नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं, जिससे नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच सड़क जाम हो गया। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पूर्व) सागर सिंह कलसी ने कहा, 'हमने पूर्वी दिल्ली की सीमाओं पर पर्याप्त व्यवस्था की है और दंगा-रोधी उपकरणों सहित सभी एहतियाती कदम उठाए हैं। हम निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और इलाक़े में वाहनों की सुचारू आवाजाही के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ समन्वय भी कर रहे हैं।' 

ट्रैफिक जाम होने पर स्थानीय निवासियों ने नाराज़गी जताई है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रेटर नोएडा की निवासी अपराजिता सिंह ने कहा कि चिल्ला सीमा पर लगाए गए बैरिकेड्स यात्रियों के लिए बड़ी असुविधा पैदा कर रहे हैं।

बता दें कि किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। इससे पहले 1 दिसंबर को किसानों ने नोएडा के डीएम मनीष वर्मा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, लेकिन यह बैठक बेनतीजा साबित रही। किसान अपनी मांगों को लेकर पहले भी दिल्ली कूच कर चुके हैं। अब भारतीय किसान परिषद और भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

किसानों की प्रमुख मांगें

क़रीब 20 जिलों के किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी पाँच बड़ी मांगें हैं। किसानों को पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले 10% प्लॉट दिया जाए। 64.7% की दर से किसानों को मुआवजा मिले। नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार, बाजार दर का 4 गुना मुआवजा दिया जाए और 20 प्रतिशत भूखंड। भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के सभी फायदे दिए जाएं। उच्चाधिकार समिति द्वारा पारित मुद्दों पर सरकारी आदेश और आबादी वाले क्षेत्रों का उचित बंदोबस्त किया जाए।

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