दिल्ली-एनसीआर में हवा इतनी ज़हरीली हो गई है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपात स्थिति घोषित कर दी गई है। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए काम करने वाली संस्था ने कहा है कि वायु प्रदूषण इतना ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गया है कि इसका स्वास्थ्य पर और ख़ासतौर पर बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत ख़तरनाक असर होगा।
पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने पाँच नवंबर की सुबह तक निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा क़दम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इस मौसम में पहली बार एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी हवा की गुणवत्ता 'सीवियर प्लस' यानी काफ़ी ज़्यादा गंभीर हो गई है।
201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे सीवियर यानी ‘गंभीर’ माना जाता है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स से हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' अपेक्षाकृत मोटे कण होते हैं।
बता दें कि दीपावली के बाद दिल्ली में बुधवार को शाम पाँच बजे हवा की गुणवत्ता औसत रूप से 419 तक पहुँच गयी थी।
पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने इस पूरे मौसम में पटाखे छोड़ने पर रोक लगा दी है। अधिकारी ने कहा कि यदि हवा की गुणवत्ता 48 घंटे से अधिक समय तक ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में बनी रहती है तो ऑड-ईवन योजना, शहर में ट्रकों के प्रवेश पर रोक, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध और स्कूलों को बंद करने जैसे आपातकालीन उपाय उठाये जाते हैं।
इधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्कूली बच्चों को ‘मास्क’ बाँटने के दौरान कहा कि शहर ‘गैस चैंबर’ बन गया है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों- हरियाणा और पंजाब को भी इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया। बता दें कि इस मौसम में किसान फ़सल की ठूँठ को जलाते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में धुएँ के बादल बन जाते हैं।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर केजरीवाल पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा समस्या का समाधान नहीं करेंगे।