दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बुधवार को कहा है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों- आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने 'बेहद मानहानि वाले और झूठे' भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसके लिए मुक़दमा चलाने की धमकी दी है।
उपराज्यपाल की यह सफ़ाई तब आई है जब आप ने आरोप लगाया है कि सक्सेना ने 2016 के डिमोनेटाइजेशन के दौरान एक सरकारी खादी निकाय के अध्यक्ष के रूप में 1,400 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोटों को बदलने के लिए दो कर्मचारियों पर दबाव डाला।
आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सोमवार रात को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ जांच की मांग को लेकर विधानसभा में धरना दिया था। विधायकों ने उपराज्यपाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उन्हें पद से हटाए जाने की मांग की। विधायकों ने विधानसभा में नारेबाजी की और बैनर भी लहराए। विधायक दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल सक्सेना 1400 करोड़ के घोटाले में शामिल हैं।
पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि बीजेपी कहती है कि जांच में क्या दिक्कत है इसलिए आम आदमी पार्टी मांग कर रही है कि उपराज्यपाल पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
उपराज्यपाल सक्सेना ने आप के आरोप को उनकी कल्पना की उपज बताते हुए खारिज कर दिया है। सक्सेना के कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि यह केजरीवाल एंड कंपनी की पहचान रही है कि जब सच्चाई की बात आती है तो माफी मांगते हैं।
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उपराज्यपाल ने आप नेताओं द्वारा लगाए गए इन स्पष्ट रूप से झूठे, मानहानिकारक और स्पष्ट रूप से विचलित करने वाले आरोपों पर गंभीरता से विचार किया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल का बयान
सक्सेना ने कहा है कि उस समय एक सतर्कता जांच बुलाई गई थी जब यह पता चला कि 'खादी ग्रामोद्योग भवन के खाते में कुछ पुराने नोट जमा किए गए थे। चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था।'
उन्होंने कहा कि जब सीबीआई ने कदम बढ़ाया तो पाया कि प्रतिबंधित नोटों में 17,07,000 रुपये जमा किए गए थे और केवल दो अधिकारी शामिल थे। उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि मामला अभी भी एक अदालत में लंबित है।
बयान में कहा गया है, 'आप द्वारा झूठा प्रचार किया जा रहा है, 1400 करोड़ रुपये के दावों के मुक़ाबले सिर्फ 17.07 लाख रुपये का मामला है, जो एक कल्पना के अलावा और कुछ नहीं है। इसके लिए आदतन झूठों को परिणाम भुगतने होंगे।'
मानहानि मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आप ने जांच की मांग की है। आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस मामले में एक स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जिस तरह से इस मामले से सुलटा गया वह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
बता दें कि आम आदमी पार्टी की विधायक अतिशी मारलेना ने कुछ दिन पहले विधानसभा परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जब देश नोटबंदी के दौरान लाइनों में लगा था तब उपराज्यपाल सक्सेना खादी और ग्रामोद्योग आयोग के तत्कालीन चेयरमैन थे और वह काले धन को सफेद बनाने में लगे थे।
आतिशी ने कहा था कि आयोग के कैशियर संजीव कुमार और प्रदीप यादव ने बयान दिया है कि सक्सेना ने तबादले की धमकी देकर पुराने नोटों को नए नोटों में बदलवाया।
विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में मुकदमा भी दर्ज किया था लेकिन उपराज्यपाल के नाम को एफआईआर में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के घर पर छापेमारी भी नहीं की गई और पूरे मामले को दबा दिया गया। जबकि विधायक भारद्धाज ने कहा कि दोनों कैशियर ने कहा है कि खादी विभाग के दो अधिकारियों अजय गुप्ता और एके गर्ग ने उन्हें डराया कि ये पैसा विनय सक्सेना का है।