दिल्ली सरकार के पास अफसरों के ट्रांसफर की पावर हैः CJI

01:14 pm May 11, 2023 | सत्य ब्यूरो

लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस भूषण के इस फैसले से सहमत नहीं है कि दिल्ली सरकार के पास सभी सेवाओं पर कोई शक्ति नहीं है।


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ना शुरू किया। चीफ जस्टिस ने कहा - यह मामला देश में संघीय शासन के एक मॉडल से संबंधित है। मुद्दा यह है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करने की शक्ति किसके पास होगी, वो दिल्ली सरकार हो या केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एलजी। अनुच्छेद 239A(3)(A)(a) केंद्र सरकार के हितों की रक्षा तय करने के लिए कई सुरक्षा उपाय प्रदान नहीं करता है। यह प्रदान करता है कि GNCTD विधायिका के पास सूची 2 की प्रविष्टि 1, 2 और 8 से निपटने की कोई शक्ति नहीं है।

चीफ जस्टिस ने कहा- अनुच्छेद 239AA निर्दिष्ट सूचियों के संबंध में दिल्ली सरकार की विधायी शक्ति को बाहर करता है। जिसमें लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट का बाकी फैसला पढ़ने से पहले जान लीजिए कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सबसे ज्यादा झटका लगा है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अफसरों के जो तबादले किए थे, उस पर उपराज्यपाल ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आज इस स्थिति को साफ कर दिया है।

चीफ जस्टिस ने कहा - 

दिल्ली विधानसभा को लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने के लिए कानून बनाने की शक्तियाँ दी गई हैं।


- चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट 11 मई 2023 सोर्सः लाइव लॉ

लाइव लॉ के मुताबिक चीफ जस्टिस ने कहा -

लोकतंत्र और संघवाद का सिद्धांत बुनियादी ढांचे का एक हिस्सा है। संघवाद विविध हितों के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है और विविध आवश्यकताओं को समायोजित करता है।


- चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट 11 मई 2023 सोर्सः लाइव लॉ

उन्होंने कहा - दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है, फिर भी इसे सूची 2 और 3 के तहत कानून बनाने का अधिकार है। अनुच्छेद 239AA ने एक संघीय सरकार बनाई और यह एक संघीय मॉडल है। दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन यह एक संघीय इकाई बनी हुई है। लाइव लॉ के मुताबिक चीफ जस्टिस ने कहा - 

यह तय करना होगा कि केंद्र द्वारा राज्यों का शासन अपने हाथ में न लिया जाए।


-चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट 11 मई 2023 सोर्सः लाइव लॉ

चीफ जस्टिस ने कहा - दिल्ली राज्सय की कार्यकारी शक्ति उन सभी विभागों तक फैली हुई है जिन पर कानून बनाने की शक्ति है। एक राज्य में केंद्र की कार्यकारी शक्ति उन मामलों पर है जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। राज्य का शासन केंद्र द्वारा नहीं चलाया जाता है। यह शासन की संघीय प्रणाली और प्रतिनिधि लोकतंत्र के सिद्धांत को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। सरकार के लोकतांत्रिक रूप में, प्रशासन की वास्तविक शक्ति सरकार की चुनी हुई शाखा पर होनी चाहिए। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा - 

अगर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अधिकारियों को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं दी जाती है, तो जवाबदेही की ट्रिपल चेन का सिद्धांत बेमानी हो जाएगा.


-चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट 11 मई 2023 सोर्सः लाइव लॉ

उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रभावित होता है। अगर अधिकारियों को लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से अछूते हैं, तो यह जवाबदेही को कम करेगा और शासन को प्रभावित करेगा। यदि "सेवाओं" को विधायी और कार्यकारी डोमेन से बाहर रखा गया है, तो मंत्रियों को भी उन सिविल सेवकों को नियंत्रित करने से बाहर रखा जाएगा जिन्हें कार्यकारी निर्णयों को लागू करना है। इन सेवाओं में सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित विभागों पर  नियंत्रण नहीं होगा। चीफ जस्टिस ने कहा -

अन्य राज्यों की तरह दिल्ली राज्य के प्रतिनिधि (एमएलए) भी प्रतिनिधित्व करते हैं। केंद्र की पावर का कोई और विस्तार (यानी केंद्र की शक्ति बढ़ाना) संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत होगा। दिल्ली राज्य के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर "सेवाओं" पर विधायी पावर है। दिल्ली अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के समान नहीं है।


-चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट 11 मई 2023 सोर्सः लाइव लॉ

लाइव लॉ के मुताबिक चीफ जस्टिस ने इसे और साफ करते हुए कहा कि भारत सरकार यानी केंद्र के पास सूची 2 में केवल तीन विभागों पर केवल कार्यकारी शक्ति है, जिस पर दिल्ली की कोई शक्ति नहीं है। ये हैं- सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि। ये तीनों केंद्र के अधिकार क्षेत्र में हैं।