लोकपाल ने सीबीआई को महुआ मोइत्रा के खिलाफ जांच करने का दिया आदेश 

04:58 pm Mar 20, 2024 | सत्य ब्यूरो

लोकपाल ने टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सवाल पूछने के बदले रुपये लेने के मामले में लगे आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। 

लोकपाल ने कहा है कि भ्रष्टाचार एक बीमारी है और यह देश के हालात पर गलत प्रभाव डाल रहा है। भ्रष्टाचार के चलते विधायी, प्रशासनिक और सामाजिक और आर्थिक कामकाज सभी पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। लोकपाल ने सीबीआई को छह महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

साथ ही कहा है कि शिकायत में लगाए गए सभी आरोपों के विभिन्न पहलुओं की सीबीआई जांच करें। इसके साथ ही 

लोकपाल ने सीबीआई को कहा है कि वह फाइनल रिपोर्ट देने से पहले हर महीने आवधिक रिपोर्ट देने को कहा है।  सवाल पूछने के बदले रुपये लेने के आरोप में महुआ मोइत्रा की बीते 8 सितंबर को सांसदी चली गई थी। लोकसभा से अपने निष्कासन के खिलाफ महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।  

अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोकपाल के आदेश में उल्लेख किया गया है कि महुआ मोइत्रा को व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर विलासिता की वस्तुएं, यात्रा व्यय, छुट्टियां आदि प्राप्त हुईं और नई दिल्ली में उनके तत्कालीन आधिकारिक बंगले के नवीनीकरण के लिए उनके समर्थन की मांग की गई थी। 

लोकपाल ने सीबीआई को पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की आगे जांच करने और छह महीने के भीतर अपने निष्कर्षों पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। 

द हिंदू की रिपोर्ट कहती है कि, लोकपाल के फैसले में कहा गया है कि रिकॉर्ड पर मौजूद संपूर्ण सामग्री के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और विचार के बाद, इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं रह गया है कि प्रतिवादी लोक सेवक के खिलाफ लगाए गए आरोप, जिनमें से अधिकांश ठोस सबूतों द्वारा समर्थित हैं, बेहद गंभीर प्रकृति के हैं। 

इसलिए, हमारी राय में, सच्चाई स्थापित करने के लिए एक गहरी जांच की आवश्यकता है। इसलिए हम सीबीआई को निर्देश देते हैं कि शिकायत में लगाए गए आरोपों के सभी पहलुओं की जांच करें, और जांच रिपोर्ट की एक प्रति जमा करें।

लोकपाल ने अपने आदेश में कहा है कि, सीबीआई हर महीने जांच की स्थिति के संबंध में आवधिक रिपोर्ट दाखिल करेगी। 

द हिंदू की रिपोर्ट कहती है कि लोकपाल के आदेश में शिकायतकर्ता और महुआ मोइत्रा के नाम का उल्लेख नहीं है। उसे एक अन्य लोकसभा सांसद से शिकायत मिली थी, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने शिकायतकर्ता को पत्र लिखकर उन पर गंभीर आरोप लगाए थे।