दो महीने पहले जामिया मिल्लिया इसलामिया कैंपस में जिस 'पुलिस बर्रबरता' से पुलिस इनकार करती रही थी उसका एक वीडियो सामने आया है। इसमें दिख रहा है कि हॉल में एक साथ कई पुलिस कर्मी घुसते हैं और बैठकर पढ़ाई कर रहे छात्रों को पुलिसकर्मी लाठियों से पीटने लगते हैं। इस वीडियो को जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया है। यह घटना तब की है जब जामिया के छात्र नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे और उस दिन हिंसा हुई थी। इसके बाद पुलिस ने कैंपस में घुसकर देर शाम को कार्रवाई की थी। तब पुलिस पर बरर्बता करने के आरोप लगे थे, लेकिन पुलिस ने हल्की कार्रवाई किए जाने की बात कही थी।
जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर जारी किया है। इसमें इसने लिखा है, 'ओल्ड रीडिंग हॉल के फ़र्स्ट फ़्लोर- एम.ए/एम फ़िल सेक्शन में पुलिस बरर्बता की एक्सक्लूसिव सीसीटीवी फ़ुटेज।'
जामिया मिल्लिया इसलामिया के नाम से ट्विटर हैंडल से भी इस वीडियो को पोस्ट किया गया है। इसमें पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की गई है। इस पोस्ट में लिखा गया है, 'इस वीडियो को देखिए और सोचिए कि दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों पर किस तरह की बरर्बता की है। लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे छात्रों पर बिना किसी ग़लती के हमला किया जा रहा है।' इसने एक अन्य ट्वीट में माँग की है कि इस हमले के लिए दिल्ली पुलिस पर एफ़आईआर दर्ज की जाए।
यह मामला 15 दिसंबर को नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है। तब दिन में बसों सहित कई वाहनों को आग लगा दी गई थी। तब जामिया के छात्रों ने हिंसा में शामिल होने से इनकार किया था और इस मामले में बयान भी जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन कर रहे छात्रों के ख़िलाफ़ कैंपस परिसर में पुलिस ने कार्रवाई की थी। इससे विवाद खड़ा हो गया था। विश्वविद्यालय के चीफ़ प्रोक्टर वसीम अहमद ख़ान ने कहा था कि पुलिस एक तो विश्वविद्यालय प्रशासन की बिना अनुमति के ही घुसी, फिर छात्रों को पीटा गया और उन्हें कैंपस से बाहर निकाला गया। छात्रों के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई के विरोध में जामिया और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने देर रात को दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। बाद में यह भी रिपोर्ट आई थी कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया था कि हिंसा के लिए स्थानीय बदमाश ज़िम्मेदार थे। बाद में कुछ स्थानीय लोगों की पहचान भी की गई थी।
कुलपति ने कहा था- एफ़आईआर करवाएँगे
घटना के अगले दिन यानी 16 दिसंबर को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि वह कैंपस में रविवार शाम को पुलिस के घुसने को लेकर उच्च स्तरीय जाँच की माँग करेगा। इसके साथ ही इसने यह भी कहा था कि एफ़आईआर भी दर्ज कराई जाएगी। सोमवार को विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि पुलिस बिना अनुमति के ही कैंपस में घुसी थी। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया था कि 'इस लड़ाई में हमारे छात्र अकेले नहीं हैं, बल्कि मैं भी उनके साथ हूँ।'
तब नजमा अख्तर ने कहा था, 'हमारे विश्वविद्यालय कैंपस में पुलिस के घुसने के ख़िलाफ़ हम एफ़आईआर दर्ज कराएँगे। आप संपत्ति को फिर से दुरुस्त कर सकते हैं, लेकिन जो छात्रों पर बीती है उसकी आप भरपाई नहीं कर सकते हैं। हम इस मामले में उच्च स्तरीय जाँच की माँग करते हैं।'