दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव का एलान हो गया है। दिल्ली चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बताया कि एमसीडी के चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होगा और नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। चुनाव आयोग ने गुरुवार को गुजरात के चुनाव का एलान किया था। गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि हिमाचल प्रदेश के साथ ही नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।
तय है कि गुजरात और एमसीडी के चुनाव के लिए प्रचार एक साथ ही होगा। दिल्ली के निर्वाचन आयुक्त विजय देव ने बताया कि एमसीडी चुनाव में ईवीएम के जरिए वोटिंग होगी। एमसीडी चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का काम 7 नवंबर से शुरू होगा और 14 नवंबर तक चलेगा।
बताना होगा कि एमसीडी के चुनाव इस साल मार्च में प्रस्तावित थे लेकिन केंद्र सरकार ने कहा था कि वह दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने जा रही है और इस वजह से एमसीडी के चुनाव लटक गए थे।
इसके बाद वार्डों का परिसीमन किया गया था। केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले दिल्ली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी।
आम आदमी पार्टी ने वार्डों के परिसीमन का विरोध किया था और कहा था कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है। आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि बीजेपी शासित इन नगर निगमों में जबरदस्त भ्रष्टाचार है और ये बेहद जर्जर हालात में हैं।
बता दें कि साल 2012 तक दिल्ली में एकीकृत नगर निगम था लेकिन दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने इसे उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों में बांट दिया था। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम का कार्यकाल इस साल मई में समाप्त हो गया था।
250 वार्ड बनाए
तीनों नगर निगमों को मिलाकर दिल्ली में कुल 272 वार्ड थे लेकिन वार्डों के परिसीमन के बाद अब 250 वार्ड होंगे। इनमें से 42 वार्ड महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगे। 104 वार्डों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है।
2017 में जब एमसीडी के 272 वार्डों में चुनाव हुआ था तो बीजेपी को 181 वार्डों में जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 वार्डों पर जीत मिली थी।
पंजाब के विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी जोर-शोर से इन चुनाव को लड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के तमाम नेताओं ने मोदी सरकार और बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वे जानबूझकर नगर निगम चुनाव में देरी कर रहे हैं।
कूड़े के पहाड़, यमुना की सफाई पर घमासान
एमसीडी चुनाव की आहट होते ही कूड़े के पहाड़ और यमुना नदी की सफाई पर राजनीति शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली नगर निगम में अपने पिछले 15 साल के शासन में यहां कूड़े के ढेर लगा दिए हैं। जबकि बीजेपी यमुना नदी की सफाई को लेकर केजरीवाल सरकार को घेर रही है।
आम आदमी पार्टी इन दिनों कूड़े के पहाड़ को लेकर बीजेपी पर हमलावर है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कुछ दिन पहले गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने दिल्ली को गंदगी और कूड़े के पहाड़ के सिवा और दिया क्या है। केजरीवाल के गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर पहुंचने से पहले बड़ी संख्या में बीजेपी के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए थे और उन्होंने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था।
यमुना की सफाई का मुद्दा
आम आदमी पार्टी के द्वारा कूड़े के ढेर को मुद्दा बनाए जाने के बाद बीजेपी के तमाम नेता यमुना की सफाई के मुद्दे पर मैदान में उतर आए हैं। बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार छठ पूजा के लिए यमुना से झाग मिटाने के लिए जहरीले केमिकल का छिड़काव करवा रही है और अगर किसी महिला को इस जहरीले पानी में पूजा करने से कोई नुकसान हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि जिस यमुना सफाई के प्रोजेक्ट को लेकर केजरीवाल सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे, उसे केंद्र सरकार ने शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने यमुना की सफ़ाई के लिए आजतक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया।
आप को जिता पाएंगे केजरीवाल?
दिल्ली और पंजाब में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात की सियासी जमीन नाप रहे हैं। गुजरात के चुनाव के साथ ही एमसीडी के चुनाव का एलान होने की सूरत में अरविंद केजरीवाल को अपना पूरा जोर एमसीडी के चुनाव में लगाना होगा क्योंकि पिछली बार दिल्ली में सरकार होते हुए भी एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को तगड़ी शिकस्त मिली थी। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह इस बार एमसीडी चुनाव में बीजेपी को धूल चटा देगी।
निश्चित रूप से एमसीडी के चुनाव में अरविंद केजरीवाल की प्रतिष्ठा दांव पर है और देखना होगा कि वह एमसीडी में आम आदमी पार्टी का मेयर बना पाते हैं या नहीं।