एलोपैथिक साइंस को लेकर दिए गए बयानों पर योग गुरू बाबा रामदेव को दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरूवार को नोटिस भेजा है। रामदेव के ख़िलाफ़ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने हाई कोर्ट में मुक़दमा दायर किया है। लेकिन सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने डीएमए के ख़िलाफ़ सख़्त जबकि रामदेव को लेकर नरम रूख़ दिखाया।
रामदेव के बयानों को लेकर हाल ही में ख़ूब शोर हुआ था और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के दख़ल के बाद योग गुरू ने अपने बयानों के लिए ख़ेद जताया था। लेकिन बावजूद इसके डॉक्टर्स ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है और उनका पुरजोर विरोध हो रहा है।
अदालत ने डीएमए की उस मांग को खारिज कर दिया जिसमें इस संस्था ने कहा था कि योग गुरू को किसी आपत्तिजनक बात को प्रकाशित करने से रोका जाए। हालांकि अदालत ने रामदेव के वकील से कहा कि वह अपने मुवक्किल से कहें कि वे सुनवाई की अगली तारीख़ यानी 13 जुलाई तक कोई भड़काऊ बयान न दें और मुक़दमे का जवाब दें।
अदालत ने डीएमए से यह भी कहा कि वह बजाए मुक़दमा दायर करने के जनहित याचिका दायर करे।
‘इलाज खोजने में वक़्त लगाएं’
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नसीहत देते हुए डीएमए से कहा कि आपको अदालत का समय ख़राब करने के बजाए महामारी का इलाज खोजने में वक़्त लगाना चाहिए। लेकिन डीएमए ने अदालत की टिप्पणी का विरोध किया। डीएमए की ओर से कहा गया, “रामदेव के बयानों के कारण डीएमए की छवि ख़राब हुई है। वह डॉक्टर्स के नाम ले रहे हैं। वह कह रहे हैं कि एलोपैथी साइंस फर्जी है।”
डीएमए ने अदालत से कहा कि योग गुरू ने कोरोनिल को कोरोना के इलाज के रूप में पेश किया जो कि ग़लत है और वह अब तक 250 करोड़ की कोरोनिल बेच चुके हैं।
इस पर अदालत ने फिर टिप्पणी की। अदालत ने कहा, “कल को हमें लगे कि होम्योपैथी फर्जी है। यह एक विचार है। ऐसे में इसके ख़िलाफ़ मुक़दमा कैसे दर्ज किया जा सकता है। अगर पतंजलि कहीं पर नियमों को नहीं मान रही है तो यह सरकार का काम है कि वह इस पर कार्रवाई करे। आप क्यों टार्च लेकर चल रहे हैं।”
हाई कोर्ट ने कहा, “रामदेव को एलोपैथी पर भरोसा नहीं है। उन्हें लगता है कि योग और आयुर्वेद से सब बीमारियों का इलाज हो सकता है। वह सही या ग़लत हो सकते हैं लेकिन ये अदालत इस बात को नहीं कह सकती कि कोरोनिल कोई इलाज है या नहीं और इसलिए रामदेव द्वारा ‘दिवालिया साइंस’ कहने से उन पर मुक़दमा नहीं हो जाता।”
एलोपैथिक साइंस को लेकर दिए गए बयानों को लेकर डॉक्टर्स ने 1 जून को काला दिन मनाया था। फ़ेडरेशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के आह्वान पर यह विरोध प्रदर्शन किया गया था।
रामदेव का एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था, जिसमें वह एलोपैथिक पद्धति को दिवालिया साइंस और एलोपैथिक दवाइयों की वजह से लाखों लोगों की मौत हो जाने की बात कह रहे थे।
आईएमए ने कुछ दिन पहले रामदेव के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। एसोसिएशन ने अपील की थी कि मोदी रामदेव के द्वारा टीकाकरण के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे कुप्रचार को रोकें। आईएमए ने यह भी अपील की थी कि प्रधानमंत्री मोदी रामदेव के ख़िलाफ़ राजद्रोह के क़ानून के तहत उचित कार्रवाई करें।
आईएमए ने रामदेव से कहा था कि वह अपने इस बयान के लिए 15 दिन के भीतर माफ़ी मांग लें और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें 1000 करोड़ रुपये मानहानि के रूप में देने होंगे।