+
शर्मनाकः तीसरी बार भी नहीं हो सका मेयर का चुनाव

शर्मनाकः तीसरी बार भी नहीं हो सका मेयर का चुनाव

जैसी की आशंका थी, दिल्ली के मेयर का चुनाव आज सोमवार को तीसरी बार फिर नहीं हो सका। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी में टकराव बढ़ गया है।

एमसीडी दिल्ली मेयर चुनाव आज सोमवार को तीसरी बार नहीं हो सका। मेयर और अन्य पदाधिकारियों को चुनने की पिछली दो कोशिशें भी नाकाम रही थीं। एमसीडी सदन की बैठक सोमवार को फिर से हुई लेकिन नतीजा शून्य है।

बीजेपी चाहती ही नहीं कि संविधान के हिसाब से चुनाव हो।


-शैली ओबरॉय, आप मेयर प्रत्याशी, 6 फरवरी 2023 को बैठक स्थगित होने के बाद

उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा नामित 10 दिल्ली पार्षदों को मतदान की अनुमति देने पर हंगामा हुआ। इस पर दोनों ओर से नारेबाजी हुई। दरअसल, एलजी के नामित पार्षदों को एमसीडी में वोट देने की अनुमति कभी नहीं रही। लेकिन एलजी ने उस फैसले को पलटते हुए दस पार्षदों को नामित किया और उन्हें वोटिंग की भी अनुमति दी। एलजी ने एमसीडी बैठक की कार्यवाही संचालन के लिए बीजेपी के पार्षद सत्य शर्मा को पीठासीन अधिकारी चुना, हालांकि एमसीडी सदन में आप का बहुमत है। बीजेपी हर हालत में दिल्ली में अपना मेयर चाहती है।

नगर निगम चुनाव हुए दो महीने बीत चुके हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) ने 250 में से 134 सीटें जीतकर बीजेपी के 15 साल के शासन का अंत कर दिया, लेकिन दिल्ली को अभी तक मेयर नहीं मिला है।

एमसीडी अधिनियम, 1957 के अनुसार, महापौर और उप महापौर का चुनाव निकाय चुनावों के बाद होने वाले पहले सदन में होता है।

इस बार भी पेंच फंसा

आम आदमी पार्टी पार्षदों ने रविवार को एमसीडी के पीठासीन अधिकारी शर्मा को एक पत्र भेजकर एल्डरमैन को सोमवार को होने वाले चुनावों में भाग लेने से अयोग्य ठहराने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव में भाग लेने की अनुमति देना दिल्ली के नागरिकों के लिए अपमानजनक होगा। आप के सभी 135 पार्षदों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि जिन व्यक्तियों को नामित किया गया है वे संविधान और दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार मतदान करने के योग्य नहीं हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजेपी ने मेयर के चुनाव को प्रभावित करने और हेरफेर करने की कोशिश की। हालांकि एमसीडी के पीठासीन अधिकारी और बीजेपी पार्षद सत्य शर्मा ने आप पार्षदों का कोई पत्र मिलने से इनकार किया।

चुनावों के बाद क्या हुआ?

छह जनवरी को हुए नगर निगम सदन के पहले सत्र में दिल्ली के मेयर के लिए मतदान शुरू होने से पहले सिविक सेंटर में बीजेपी और आप सदस्यों के बीच मनोनीत पार्षदों के शपथ ग्रहण को लेकर भारी बवाल होने के बाद बैठक भंग कर दी गयी थी।

24 जनवरी को हुए दूसरे सत्र में नगर निगम के मनोनीत व निर्वाचित दोनों सदस्यों के शपथ लेने के बाद पीठासीन अधिकारी व बीजेपी पार्षद ने बैठक अगली तिथि तक के लिए स्थगित कर दी। 

जहां बीजेपी सदस्य आप विरोधी और अरविंद केजरीवाल विरोधी नारे लगाते हुए चैंबर से बाहर चले गए, वहीं आप सदस्यों ने करीब पांच घंटे तक सदन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।

आज सोमवार को भी मेयर चुनाव नहीं होने पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा -

बीजेपी एमसीडी को जबरन चलाना चाहती है, इसीलिए वो एमसीडी बैठक में बार-बार अव्यवस्था फैला रही है।


- मनीष सिसोदिया, डिप्टी सीएम, 6 फरवरी 2023 को मेयर चुनाव स्थगित होने के बाद

महापौर चुनाव

दिल्ली में महापौर का पद रोटेशन के आधार पर पांच वर्ष के लिए होता है। जिसमें पहला वर्ष महिलाओं के लिए रिजर्व है, दूसरा ओपन कैटेगरी के लिए, तीसरा आरक्षित वर्ग के लिए और शेष दो भी ओपन कैटेगरी में हैं।

आप ने जहां मेयर पद के लिए शैली ओबेरॉय को मैदान में उतारा है, वहीं बीजेपी की ओर से मेयर पद की उम्मीदवार रेखा गुप्ता हैं। डिप्टी मेयर पद के लिए आले मोहम्मद इकबाल (आप) और कमल बागड़ी (बीजेपी) उम्मीदवार हैं।

महापौर और उप महापौर के अलावा, एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्य भी नगरपालिका सदन के दौरान चुने जाने हैं।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें