दिल्ली में हुए दंगों के मामले में आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है। इससे पहले ताहिर ने राउज एवेन्यू कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने से पहले ताहिर हुसैन ने न्यूज़ चैनल आज तक को दिये इंटरव्यू में कहा कि उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है।
ताहिर ने इंटरव्यू में कहा, ‘मुझे पुलिस की जांच पर भरोसा है और यह पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिये। मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये मेरे ख़िलाफ़ लगातार दुष्प्रचार किया जा रहा था, इससे मैं डर गया था और सामने नहीं आ पा रहा था। मुझे अपने देश के क़ानून पर पूरा भरोसा है और मैं जांच में निर्दोष साबित होऊंगा।’
ताहिर ने कहा, ‘मैं 24 फ़रवरी की रात को अपने घर से निकल गया था और पुलिस ने मेरे पूरे मकान को सिक्योरिटी में ले लिया था। अंकित की हत्या 25 फ़रवरी को हुई थी। 24 तारीख़ को मैंने पुलिस को कई बार कॉल किया था। अब मुझ पर कई तरह के आरोप लगा दिये गये हैं। मैंने पुलिस से कहा था कि कोई भी आदमी मेरे मकान का दुरुपयोग कर सकता है।’ ताहिर ने कहा कि वह 1997 से उस कॉलोनी में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस घटना के लिये बिलकुल जिम्मेदार नहीं हैं और उन्होंने हिंसा होने के बाद कई बार पुलिस को फ़ोन कर इसकी सूचना दी थी।
‘नार्को टेस्ट के लिये तैयार हूं’
ताहिर ने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं नार्को टेस्ट के लिये तैयार हूं और किसी भी तरह की जांच का सामना करूंगा।’ ताहिर ने कहा कि उनके ऑफ़िस में आधे से ज़्यादा हिंदू स्टाफ़ है और वे लोग 15 साल से उनके साथ काम कर रहे हैं।इंटेलीजेंस ब्यूरो के नौजवान अफ़सर अंकित शर्मा का शव नाले में मिलने के बाद उनके पिता रविंदर शर्मा ने कहा था कि अंकित को जमकर पीटने के बाद गोली भी मारी गई है। अंकित के पड़ोसियों ने एनडीटीवी से बातचीत में आरोप लगाया था कि ताहिर हुसैन के पांच मंजिला घर से पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गये। सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में दावा किया गया है कि ताहिर हुसैन अपने समर्थकों के साथ अपने घर की छत पर थे और ये समर्थक लोगों पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे थे।
पुलिस के बयानों में विरोधाभास
ताहिर ने बार-बार इस बात को कहा है कि वह बेगुनाह है। लेकिन अब मामला अदालत में है और ताहिर को क़ानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ताहिर को लेकर दिल्ली पुलिस के बयानों में जबरदस्त विरोधाभास है। ताहिर ने पहले भी इस बात को कहा था कि पुलिस ने उन्हें और उनके परिवार को 24 फ़रवरी की रात को उनके घर से निकाल लिया था। पहले पुलिस के एक अफ़सर ने ताहिर के बयान का समर्थन किया लेकिन बाद में पुलिस इससे मुकर गयी।
दिल्ली पुलिस के एसीपी ए.के.सिंगला ने कहा था कि नेहरू विहार के पार्षद ताहिर हुसैन ख़ुद भी हिंसा के शिकार थे। सिंगला ने कहा था कि ताहिर की ओर से 24 फ़रवरी की रात को मुसीबत में होने की कॉल आने पर पुलिस उनके मकान पर गई थी लेकिन पार्षद ने पुलिस की सुरक्षा के बिना मकान से बाहर आने से इनकार कर दिया था, इसके बाद पुलिस की टीम ने उसे वहां से निकाला था।
लेकिन दिल्ली पुलिस ने सिंगला के दावे को ग़लत बताया। पुलिस की ओर से कहा गया कि कुछ लोगों ने 24-25 फ़रवरी की रात को चांदबाग में तैनात पुलिसकर्मियों को सूचना दी थी कि ताहिर के घर को भीड़ ने घेर लिया है और वह घर में फंस गये हैं। पुलिस ने कहा कि भीड़ के द्वारा घेरे जाने की सूचना ग़लत निकली और ताहिर हुसैन अपने घर में ही मौजूद थे। इसके बाद पुलिस ने कहा कि 26 फ़रवरी को अंकित का शव मिलने के बाद ताहिर के घर की तलाशी ली गई और तब ताहिर घर से फरार थे। ऐसे में पुलिस का कौन सा बयान सही है, यह पता कर पाना मुश्किल है। ताहिर के वकील की ओर से पुलिस के बयानों में विरोधाभास को अदालत के सामने रखा जा सकता है और ऐसे में पुलिस को इसका जवाब देना मुश्किल होगा।