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शिंदे के विधायकों की सुरक्षा कम क्यों हुई; महायुति में दरार और बढ़ी?

शिंदे के विधायकों की सुरक्षा कम क्यों हुई; महायुति में दरार और बढ़ी?

एकनाथ शिंदे के विधायकों की सुरक्षा कवर में कमी के बाद महायुति में दरारें और बढ़ गई हैं। जानिए, महाराष्ट्र की राजनीति में हो रही इस नई हलचल के बारे में।

महाराष्ट्र में क्या बीजेपी और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के बीच दरार और बढ़ गई है? महायुति गठबंधन के इन दोनों दलों के बीच लगातार आ रही खटास की ख़बरों के बीच अब शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम किए जाने के मुद्दे ने दोनों दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने के संकेत दे दिए हैं। इसी बीच अब कयास ये लगाए जाने लगे हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच 'शीत युद्ध' चल रहा है। हालाँकि, शिंदे ने ऐसी ख़बरों का खंडन किया है और कहा है कि उनके बीच कोई तनाव नहीं है।

दरअसल, बीजेपी और शिवसेना के बीच नये सिरे से तनाव की ख़बरें तब आने लगीं जब सीएम देवेंद्र फडणवीस के गृह विभाग ने 20 से अधिक शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम कर दी। एक रिपोर्ट के अनुसार इनकी सुरक्षा कवर को वाई+ श्रेणी से घटाकर सिर्फ एक कांस्टेबल तक का कर दिया गया। इसके साथ ही कुछ अन्य शिवसेना नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई। हालाँकि, कुछ बीजेपी विधायकों और अजित पवार की शिवसेना के विधायकों की सुरक्षी भी कम की गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह एक तरह से संतुलन बनाने के लिए किया गया है। जिनकी सुरक्षा या तो कम कर दी गई है या वापस ले ली गई है, ऐसे शिवसेना नेताओं की संख्या कहीं अधिक है। 

सुरक्षा हटाए जाने का मुद्दा तब सामने आया है जब शिंदे खेमे के एक मंत्री ने पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि अधिकारी नीतियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं दे रहे हैं। यह तब हुआ था जब फडणवीस ने जनवरी में एक समीक्षा बैठक की थी। इसी बीच शिंदे ने भी एक दिन पहले सोमवार को शिवसेना के उदय सामंत द्वारा आयोजित उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक की।

कुछ हफ़्ते पहले ही एक रिपोर्ट आई थी कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शामिल नहीं हुए। हाल में यह दूसरी बार ऐसा हुआ कि वह बैठक में शामिल नहीं हो पाए। तब शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे सीएम पद को लेकर अपमानित होने के कारण ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने सामना में लिखा था कि फडणवीस और शिंदे में तनाव चल रहा है। राउत ने तो यह भी दावा किया था कि शिंदे का फ़ोन टैप किया जा रहा है। 

संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे सेना के एक विधायक ने उन्हें बताया है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपमानित होने के दर्द से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं। विधायक ने कथित तौर पर राउत को बताया कि पिछले ढाई साल के दौरान, तत्कालीन सीएम शिंदे और फडणवीस के बीच मतभेद थे और वे दो दिशाओं में चल रहे थे, इस वजह से अब फडणवीस अपना बदला ले रहे हैं। 

राउत ने शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में बड़ा दावा किया था कि सीएम देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री शिंदे के बीच अनबन है और बीजेपी शिंदे और उनके लोगों के फ़ोन टैप करवा रही है।

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे को विश्वास है कि उनके और उनकी पार्टी के लोगों के फ़ोन टैप किए जा रहे हैं। उन्हें संदेह है कि दिल्ली में एजेंसियां ​​उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं और शिंदे को बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा था कि शिंदे की पार्टी के एक विधायक ने उन्हें विमान यात्रा के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी। 

माना जाता है कि रायगढ़ और नासिक के लिए संरक्षक मंत्री पदों को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच शुरू हुआ गतिरोध का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है। रिपोर्टें तो ऐसी भी आ रही हैं कि ऐसा मुद्दा अन्य क्षेत्रों तक भी फैल गया है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने एकनाथ शिंदे ने 2027 में कुंभ मेले की तैयारियों पर फडणवीस द्वारा बुलाई गई नासिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की बैठक को छोड़ दिया और बाद में इस विषय पर अपनी समीक्षा बैठक की थी। कहा जा रहा है कि भले ही शिंदे समीक्षा बैठकें कर रहे हैं, लेकिन सभी अंतिम नीतिगत निर्णय सीएम द्वारा लिए जाएंगे और सभी फाइलों को उनकी मंजूरी की ज़रूरत होगी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिंदे की बैठकें दिखावे के लिए अधिक थीं। 

रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में शिंदे ने मंत्रालय में एक डिप्टी सीएम का मेडिकल एड सेल स्थापित किया और अपने क़रीबी सहयोगी को इसका प्रमुख नियुक्त किया। पहली बार किसी डिप्टी सीएम ने सीएम रिलीफ फंड सेल के बावजूद ऐसा सेल स्थापित किया है। 

इसी तरह जब फडणवीस को महाराष्ट्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का प्रमुख नामित किया गया था तब शिंदे को प्राधिकरण से भी बाहर रखा गया था। दो दिन बाद शिंदे को शामिल करने के लिए नियमों में फेरबदल किया गया।

सुरक्षा कम करने का विवाद क्या?

मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा को लेकर सोमवार को गृह विभाग ने आदेश निकाला है। इस आदेश में अधिकांश कैबिनेट सदस्यों को एस्कॉर्ट वाहनों के साथ वाई+ श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। लेकिन 20 से ज़्यादा शिवसेना विधायकों की या तो सुरक्षा कम कर दी गई है या फिर हटा दी गई है। 

अक्टूबर 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह के बाद शिंदे के सीएम बनने के कुछ महीने बाद उनके साथ शामिल हुए 44 विधायकों और 11 लोकसभा सदस्यों को एस्कॉर्ट वाहनों के साथ वाई-सुरक्षा दी गई थी। पिछले साल के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद सुरक्षा कवर जारी रखा गया था, हालांकि कई सांसद और विधायक चुनावों में हार गए थे। अब, मंत्रियों को छोड़कर, सभी विधायकों के लिए कवर घटा दिया गया है जबकि पूर्व सांसदों के लिए कवर वापस ले लिया गया है।

देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच तनाव की ख़बरों के बीच शिंदे ने साफ़ किया है कि उनके बीच कोई 'शीत युद्ध' नहीं चल रहा है। पार्टी के भीतर खींचतान के दावों को खारिज करते हुए शिंदे ने महा विकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन पर तंज कसे। पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा, 'कोई शीत युद्ध नहीं है क्योंकि यह महा विकास अघाड़ी या इंडी गठबंधन नहीं है। हमारी लड़ाई उन लोगों से है जो महाराष्ट्र के विकास का विरोध कर रहे हैं...'। शिंदे ने कहा कि वे सभी मिलकर काम कर रहे हैं।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)

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