दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आते ही बड़ा धमाका किया है। उन्होंने चौंकाने वाले अंदाज़ में इस्तीफे की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा है कि वह दो दिन में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
केजरीवाल ने कहा, 'अदालत द्वारा हमें जमानत दिए जाने के बावजूद मामला जारी रहेगा। मैंने अपने वकीलों से बात की है। जब तक मामला खत्म नहीं होता, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। दो दिन बाद मैं सीएम पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं। जब तक जनता मुझे चुनकर दोबारा सीट पर नहीं भेजती, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।'
दिल्ली आबकारी नीति मामले में करीब छह महीने हिरासत में रहने के बाद तिहाड़ जेल से बाहर आने के कुछ दिनों बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री की यह घोषणा हुई है। वह रविवार सुबह पहली बार नए पार्टी मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का आभार जताया और अपने इस्तीफे की घोषणा भी कर दी। इससे पहले जब केजरीवाल जेल में गए थे तब विपक्षी दल बीजेपी उनके इस्तीफे की लगातार मांग कर रही थी। लेकिन तब केजरीवाल ने इस्तीफ़ा नहीं दिया था।
जेल में जाने से पहले या जेल में रहने के दौरान केजरीवाल ने इस्तीफ़ा क्यों नहीं दिया? इस सवाल का भी उन्होंने जवाब दिया है। उन्होंने कहा, 'मैंने जेल जाने पर इस्तीफ़ा इसलिए नहीं दिया क्योंकि मैं जनतंत्र को बचाना चाहता था। अगर मैं जेल से इस्तीफ़ा दे देता तो ये विपक्ष के सभी मुख्यमंत्रियों को जेल में डाल कर सरकार गिरा देते। मेरी विपक्ष के सभी मुख्यमंत्रियों से विनती है कि अगर ये आपको जेल में डाले तो इस्तीफ़ा मत देना क्योंकि हमने दिखाया है जेल से सरकार चल सकती है।'
अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए केजरीवाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं लोगों के बीच जाऊंगा और उनसे वोट मांगूंगा। अगर लोगों को लगता है कि केजरीवाल ईमानदार है, तो मैं जाकर सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा, अन्यथा नहीं बैठूंगा।' उन्होंने कहा, 'आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं अभी जेल से बाहर आया हूं, वह इस्तीफा क्यों देने जा रहा है। उन्होंने मेरे खिलाफ आरोप लगाए हैं... वे कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर शर्तें लगाई हैं। मेरे इस्तीफा देने के बाद आप एक उच्च स्तरीय बैठक करेगी और सीएम पद के लिए नाम तय करेगी।' उन्होंने कहा, 'सिसोदिया और मैं दोनों ही इस बात पर जोर दे रहे थे। वह भी कोई पदभार नहीं संभालेंगे। हम दोनों ही अपनी सीट तब संभालेंगे, जब लोग हमें चुनेंगे।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मांग की कि दिल्ली में चुनाव फरवरी 2025 के बजाय नवंबर 2024 में कराए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत बदहाल थी। लेकिन हमने सरकारी स्कूलों को बदलकर रख दिया। हमने दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक और कई नए सरकारी अस्पताल बनवाये, इलाज और दवा मुफ़्त की। महिलाओं को मुफ़्त बस यात्रा कराई। दिल्ली में 24 घंटे मुफ़्त बिजली मिल रही है। यह सब काम हम इसलिए कर पाए क्योंकि हम ईमानदार हैं। बीजेपी वाले हमारी ईमानदारी से डरते हैं और इसलिए इन्होंने हमें जेल भेजा।'
अपनी ईमानदारी पर सवाल उठाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री ने सफाई दी और अपने राजनीतिक जीवन से पहले के दौर को याद दिलाया। केजरीवाल बोले,
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मेरे पास मेरी ईमानदारी के अलावा कुछ और नहीं है। मेरे बैंक खाते ख़ाली हैं। मैं आयकर विभाग के कमिश्नर की नौकरी छोड़कर झुग्गियों में रहा था। मेरे अंदर देश की सेवा करने का जुनून था। मुझे ना पद का लालच है और ना ही दौलत का लालच है। मेरे अंदर देश की सेवा करने का जुनून है।
अरविंद केजरीवाल, दिल्ली मुख्यमंत्री
उन्होंने कहा, 'आज मैं जनता से पूछने आया हूँ कि आप केजरीवाल को ईमानदार मानते हो या गुनाहगार। अब जब तक दिल्ली की जनता अपना फ़ैसला नहीं सुना देती है तब तक मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूँगा। मैं आज से 2 दिन बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दूंगा।'
पार्टी कार्यकर्ताओं को मनीष सिसोदिया ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'ईमानदारी से शिक्षा का काम करने के लिए राजनीति में आया था। 10 साल से दिल लगाकर दिल्ली के शिक्षामंत्री के रूप में ईमानदारी से काम किया। स्कूल बनवाये। नई नई यूनिवर्सिटीज़ बनवाईं।'
उन्होंने कहा, 'दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में इस मंत्र के साथ काम किया कि सरकारी स्कूलों में बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराए बिना भारत विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता। दस साल की मेहनत का असर दिख रहा है कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी बच्चे शानदार पढ़ाई करके आईआईटी, जेईई, नीट जैसी परीक्षाएँ टॉप कर रहे हैं।'
उन्होंने दावा किया, 'मैंने ईमानदारी से काम किया लेकिन मुझ पर टुच्ची राजनीति के तहत झूठे आरोप लगाकर मुझे बेईमान सिद्ध करने की कोशिश की गई- 17 महीने झूठे आरोप में जेल में रखा गया। दो साल की क़ानूनी प्रक्रिया के बाद अब देश की शीर्ष अदालत तक ने कह दिया है जाओ अपना काम करो। लेकिन मैं अभी उपमुख्यमंत्री-शिक्षामंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूँगा। मैं यहाँ कुर्सियों और पदों के लालच में राजनीति में नहीं आया। ईमानदारी से शिक्षा पर काम करने के लिए आया हूँ। मैंने भी फ़ैसला किया है कि अरविंद केजरीवाल जी के साथ जनता को अदालत में जाऊँगा और पूछूँगा कि जनता मुझे ईमानदार मानती है या नहीं। तीन-चार महीने में चुनाव होना है। अगर जनता मेरी ईमानदारी पर मोहर लगायेगी तभी उपमुख्यमंत्री-शिक्षा मंत्री की कुर्सी पर बैठूँगा और शिक्षा के लिए काम करूँगा।'