कोरोना काल की वजह से पिछले डेढ़ साल से बंद पड़े स्कूलों में फिर से चहल-पहल लौटने जा रही है। कुछ अन्य राज्यों की तरह दिल्ली भी स्कूलों को खोलने जा रही है और यह निश्चित रूप से उन हज़ारों बच्चों के लिए बहुत बड़ी ख़ुशख़बरी है, जो घरों में बंद होकर ऑनलाइन पढ़ाई करने को मजबूर थे और दोस्तों से मिलने के दिन का इंतजार कर रहे थे।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर बताया कि 1 सितंबर से 9 वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूल खुल जाएंगे जबकि 8 सितंबर से कक्षा 6 से 8 तक के स्कूल खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को खोला गया था, ठीक उसी तरह स्कूलों को खोला जाएगा।
सिसोदिया ने कहा कि 1 सितंबर से सभी कॉलेज, विश्वविद्यालयों को भी खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो।
दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्रालय संभाल रहे सिसोदिया ने कहा कि बच्चों को स्कूल में आने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अगर माता-पिता की इजाजत नहीं है तो किसी बच्चे पर स्कूल आने के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा।
उन्होंने कहा कि लोगों से इस संबंध में सुझाव मांगे गए थे और स्कूल नहीं खोलने के पक्ष में बहुत कम लोग सामने आए। द ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ने भी मांग की थी कि स्कूलों को फिर से खोला जाना चाहिए।
टीकाकरण पर जोर
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले एक महीने में दिल्ली के टीचर्स के टीकाकरण के लिए विशेष अभियान चलाए हैं और सरकारी स्कूलों में 98 फ़ीसदी टीचर्स व पूरे स्टाफ़ ने वैक्सीन की पहली डोज़ लगा ली है और जल्द ही उन्हें दूसरी डोज़ लगवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों ने भी कहा है कि उनके अधिकतर स्टाफ़ ने वैक्सीन लगवा ली है।
डीडीएमए की एक विशेषज्ञ कमेटी ने चरणबद्ध तरीक़े से स्कूल खोलने की सिफ़ारिश की थी। कमेटी ने कहा था कि बड़ी कक्षाओं को पहले शुरू किया जाए और उसके बाद छोटी कक्षाओं में पढ़ाई शुरू कराई जानी चाहिए।
हालांकि कई राज्यों में सरकारों ने स्कूलों को खोला है लेकिन बेहद अलर्ट रहने की भी ज़रूरत है क्योंकि कम उम्र होने के चलते बच्चे बहुत ज़्यादा सावधानी नहीं रख पाते, इसलिए अब स्कूल के स्टाफ़ के साथ ही माता-पिता की भी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी।
दिल्ली और पूरे देश भर में स्कूल बीते साल कोरोना की पहली लहर आने के बाद लगे लॉकडाउन के कारण बंद कर दिए गए थे। इसके बाद से ही बच्चों को लंबे वक़्त तक घरों में ही क़ैद रहना पड़ा था। हालांकि बीते कुछ महीनों में बच्चे फिर से घर से बाहर निकले हैं लेकिन बच्चों के लिए स्कूल जैसा कुछ नहीं होता, जहां पर वे एक ही जगह में अपने सारे दोस्तों से मिल सकते हैं।