बीजेपी ने क्यों तोड़े केजरीवाल के घर के बाहर लगे CCTV कैमरे?
दिल्ली के बीजेपी नेता बीते कई दिनों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर, दिल्ली में बीजेपी के सांसद, विधायक, नगर निगमों के नेता और पार्षद शामिल हो रहे हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार को नगर निगमों के 13,000 करोड़ रुपये देने हैं।
विरोध करना बीजेपी के नेताओं का लोकतांत्रिक हक़ है लेकिन अब वे घरों में घुसने से लेकर तोड़फोड़ तक पर उतर आए हैं।
कुछ दिन पहले प्रदर्शनकारियों की भीड़ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सरकारी आवास में घुस गई थी। बाहर पुलिस तैनात थी, इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग उन्हें धकियाते हुए अंदर घुस गए थे। उस वक़्त सिसोदिया घर पर मौजूद नहीं थे। इसका वीडियो भी सामने आया था। इसे लेकर केजरीवाल, सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के तमाम नेता और विपक्षी दलों के नेताओं ने भी गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोला था। क्योंकि दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा दिल्ली पुलिस के पास है और यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, जिसकी कमान अमित शाह संभालते हैं। आम आदमी पार्टी ने कहा था कि ये प्रदर्शनकारी बीजेपी के कार्यकर्ता थे।
अब एक ताज़ा वीडियो सामने आया है। आम आदमी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से इस वीडियो को ट्वीट किया है। वीडियो में कुछ महिलाएं दिखाई दे रही हैं। पार्टी का कहना है कि ये बीजेपी की नेता हैं और केजरीवाल के सरकारी आवास के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ रही हैं।
मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal के घर के बाहर भाजपा नेताओं की तोड़फोड़।
— AAP (@AamAadmiParty) December 13, 2020
धरने पर बैठे बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री के घर पे लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़े। pic.twitter.com/OlFdeQfMkF
बीजेपी ने किया स्वीकार
बीजेपी ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि ये उसकी नेता हैं। बीजेपी का कहना है कि धरने पर बैठी उसकी नेताओं पर नज़र रखने के लिए आम आदमी पार्टी ने सीसीटीवी कैमरे लगा दिए और ये किसी भी महिला की निजता पर हमला है। पार्टी ने कहा है कि इससे आम आदमी पार्टी का महिला विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हो चुका है।
वीडियो के सामने आने के बाद बीजेपी को मजबूरी में यह स्वीकार करना ही पड़ा कि यह उसकी नेता हैं क्योंकि इसमें चेहरे साफ दिखाई दे रहे थे। लेकिन किसी ने अगर अपने आवास और परिवार की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं तो क्या बीजेपी के नेताओं को उन्हें तोड़ने का हक़ है। वो भी मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के बाहर लगे कैमरे। ऐसे में तो बीजेपी नेता किसी के भी आवास के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ने के लिए ऐसा कोई बेतुका तर्क दे देंगे कि यह किसी महिला की निजता पर हमला है।
‘चौकीदारों को कैमरे से कैसा डर’
इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि बीजेपी ने आख़िरकार यह स्वीकार कर ही लिया कि सीसीटीवी कैमरे तोड़ने वाली उसकी पार्टी की नेता हैं। पार्टी ने बीजेपी नेताओं द्वारा ख़ुद को देश का चौकीदार बताने वाले बयान को लेकर तंज कसते हुए पूछा है कि चौकीदारों को कैमरे से कैसा डर है
इसी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल पर कई बार हमला हो चुका है। उप मुख्यमंत्री के घर में लफंगों की भीड़ घुस गई। ऐसे में आम आदमी की सुरक्षा तो पूरी तरह भगवान भरोसे ही है।
आम आदमी की सुरक्षा
दिल्ली में फ़रवरी महीने में दंगे हुए, जिसमें सैकड़ों लोगों को जान-माल से हाथ धोना पड़ा। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय जब राष्ट्रीय राजधानी में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री के घरों की हिफ़ाजत नहीं कर पा रहा है तो उससे यह उम्मीद करना बेईमानी ही होगी कि वह आम आदमी को किसी तरह की सुरक्षा दे पाएगा।
बीजेपी चाहती है कि उसके नेताओं के घर के आसपास कोई विपक्षी दल का नेता फटके भी नहीं लेकिन उसके कार्यकर्ता दूसरों के घरों में बेरोक-टोक घुस जाएं। रविवार को आम आदमी पार्टी के नेताओं को धरना देने से पहले ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।
हताशा भरा क़दम
बीजेपी दिल्ली में आम आदमी पार्टी से लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है। पिछले चुनाव में तमाम भड़काऊ बयानों के बाद भी पार्टी को करारी हार मिली थी। इसके बाद निश्चित तौर पर उसके कार्यकर्ता हताश होंगे। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप मुख्यमंत्री के घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़ेंगे या उप मुख्यमंत्री के घरों में घुस जाएंगे।