दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति की घोषणा कर दी है। इसमें तीन अहम बातें हैं। पहली यह कि शराब पीने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल कर दी गई है। दूसरी यह कि दिल्ली में शराब की नई दुकान नहीं खोली जाएगी। तीसरी बात यह कि शराब की कोई भी दुकान अब सरकार की नहीं होगी और इसे निजी हाथों में दे दिया जाएगा। नई शराब नीति को सोमवार को मंजूरी दे दी गई।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति की घोषणा करते हुए यह भी बताया कि 2016 से अब तक एक भी शराब की नई सरकारी दुकान दिल्ली में नहीं खोली गई है।
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के द्वारा जो शराब की दुकानें चलाई जा रही हैं उन्हें तीन महीने का वक़्त दिया गया है, उसके बाद इन्हें बंद कर दिया जाएगा। इनकी जगह पर नई दुकानें खोली जाएंगी और इनके लिए निविदा जारी की जाएगी।
नई शराब नीति में चौंकाने वाली बात यह है कि शराब पीने की उम्र घटाई गई है। क्या इससे ऐसे युवाओं को जो अब तक 25 साल की उम्र का प्रतिबंध होने के कारण बार या शराब परोसने वाली दुकानों में जाने से डरते थे उन्हें बढ़ावा मिलेगा। अब वे धड़ल्ले से ऐसी जगहों पर जा सकेंगे।
शराब माफ़िया का हवाला
उन्होंने कहा कि 849 शराब की दुकानों में से 60 फ़ीसदी दुकानें सरकार की हैं और ये दुकानें निजी दुकानों के मुक़ाबले सरकार को बहुत कम टैक्स देती हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में शराब माफ़िया की जबरदस्त पकड़ है। सरकार की 849 दुकानों के अलावा 2 हज़ार दुकानें शराब माफिया चलाते हैं। ये दुकानें घरों-गोदामों से चलती हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी दुकानों में टैक्स चोरी से लेकर तमाम तरह की गड़बड़ियां हैं।
सिसोदिया ने कहा कि 50 फ़ीसदी राजस्व 189 दुकानों से आ रहा है और इससे पता चलता है कि बाक़ी जगहों से राजस्व की चोरी हो रही है। उप मुख्यमंत्री का कहना है कि नई शराब नीति का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में शराब माफ़ियाओं पर शिकंजा कसना और शराब की बिक्री से दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ाना है।
केजरीवाल सरकार को उम्मीद है कि इन सुधारों के बाद अभी तक सरकार को शराब से जो 6,500 करोड़ का राजस्व मिल रहा है वह बढ़कर 8500 करोड़ हो सकता है।
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में शराब की दुकानों को लेकर असमानता है। कई वार्डों में शराब की दुकानें बहुत ज़्यादा है और कई वार्ड खाली हैं। उन्होंने कहा कि 272 वार्ड में से 54 वार्ड ऐसे हैं, जहां पर शराब की दुकानें तय संख्या से ज़्यादा है। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर एक गली में ही तीन दुकानें हैं और इस वजह से अवैध शराब का कारोबार चरम पर है।
शराब माफ़ियाओं पर कार्रवाई
सिसोदिया ने कहा, “हम लोग कोशिश करते रहे कि अवैध शराब के कारोबार को एक्साइज ड्यूटी से कंट्रोल करें और पिछले 2 साल में लाखों लीटर अवैध शराब दिल्ली में पकड़ी गई हैं।” उन्होंने कहा कि शराब माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ सरकार ने 1864 एफ़आईआर दर्ज कराई हैं और अवैध शराब के कारोबार में शामिल 1900 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है।
केजरीवाल सरकार का साफ कहना है कि सरकारी दुकानों को बंद कर शराब के काम को निजी हाथों में देने से टैक्स चोरी रुकेगी, राजस्व बढ़ेगा। उसका दावा है कि इससे अवैध शराब का कारोबार ख़त्म हो जाएगा और इससे अपराध भी रुकेंगे लेकिन सीधा मक़सद यही है कि केजरीवाल सरकार शराब से मिलने वाले राजस्व को बढ़ाना चाहती है।