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एमसीडी में भी आप को झटका, 3 पार्षद बीजेपी में, लोकल चुनाव में क्या होगा?

एमसीडी में भी आप को झटका, 3 पार्षद बीजेपी में, लोकल चुनाव में क्या होगा?

दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी को झटका लगा है। उसके तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हो गये हैं। मार्च-अप्रैल में एमसीडी चुनाव है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में अब मेयर बीजेपी का बनेगा। 

आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों ने शनिवार को पाला बदल लिया और बीजेपी में शामिल हो गए। दलबदल करने वाले पार्षदों में वार्ड 145 से अनीता बसोया, वार्ड 183 से निखिल चपराना और वार्ड 152 से धर्मवीर शामिल हैं। 

अभी तक भाजपा के पास 120 पार्षद थे, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के पास 122 थे। अब तीन पार्षदों के बीजेपी में जाने से वो एमसीडी में बहुमत में आ गई है। लेकिन उसके कई तकनीकी पहलू भी हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के आठ पार्षदों ने चुनाव लड़ा और वो विधायक चुने जा चुके हैं। इसी तरह आप के तीन पार्षद भी विधायक चुने जा चुके हैं।

एमसीडी के चुनाव मार्च-अप्रैल में होंगे। लेकिन एमसीडी की तस्वीर तो अभी से बदल गई है। चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और अब तक कुल मिलाकर एक दर्जन से ज़्यादा AAP पार्षद बीजेपी में जा चुके हैं। आगामी मेयर चुनाव में वोट देने के लिए पात्र 14 विधायकों में से 10 बीजेपी के हैं। इससे बीजेपी की जीत की संभावना काफ़ी बढ़ती जा रही है। 

घटनाक्रम बता रहा है कि बीजेपी ने आप के खिलाफ चुनाव जीतने के बाद भी माहौल बना रखा है। केंद्र सरकार ने सीवीसी से केजरीवाल से जुड़े कथित शीशमहल की जांच के लिए कहा है। इस बीच आप के पूर्व नई दिल्ली जिला अध्यक्ष संदीप बसोया भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ये दलबदल AAP के लिए एक और झटका है।

एमसीडी के आगामी चुनाव में अगर बीजेपी मेयर सीट पर कब्जा कर लेती है, तो दिल्ली में उसकी ट्रिपल इंजन सरकार नजर आयेगी। बीजेपी इस तरह केंद्र से लेकर राज्य और एमसीडी को नियंत्रित करेगी।। इससे आप के हालात और खराब होंगे। क्योंकि संगठन के नेता जब पार्टी छोड़ने लगते हैं तो पार्टी कमजोर हो जाती है।

बन सकते हैं नये समीकरण

हालांकि आप भी अपनी नई रणनीति तैयाक कर सकती है। विधानसभा में हार से सीख लेते हुए आप हो सकता है कि कांग्रेस से तालमेल कर एमसीडी चुनाव लड़े। हालांकि आमतौर पर स्थानीय निकाय जैसे छोटे चुनाव में राजनीतिक दल गठबंधन नहीं करते हैं लेकिन दिल्ली की एमसीडी बहुत बड़ी है और वहां की सत्ता हर पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप ने एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर संबंध इतना बिगाड़ लिया है कि दोबारा गठबंधन होने में तमाम मुश्किल आ सकती है।

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