केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मरकज़ निज़ामुद्दीन में मार्च के महीने में हुए तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम की सीबीआई जांच की ज़रूरत नहीं है। केंद्र ने शुक्रवार को अदालत में दायर हलफ़नामे में कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की जांच एडवांस स्थिति में है और यह तय समय में पूरी हो जाएगी, इसलिए इस मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका विचार करने योग्य नहीं है।
केंद्र ने हलफ़नामे में यह भी कहा है कि इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही या देरी नहीं हो रही है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, हलफ़नामे में सरकार ने कहा है, ‘मरक़ज के अधिकारियों को 21 मार्च को ही हालात के बारे में बता दिया गया था और कह दिया गया था कि वे घरेलू लोगों को उनकी जगहों पर वापस भेज दें लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।’
हलफ़नामे में आगे कहा गया है, ‘तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना साद की एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें वह जमातियों से यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि वे लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग को न मानें और मरकज़ के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हों।’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, केंद्र ने कहा है कि तब्लीग़ी जमात के विदेशी सदस्यों के पासपोर्ट और वीजा एप्लीकेशन से साफ पता चलता है कि इन लोगों ने झूठे बहाने बनाकर टूरिस्ट वीजा और ई-वीजा हासिल किया। हलफ़नामे में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2 अप्रैल को इन विदेशी जमातियों में से 960 को ब्लैक लिस्ट कर दिया है।
16 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय ने तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ मनी लॉड्रिंग का मुक़दमा दर्ज किया था। 28 मई को दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद और तब्लीग़ी जमात के सदस्यों के ख़िलाफ़ कई चार्जशीट दायर की थीं।
इस मामले में पहली एफ़आईआर निज़ामुद्दीन पुलिस स्टेशन के एसएचओ के द्वारा दर्ज कराई गई थी। इसमें मौलाना साद व छह अन्य लोगों के नाम थे। एफ़आईआर में कहा गया था कि एजेंसियों की चेतावनी के बावजूद मरकज़ में 2000 लोगों के धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
तब्लीग़ी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और देश के कई राज्यों में जब वे गए तो वहां भी संक्रमण के मामले देखने को मिले थे। इस मामले को लेकर खासा शोर हुआ था।