राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस के कामकाज पर कई तरह के गंभीर सवाल उठे। ये सवाल अदालतों द्वारा भी उठाए गए, पूर्व पुलिस अफ़सरों द्वारा भी उठाए गए और इसके बाद आम लोगों के बीच भी इसे लेकर चर्चा हुई। इस साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
अब एक ऐसी ख़बर सामने आई है, जिसके बाद दिल्ली पुलिस के कामकाज पर उठ रहे सवाल तेज़ हो सकते हैं। ये ख़बर दिल्ली के ही रहने वाले 28 साल के नौजवान इलियास के एक बयान से जुड़ी है। इलियास को 5 महीने से ज़्यादा का वक्त जेल में गुजारना पड़ा। दंगाग्रस्त इलाक़े शिव विहार में स्थित राजधानी पब्लिक स्कूल में तोड़फोड़ को लेकर दर्ज एफ़आईआर के आधार पर 17 मार्च को इलियास को गिरफ़्तार किया गया था।
इस मामले में जमानत मिलने के बाद उसे शिव विहार में ही स्थित डीआरपी सेकेंड्री स्कूल में तोड़फोड़ के मामले में दर्ज एक दूसरी एफ़आईआर के चलते 14 मई को फिर से गिरफ़्तार कर लिया गया था। राजधानी और डीआरपी, दोनों ही स्कूलों को दंगाइयों ने निशाना बनाया था।
3 सितंबर को जब दूसरे मामले में जमानत के बाद इलियास घर वापस लौटा तो ‘द वायर’ के मुताबिक़, इलियास ने कहा कि उसे ऐसा लगा कि मुसलिम होने की वजह से उसे निशाना बनाया गया। इलियास ने ‘द वायर’ को बताया- ‘ये मांग रहे थे ना आज़ादी’, उसने कहा कि उससे और बाक़ी मुसलमानों से पुलिस स्टेशन में इसी तरह बात की जाती थी।
जब पहले मामले में इलियास की गिरफ़्तारी हुई, तो उसे दयालपुर पुलिस थाने में ले जाया गया और भीड़ की एक सीसीटीवी फ़ुटेज दिखाई गई। इलियास के मुताबिक़, उस पर आरोप लगाया गया कि वह भीड़ में शामिल है। लेकिन इलियास ने इससे इनकार कर दिया। इलियास ने आरोप लगाया कि उससे कहा गया कि अगर वह इस वीडियो में 10 लोगों के नाम बता देगा तो उसे रिहा कर दिया जाएगा।
इलियास ने ‘द वायर’ से कहा, ‘जैसे ही मैंने कुछ हिंदू लोगों के नाम दिए तो पुलिस ने कहा मुसलमान नाम बता।’ तोड़फोड़ में इलियास के होने का कोई सबूत न मिलने के बाद भी उसे मंडोली जेल भेज दिया गया। इलियास ने कहा, ‘मेरे मज़हब को मेरा जुर्म बना दिया।’
बीजेपी नेताओं को ‘लाइसेंस’
दिल्ली दंगों की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस पर लगातार सवाल दाग रहे पूर्व आईपीएस अफ़सर जूलियो रिबेरो ने हाल ही में एक बार फिर उसे कटघरे में खड़ा किया था। रिबेरो ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को ख़त लिखकर कहा था, ‘मुझे लगता है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले लोगों को धमकाने वाले बीजेपी के तीन वरिष्ठ नेताओं को लाइसेंस दिए जाने को सही ठहराना बेहद मुश्किल या वास्तव में असंभव है।’
इससे पहले रिबेरो ने कमिश्नर श्रीवास्तव को चिट्ठी लिखकर कहा था कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा से दिल्ली दंगों को लेकर पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है।
रिबेरो ने लिखा था कि अगर भाषण देने वाले लोग मुसलिम या वामपंथी होते तो पुलिस निश्चित रूप से उन पर देशद्रोह का मुक़दमा लगा देती।
आपको याद दिला दें कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान हुई एक जनसभा में देश के गद्दारों को…का नारा लगाया था। इसे लेकर सोशल मीडिया व आम जनमानस में तीख़ी प्रतिक्रिया हुई थी। जबकि कपिल मिश्रा व प्रवेश वर्मा ने भी नफ़रती बयानबाज़ी की थी।
दिल्ली दंगों को लेकर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो-