निर्भया कांड के दोषियों की फाँसी अगले आदेश तक फिर टली

06:35 pm Jan 31, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

फाँसी से कुछ घंटे पहले ही निर्भया रेप और हत्या के चारों दोषियों की फाँसी की सज़ा फिर टल गई है। दिल्ली के एक कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक अगला आदेश जारी नहीं हो तब तक उनकी फाँसी नहीं हो सकती है। कोर्ट का यह फ़ैसला चारों में से एक दोषी विनय की याचिका पर आई है। हाल के दिनों में फाँसी की सज़ा को टालने के लिए चारों दोषियों की ओर से अलग-अलग कई याचिकाएँ दायर की जा रही हैं। इसमें से एक याचिका पवन गुप्ता की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी जिसमें माँग की गई थी कि वह अपने पहले के फ़ैसले की समीक्षा करे। पवन गुप्ता का दावा है कि घटना के समय वह नाबालिग था और इस लिहाज़ से केस को सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उसकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मूल याचिका पहले ही खारिज कर दी थी।

दिल्ली कोर्ट के इस ताज़ा फ़ैसले के बाद चारों दोषियों- पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय सिंह और विनय शर्मा को शनिवार सुबह छह बजे फाँसी नहीं होगी। कोर्ट का यह फ़ैसला विनय शर्मा की याचिका पर आया है। नियम के अनुसार, यदि राष्ट्रपति उसकी दया याचिका आज ही खारिज कर देते हैं तो भी उसे 14 दिन का समय मिलेगा। 

इस नियम के तहत अब फाँसी के लिए नयी तारीख तय होगी। इसके लिए जेल अधिकारियों के साथ नया शेड्यूल तय होगा। जैसा कि ऐसे मामलों में पैटर्न रहा है 13वें दिन दूसरे दोषी भी दया याचिका डाल सकते हैं। 

बता दें कि 2012 के दिल्ली गैंगरेप के इस मामले में इससे पहले भी एक बार फाँसी की सज़ा टल गई थी। 22 जनवरी को उन्हें फाँसी दी जानी थी। लेकिन 17 जनवरी को दिल्ली की अदालत ने आदेश दिया था कि चारों दोषियों को एक फ़रवरी को फाँसी दी जाएगी। कोर्ट का वह फ़ैसला तब आया था जब इससे पहले उसी दिन सुबह ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मौत की सज़ा पाए मुकेश सिंह की दया खारिज कर दी थी।

गैंगरेप पीड़िता की माँ आशा देवी ने इस पर प्रतिक्रिया में कहा था, 'जो मुजरिम चाहते थे वही हो रहा है... तारीख़ पे तारीख़, तारीख़ पे तारीख़। हमारा सिस्टम ऐसा है कि जहाँ दोषी की सुनी जाती है।'

बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

 बस में अक्षय कुमार सिंह हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस जघन्य कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था। एक दोषी जो नाबालिग था उसे तीन साल की जेल के बाद छोड़ दिया गया था।