निर्भया बलात्कार व हत्याकांड के दोषियों ने गुरुवार की रात फांसी से बचने के लिए एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने इस पर सुनवाई की। उन्होंने सुनवाई के बाद देर रात याचिका खारिज कर दी। सुबह दोषियों को मृत्युदंड दिया जाना तय है।
निर्भया के दोषियों ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए फांसी रोकने की मांग की थी। निर्भया के दोषियों के वकील ए. पी. सिंह का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पेंडिंग होने के बावजूद पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी पर रोक नहीं लगाई।
निर्भया रेप और हत्याकांड मामले में चारो दोषियों को अब कल सुबह साढ़े पाँच बजे फाँसी दी जाएगी। कारण चारों दोषी अलग-अलग समय पर दया याचिका जैसे अपने क़ानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हीं कारणों से उनकी फाँसी अब तक तीन बार टाली जा चुकी है। उन चारों को तीन मार्च को फाँसी की सज़ा दी जानी थी। लेकिन इससे पहले ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के कारण दो मार्च को इस पर रोक लगा दी गई थी। अदालत ने पाँच मार्च को चौथी बार डेथ वारंट जारी किया। चारो दोषियों- विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय सिंह को फाँसी दी जानी है।
अदालत ने गुरुवार को जिन याचिकाओं को खारिज किया है कि उनमें दोषियों की ओर से यह कहते हुए फाँसी टालने के लिए प्रार्थना की गई थी कि उनके पास अभी क़ानूनी अधिकार बचे हुए हैं। सरकारी वकील इरफ़ान अहमद ने कोर्ट को बताया, 'अब कोई भी क़ानूनी अधिकार नहीं बचे हैं। राष्ट्रपति द्वारा पवन और अक्षय की दूसरी दया याचिका पर भी विचार नहीं किया गया है।' उन्होंने कहा कि वे 100 याचिकाएँ भी दाखिल कर सकते हैं, लेकिन वे कोई क़ानूनी अधिकार नहीं हैं।
उधर सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश सिंह की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने दिल्ली हाई कोर्ट के एक फ़ैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में मुकेश की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि 2012 में घटना के दिन वह दिल्ली में नहीं था।
बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। बस में अक्षय कुमार सिंह हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस जघन्य कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था। एक दोषी जो नाबालिग था उसे तीन साल की जेल के बाद छोड़ दिया गया था।