राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के पद पर नियुक्ति के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा है। सीबीआई के निदेशक रह चुके अस्थाना की नियुक्ति का जबरदस्त राजनीतिक विरोध हुआ था। राकेश अस्थाना के बारे में कहा जाता है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नज़दीकी हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच 8 सितंबर को मामले में अगली सुनवाई करेगी।
इस मामले में सेंटर फ़ॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि अस्थाना की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार वाले मामले में दिए गए फ़ैसले को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जिन बातों को आधार बनाया गया है, उन्हें ही आधार बनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में भी वकील सदरे आलम की ओर से याचिका दायर की गई थी।
आलम ने मांग की थी कि अस्थाना की नियुक्ति को रद्द कर दिया जाना चाहिए। 25 अगस्त को शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था कि वह आलम की याचिका पर दो हफ़्ते के अंदर फ़ैसला दे।
‘कॉपी-पेस्ट कर दिया’
सीपीआईएल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सीपीआईएल की ओर से इस मामले में जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, याचिकाकर्ता ने उसे ही सीधा कॉपी-पेस्ट कर हाई कोर्ट में दायर कर दिया है। भूषण ने कहा कि यह पूरी तरह दिल्ली हाई कोर्ट के नियमों का उल्लंघन है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यहां तक कि इस याचिका में टाइपिंग की ग़लतियां भी हूबहू वैसी ही हैं। मेहता ने याचिका दायर करने वालों पर ‘प्रोफ़ेशनल पीआईएल पिटीशनर्स’ होने का तंज भी कसा।
याचिका खारिज करने की मांग
इसके बाद भूषण ने कहा कि इस मामले में उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है और वे यहां पर इसे लेकर बहस नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि इस याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए और उदाहरण के लिए कुछ आर्थिक दंड भी लगाया जाना चाहिए, क्योंकि यह अदालत के सारे नियमों का उल्लंघन करती है।
प्रकाश सिंह के मामले में फ़ैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2019 के प्रकाश सिंह वाले मामले में अपने आदेश में कहा था कि ऐसा कोई भी अफ़सर जिसके रिटायरमेंट में 6 महीने से कम का वक़्त बचा हो, उसे किसी भी राज्य में पुलिस का प्रमुख नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अफ़सर हैं और वह सीबीआई प्रमुख की दौड़ में भी थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त फ़ैसले के कारण इस दौड़ से बाहर हो गए थे।
कांग्रेस, आप ने किया था विरोध
राकेश अस्थाना की नियुक्ति का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने विरोध किया था। दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में अस्थाना की नियुक्ति के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया था। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय अस्थाना की नियुक्ति का प्रस्ताव वापस ले। बता दें कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आती है। जबकि कांग्रेस ने पूछा था कि अस्थाना के पास आख़िर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ क्या है? सीबीआई के निदेशक रह चुके राकेश अस्थाना को बीएसएफ़ के महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त होने से तीन दिन पहले ही दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया था।