दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डीएसपी दविंदर सिंह को जमानत दे दी है। दविंदर सिंह को जमानत इसलिए मिली क्योंकि दिल्ली पुलिस उसके ख़िलाफ़ तय समय में चार्जशीट तक दाख़िल नहीं कर सकी। दविंदर के अलावा एक अन्य अभियुक्त इरफ़ान शफ़ी मीर को भी जमानत मिल गई है।
दविंदर सिंह को इस साल जनवरी में आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर कार में पकड़ा गया था। इसके बाद दविंदर को नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। तब सवाल उठे थे कि गणतंत्र दिवस से पहले दविंदर आतंकवादियों को दिल्ली क्यों ले जा रहा था।
बुधवार को दविंदर सिंह और इरफ़ान शफ़ी मीर ने जमानत के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। उनका कहना था कि चूंकि पुलिस 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाख़िल नहीं कर सकी है, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। जमानत के लिए दायर याचिका में कहा गया था कि अभियुक्तों को ग़लत और झूठे ढंग से फंसाया गया।
दविंदर सिंह के साथ पकड़े गए दो आतंकवादियों में से एक नावीद बाबू भी था। नावीद बाबू को शोपियां में बेहद ख़तरनाक आतंकवादी माना जाता है और उस पर कई पुलिसकर्मियों और फल व्यापारियों की हत्या का आरोप है।
दविंदर सिंह 16 जून तक जम्मू-कश्मीर की हीरा नगर जेल में न्यायिक हिरासत में था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल उसे मार्च के महीने में एक मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली लाई थी।
पुलिस ने अदालत को पिछली सुनवाइयों में बताया था कि नावीद कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन का कमांडर था और वह दिल्ली और देश के दूसरे इलाक़ों में आतंकवादी हमले करने की साज़िश रच रहा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल आतंकवादी हमले की साज़िश रचने में इनकी भूमिका की जांच कर रही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के वाची गांव के सरपंच तारिक़ अहमद मीर को गिरफ़्तार किया था। तारिक़ का नाम नावीद बाबू से पूछताछ के दौरान सामने आया था।
मीर पर हिज़बुल के आतंकवादियों को हथियार सप्लाई करने का आरोप है। यह गिरफ़्तारी जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी रहे दविंदर सिंह के मामले में चल रही जांच के दौरान मिली अहम जानकारी के बाद की गई थी। मीर ने 2014 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और दिसंबर, 2014 में श्रीनगर में हुई एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच भी साझा किया था।
दविंदर के साथ पकड़े गए आतंकवादी उसके श्रीनगर स्थित घर पर भी रुके थे। 2001 में संसद पर हुए हमले के दोषी अफज़ल गुरू ने भी दविंदर सिंह का नाम लिया था। दविंदर सिंह पर यह भी आरोप हैं कि उसने ही अफज़ल गुरू को दिल्ली भेजा था और संसद पर हुए हमले के लिए साजो-सामान जुटाया था। फांसी से पहले अफज़ल गुरू ने एक ख़त लिखा था जिसमें उसने कहा था कि दविंदर सिंह ने उससे संसद पर हमले के दोषियों का साथ देने के लिए कहा था।
दविंदर सिंह की गिरफ़्तारी को लेकर कांग्रेस काफी मुखर रही थी। तब राहुल गांधी ने पूछा था कि दविंदर की गिरफ़्तारी पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और एनएसए चुप क्यों हैं राहुल ने पूछा था, ‘पुलवामा हमले में दविंदर सिंह की क्या भूमिका थी उसने कितने आतंकियों की सहायता की और उसे कौन और क्यों बचा रहा था’