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कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ अकाली दल का संसद मार्च, सुखबीर-हरसिमरत हिरासत में

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ अकाली दल का संसद मार्च, सुखबीर-हरसिमरत हिरासत में

शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने कहा है कि पंजाब ही नहीं, पूरे देश के लोग मोदी सरकार से नाराज़ हैं। क्या है मामला?

दिल्ली पुलिस ने शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल समेत 15 लोगों को हिरासत में ले लिया है।

ये लोग कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ संसद भवन तक मार्च निकाल रहे थे। दिल्ली पुलिस इन्हें हिरासत में लेकर संसद मार्ग पुलिस स्टेशन ले गई। 

बादल ने गिरफ़्तारी से पहले कहा कि पुलिस ने उन पर लाठियाँ चलाई हैं और उनकी गाड़ियों पर हमले किए हैं। उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा,

एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोक दिया गया, हम प्रधानमंत्री मोदी को यह बताना चाहते थे कि पंजाब ही नहीं, पूरे देश के लोग उनकी सरकार से नाखुश हैं।


सुखबीर सिह बादल, नेता, शिरोमणि अकाली दल

पुलिस व्यवस्था

गुरुद्वारा रकाबगंज से लेकर संसद भवन तक होने वाले इस मार्च के लिए काफी दुरुस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। 

दूसरी ओर दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन बग़ैर पूर्व अनुमति के हो रहा था और वहां उस समय धारा 144 लगा दी गई थी।

धारा 144 लगाए जाने पर वहां चार से अधिक लोग एक समय एक समय एकत्रित नहीं हो सकते। 

 - Satya Hindi

हरसिमरत कौर बादल, पूर्व केंद्रीय मंत्री

याद दिला दें कि शुक्रवार को संसद से तीन कृषि क़ानून पारित हुए एक साल पूरा हो गया है। शिरोमणि अकाली दल ने इस मौके पर ही यह कार्यक्रम रखा और ब्लैक फ्राइडे मार्च निकालने का फ़ैसला किया। 

शिरोमणि अकाली दल के नेता ने कहा, "विरोध प्रदर्शन के लिए आज आने वाले किसानों और अकाली कार्यकर्ताओं की संख्या को देखते हुए, पंजाबियों को रोकने के लिए रकाब गंज साहिब की घेराबंदी की जा रही है। यह काले तानाशाही समय की याद दिलाता है।" 

सुखबीर सिंह बादल ने यह आरोप भी लगाया कि पंजाब में पंजीकृत वाहनों को दिल्ली की सीमाओं पर रोका गया है। 

उन्होंने कहा, "दिल्ली की सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं और पंजाब के वाहनों को रोका जा रहा है, जबकि दूसरी सभी गाड़ियाँ गुजर रही हैं। पंजाबियों को बताया जा रहा है कि उनका प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। हमारी शांतिपूर्ण आवाज़ ने ताक़तों को डरा दिया है।" 

याद दिला दें कि पहले अकाली दल केंद्र सरकार में था और हरसिमरत कौर बादल उसमें मंत्री थीं। कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ इसने सरकार छोड़ दी थी और हरसिमरत कौर ने इस्तीफ़ा दे दिया था। 

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