दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी नया आरोपपत्र दाखिल करने वाली है। इसे अगले तीन हफ्ते के अंदर दाखिल किए जाने की संभावना है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आरोपपत्र में अब आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया जा सकता है। यदि इसे आरोपी बनाया जाता है तो पार्टी की संपत्ति जब्त की जा सकती है, बैंक खाते फ्रीज किए जा सकते हैं और इस तरह पार्टी को ख़त्म किया जा सकता है। तो क्या आप के लिए अब आगे का वक़्त कुछ इसी तरह का होने वाला है?
पिछले साल अक्टूबर में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पूछा था कि यदि पीएमएलए के तहत शराब नीति से एक राजनीति पार्टी को फायदा पहुंचा, तो फिर वो पार्टी इस केस में शामिल क्यों नहीं? अदालत ने पूछा था कि इस मामले में वह आरोपी या पक्षकार क्यों नहीं है? बाद में 16 अक्टूबर को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जस्टिस संजीव खन्ना और एसवी भट्टी की पीठ के सामने कहा था कि ईडी धारा 70 का इस्तेमाल करते हुए आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने पर विचार कर रही है। लेकिन इसने इसके लिए पहले और जाँच करने की बात कही थी।
अब आप को आरोपी बनाए जाने की चर्चा है। ऐसा इसलिए कि उसके बाद से इस मामले में अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, के कविता जैसे नेताओं की गिरफ़्तारी हो चुकी है और एजेंसी ने इस बीच कई जगहों पर छापे भी मारे हैं।
बीआरएस नेता के कविता को 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। इस हिसाब से 60 दिन की समय सीमा में आरोपपत्र दाखिल किया जाना चाहिए। यानी 15 मई तक दिल्ली आबकारी नीति मामले में नया आरोपपत्र दाखिल किये जाने की संभावना है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि आरोपपत्र अंतिम मसौदा तैयार किए जाने के चरण में है। रिपोर्ट के अनुसार इस नये आरोपपत्र में चार या पांच आरोपियों के नाम शामिल होने की संभावना है।
इस मामले में अब तक छह आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। अब नये पूरक आरोपपत्र में केजरीवाल और कविता के अलावा गोवा स्थित राजनीतिक कार्यकर्ता चनप्रीत सिंह का नाम भी शामिल होने की संभावना है। उनको 15 अप्रैल को गिरफ्तार गिया गया और उन पर गोवा विधानसभा चुनाव के लिए आप के फंड का प्रबंधन करने का आरोप लगाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि हवाला लेनदेन में कथित तौर पर शामिल एक या दो और लोगों के नाम भी आरोपपत्र में शामिल किए जाने की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार ईडी अधिकारियों ने कहा है कि आप को आरोपी पार्टी के रूप में नामित करना एक अभूतपूर्व कदम है और उनके पास इसके समर्थन में ठोस कानूनी सलाह थी।
बता दें कि पिछले साल 4 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने ईडी की पैरवी कर रहे एएसजी एसवी राजू से पूछा था, 'जब इस पूरे मामले में कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ, तो आखिर पार्टी को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया?' सुनवाई के दौरान पीठ ने एक और सवाल पूछा था कि क्या कैबिनेट नोट को कोर्ट ऑफ लॉ में लाया जा सकता है? क्योंकि इसे भी संसदीय कार्रवाई की तरह इम्यूनिटी है।' बाद की सुनवाई में ईडी की तरफ़ से कहा गया था कि वह आप को आरोपी बनाने पर विचार कर रही है।
तो सवाल है कि क्या किसी राजनीतिक पार्टी को आरोपी बनाया जा सकता है? इस मामले में क़ानूनी जानकार क्या कहते हैं? केजरीवाल और सिसोदिया के लिए शीर्ष अदालत में पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आप, एक राजनीतिक इकाई है और इसको पीएमएलए की धारा 70 के प्रावधानों के तहत एक कंपनी के रूप में नहीं माना जा सकता है। कानून के अस्तित्व के 20 वर्षों में कभी भी किसी राजनीतिक दल के खिलाफ इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 'यदि ईडी ऐसा करती है तो पूरा विचार संपत्ति जब्त करना, बैंक खाते फ्रीज करना, एक राजनीतिक दल को पंगु बनाना और ख़त्म करने का है। यह लोकतंत्र और आयकर एवं पीएमएलए अधिनियमों के इतिहास में अभूतपूर्व होगा। इससे यह भी साफ़ हो जाएगा कि राजनीतिक गतिविधियों को कथित वित्तीय उल्लंघनों के आधार पर कमजोर किया जा सकता है और चुनावों के दौरान रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।'
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, 'एक राजनीतिक दल एक वैधानिक निकाय और लोगों की एक संरचना है। यह अनुचित कदम होगा और इससे कुछ हासिल नहीं होगा। इस तरह के कदम से दुर्भावना की बू आती है और यह हताशा का कदम होगा। यह और कुछ नहीं बल्कि बदनाम करने का प्रयास है और पीएमएलए की धारा 70 के प्रावधानों का पूर्ण दुरुपयोग है।'
धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 70 कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित है।
ईडी ने आरोप लगाया था कि आप दिल्ली शराब घोटाले में उत्पन्न अपराध की आय का एक प्रमुख लाभार्थी है, आप ने केजरीवाल के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है और इस तरह अपराध धारा 70, पीएमएलए के अंतर्गत आते हैं।